मांझी-कुशवाहा-साहनी के 'प्रेशर' में नहीं आएंगे लालू, RJD की झोली में तीनों के लिए महज 40 सीटें
Bihar Election 2020 महागठबंधन के छोटे दलों को RJD अधिक भाव देने के मूड में नहीं। वह विस चुनाव में रालोसपा हम व वीआइपी को महज 40 सीटों में समेटना चाहता है।
पटना, अरुण अशेष। महागठबंधन के छोटे दलों को राजद अधिक भाव देने के मूड में नहीं है। वह इसे बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में अधिक सीट लेने के दांव के तौर पर ले रहा है। सोमवार को रालोसपा, हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी ने महागठबंधन के लिए को आर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग की थी। राजद ने दो टूक कह दिया- सही प्लेटफार्म पर बातचीत की जा सकती है। नेता के सवाल पर बहस की गुंजाइश नहीं है। राजद का आंतरिक आकलन यह भी है कि इन तीनों दलों को कहीं से निर्देशित किया जा रहा है। इशारा कांग्रेस की ओर है। रालोसपा, हम व वीआइपी को राजद महज 40 से अधिक सीटें देना नहीं चाहता है।
झगड़ा 101 सीटों का
असली झगड़ा विधानसभा की 101 सीटों का माना जा रहा है। 2015 के चुनाव में महागठबंधन की ओर से विस की 101 सीटें जदयू को दी गई थी। जदयू के निकलने के बाद नए घटक दलों-रालोसपा, हम और विकासशील इंसान पार्टी की नजर इन्हीं सीटों पर है। इसमें कांग्रेस की भी दिलचस्पी है। वह भी 41 से अधिक सीटों पर चुनाव लडऩा चाहती है। रणनीति यह है कि ये तीनों दल राजद पर दबाव बनाएं। कांग्रेस को पंचायती का मौका मिल जाए। इसी क्रम में कुछ अधिक सीटें कांग्रेस के पास भी आ जाए।
राजद की अलग तैयारी
इधर राजद कम से कम 150 सीटों पर लडऩे की तैयारी कर रहा है। उसकी झोली में रालोसपा के लिए 20 और हम तथा वीआइपी के लिए 10-10 सीटें हैं। बाकी सीटें कांग्रेस और वाम दलों के लिए है। वह उन सामाजिक समूहों को खुद से जोडऩे की मुहिम में है, जिनकी नुमाइंदगी का दावा उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी करते हैं। राजद ने लोकसभा चुनाव में मधुबनी से वीआइपी के उम्मीदवार रहे बद्री पूर्वे को दल की सदस्यता दे दी। आने वाले दिनों में इन सामाजिक समूहों के बड़े नेताओं को जोडऩे की योजना है। जगदानंद को प्रदेश अध्यक्ष, मनोज झा और एडी सिंह को राज्यसभा में भेजकर राजद ने बड़े सामाजिक दायरे को प्रभावित करने की रणनीति को जाहिर कर दिया है।
नेता पर सवाल कहां है
महागठबंधन में बार-बार यह सवाल उठता है कि अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के तौर पर किसे प्रस्तावित किया जाएगा? राजद के प्रवक्ता चितरंजन गगन कहते हैं-यह सवाल ही बेतुका है। विधानसभा में विपक्ष का नेता ही मुख्यमंत्री का विकल्प होता है। जाहिर है, इसके बाद तेजस्वी यादव के अलावा भला किसको सामने रखकर चुनाव लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा-कुछ लोग जमीनी हकीकत को भूल कर कुछ बोल देते हैं। इसका कोई मतलब नहीं है।