लापता हैं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी, जदयू ने कहा- अरे, अब हमसे सवाल कौन पूछेगा, बताओ
बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र शुरू हो गया है। लेकिन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पटना नहीं लौटे हैं। इसपर तंज कसते हुए जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा है कि अब हमसे सवाल कौन पूछेगा?
पटना, जेएनएन। बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र की शुरुआत हो गई है, लेकिन बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इसमें भाग लेने के लिए अबतक पटना नहीं पहुंचे हैं। मीडिया से लेकर तमाम राजनीतिक दलों में इसे लेकर कयास लगाया जा रहा था कि महीने भर की अनुपस्थिति की बाद वे सदन की कार्यवाही में जरूर शिरकत करेंगे और कई अहम मुद्दों पर विफलताओं के लिए सत्ता पक्ष को घेरेंगे।
ऐसा सोचने वालों को निराशा हाथ लगी और तेजस्वी नहीं आए। इस पर जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि यह हमारे लिए सहज स्थिति है क्योंकि हमसे कोई प्रश्न पूछने वाला ही नहीं है।
केसी त्यागी ने कहा, लोकसभा चुनाव की हार के बाद महगठबंधन में कुछ भी ठीक नहीं है। विधानसभा सत्र शुरू हो गया और नेता प्रतिपक्ष ही गायब हैं। हमसे कोई सवाल पूछने वाला ही नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि कई शहरों में पोस्टर चिपके हैं उनके नेता के गायब हैं। ऐसी उहापोह की स्थिति हमने पहले कभी नहीं देखी है।
राजद नेताओं को भी नहीं मालूम
बता दें कि सत्र आरंभ होने से पहले तक राजद सांसद मनोज झा और अन्य नेता दावा करते रहे हैं कि तेजस्वी यादव विधानसभा की कार्यवाही में जरूर शामिल होंगे। खबर तो यह भी आई कि उनकी वापसी के बाद वे चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के परिजनों से मिलने मुजफ्फरपुर भी जाएंगे, लेकिन यह दावा भी सही नहीं निकला।
घरवाले भी नहीं जानते कि कहां हैं तेजस्वी
तेजस्वी कहां है? यह बात घरवालों को भी नहीं मालूम है। इस बात की तस्दीक इससे भी होती है कि सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले जब तेजस्वी की मां और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी से जब पूछा गया कि तेजस्वी कहां हैं तो वह झल्ला गईं और कहा कि वो आपके घर में हैं। वहीं कार्यवाही स्थगित होने के बाद उन्होंने मीडिया से कहा कि तेजस्वी अपना काम कर रहे हैं और वे जल्दी ही आएंगे।
तेजस्वी पर अटकलों का बाजार गर्म
तेजस्वी की गैरमौजूदगी को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। राजद का कोई नेता तेजस्वी को बीमार बताता है तो कोई नेता कहता है कि वो विश्व कप का मैच देख रहे होंगे। लेकिन वो कहां हैं और कब पटना लौटेंगे? इसको लेकर कोई जवाब न तो पार्टी स्तर से और ना ही परिवार स्तर से मिल सका है।
मुद्दों की भरमार, पर विपक्ष लाचार
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत का सिलसिला, सरकारी अस्पतालों का हाल, अपराधों की स्थिति, नियोजित शिक्षकों का समान काम के लिए समान वेतन का मुद्दा और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जैसे कई मुद्दे हैं जिसपर सरकार को एकजुट विपक्ष घेर सकता है, लेकिन सवाल यही है कि क्या विपक्ष भी एकजुट रह पाएगा ?