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जमीन खरीद-बिक्री से जुड़े नियम में होंगे ये बड़े बदलाव, बिहार सरकार लाने जा रही नया विधेयक

जमीन के बदले स्वरूप की चौहद्दी भी दर्ज होगी। इसे कानूनी रूप देने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधेयक ला रहा है। इसका नाम बिहार भूमि दाखिल खारिज (संशोधन) विधेयक 2021 है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 07:37 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 08:59 PM (IST)
जमीन खरीद-बिक्री से जुड़े नियम में होंगे ये बड़े बदलाव, बिहार सरकार लाने जा रही नया विधेयक
बिहार में जमीन की खरीद ब्रिक्री को लेकर सरकार नया कानून ला रही है। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: अब दाखिल खारिज के समय दस्तावेज के साथ जमीन के उस हिस्से का नक्शा भी जुड़ जाएगा, जिसकी खरीद बिक्री हुई है। जमीन के बदले स्वरूप की चौहद्दी भी दर्ज होगी। इसे कानूनी रूप देने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधेयक ला रहा है। इसका नाम बिहार भूमि दाखिल खारिज (संशोधन) विधेयक 2021 है। इसे विभागीय मंत्री रामसूरत राय पेश करेंगे। विधेयक के उद्देश्य में कहा गया है कि दाखिल खारिज के मौजूदा नियम में जमीन की वास्तविक स्थिति की जानकारी नहीं मिलती है। कालांतर में यह भूमि विवाद का कारण बन जाता है। विधेयक के पारित होने के बाद बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं अधिनियम 2011 एवं नियमावली 2012 में संशोधन हो जाएगा। 

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मंत्री के मुताबिक इस कार्ययोजना के तहत सभी अंचल कार्यालय में सर्वे राजस्व नक्शा को साफ्टवेयर के जरिए डिजिटल फार्म में तैयार किया जाएगा। दाखिल खारिज की याचिका के साथ जमीन के हिस्से का नक्शा शामिल किया जाएगा। इस नक्शा को जमीन की रजिस्ट्री के समय भी डीड में लगाना होगा। अंचल कार्यालय में दाखिल खारिज के समय डीड के साथ भूखंड का नक्शा भी जमा करना होगा। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था से रजिस्ट्री के समय ही साफ हो जाएगा कि किसी जमीन के किस हिस्से की बिक्री हुई है। इस तरह के सभी याचिका की जांच राजस्व कर्मचारी करेंगे। उनके संतुष्ट होने के बाद ही दाखिल खारिज की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। 

बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

भूखंड का नक्शा बनाने के लिए जिला स्तर पर सिविल इंजीनियरों का पैनल बनेगा। पैनल तैयार करने की प्रक्रिया और इसमें शामिल इंजीनियरों की संख्या राज्य सरकार समय-समय पर तय करेगी। पैनल में शामिल इंजीनियर या एजेंसी की सेवा शुल्क का निर्धारण सरकार करेगी। शुल्क की राशि रैयतों से वसूली जाएगी। इंजीनियरों अथवा एजेंसियों को जमीन की मापी के लिए इटीएस (इलेक्ट्रिानिक टोटल स्टेशन) के अलावा लैपटाप रखना होगा। ये उपकरण विभाग की ओर से अनुमोदित होंगे। 


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