Move to Jagran APP

भूमि अधिग्रहण बिल को अपनी प्रतिष्ठा से न जोड़ें प्रधानमंत्री : नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल पर एक बार फिर हमला बोलते हुए कहा कि इससे बेहतर तो केंद्र की पिछली सरकार का भूमि अधिग्रहण बिल, 2013 था। उसमें कम से कम किसानों के हित का ध्यान रखा गया था।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Thu, 23 Apr 2015 07:16 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2015 07:20 PM (IST)
भूमि अधिग्रहण बिल को अपनी प्रतिष्ठा से न जोड़ें प्रधानमंत्री : नीतीश

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के भूमि अधिग्रहण बिल पर एक बार फिर हमला बोलते हुए कहा कि इससे बेहतर तो केंद्र की पिछली सरकार का भूमि अधिग्रहण बिल, 2013 था। उसमें कम से कम किसानों के हित का ध्यान रखा गया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे इस बिल को अपनी प्रतिष्ठा से न जोड़ें। वर्ष 2013 के कानून को यथावत छोड़ दें। इससे उनकी प्रतिष्ठा कम होने की जगह बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि बिहार के कुछ जिलों में आई आपदा को लेकर भाजपा के लोग हमारी मीन-मेख निकालने में लगे हैं। लेकिन एक सप्ताह के अंदर शिविर लगाकर पीडि़तों के बीच मुआवजे की राशि का वितरण कर दिया जाएगा।

loksabha election banner

मुख्यमंत्री गुरुवार को राजधानी के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव समारोह का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह को जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, खाद्य मंत्री श्याम रजक, समाज कल्याण मंत्री लेशी सिंह, खान एवं भूतत्व मंत्री रामलषण राम रमण, राज्यसभा सांसद अली अलवर अंसारी, जदयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह, नीरज कुमार, नागरिक परिषद के महासचिव छोटू सिंह आदि ने संबोधित किया। समारोह की अध्यक्षता सहकारिता मंत्री जयकुमार सिंह कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकार का भूमि अधिग्रहण बिल मौजूदा बिल से कहीं अधिक कारगर और किसानों के हित में था। उन्होंने कहा कि इस मामले में भाजपा और केंद्र सरकार चाहे जितनी भी सफाई दे, लोगों के मन में जो धारणा बन गई है वह और अधिक मजबूत होगी। केंद्र चाहे किसानों को जितना भी समझाने की कोशिश कर ले, उसे सफलता मिलने वाली नहीं है। उन्होंने सहकारिता मंत्री के एक प्रस्ताव पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि वीर कुंवर सिंह की वीर गाथा स्कूली पाठ्यक्रम में नहीं है। अगर ऐसा है तो इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आज से दस महीना पहले देश में बच्चा-बच्चा नरेंद्र मोदी का जाप कर रहा था। केवल दस महीने में ही ऐसा क्या हो गया जिससे उनकी लोकप्रियता गिर गई। इसके पीछे भूमि अधिग्रहण प्रमुख कारण है।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने वीर कुंवर सिंह को सच्चे अर्थों में धर्मनिरपेक्ष बताया और कहा कि उनक राज व्यवस्था आज भी अनुकरणीय है। अगर उन्होंने रामलीला कराई तो मुहर्रम में उनका ताजिया भी सबसे आगे रहा। उन्होंने सवर्ण आयोग की रिपोर्ट मिलते ही मुख्यमंत्री द्वारा सवर्ण छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और प्रोत्साहन राशि की घोषणा को भी अनुकरणीय बताया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.