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चारा घोटाला मामले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा, 5-5 लाख जुर्माना

शनिवार की शाम वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सीबीआइ की विशेष कोर्ट चारा घोटाला मामले मे सजा सुनाई। लालू को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 06 Jan 2018 02:02 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jan 2018 06:19 PM (IST)
चारा घोटाला मामले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा, 5-5 लाख जुर्माना
चारा घोटाला मामले में लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा, 5-5 लाख जुर्माना

रांची [जेएनएन]। चारा घोटाला मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह राजद प्रमुख लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई है। उन्हें पांच-पांच लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। चारा घोटाला मामले में देवघर कोषागार से 89.04 लाख की अवैध निकासी के मामले में दोषी करार दिए गए लालू यादव को यह सजा सुनाई गई। सीबीआइ के विशेष कोर्ट में जज शिवपाल सिंह ने यह फैसला सुनाया।

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सजा के वक्त लालू यादव वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जेल से ही पेश हुए। सजा के बाद अब लालू यादव को जमानत के लिए ऊपरी अदालत में जाना होगा। लालू यादव के वकील की तरफ से सजा में नरमी की अपील की गई थी। 23 दिसंबर 2017 को देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले में दोषी ठहराए गए लालू यादव और अन्य दोषियों को शनिवार को सजा सुनाई गई।

लालू यादव के अलावा पीएसी (लोक लेखा समिति) के पूर्व अध्यक्ष जगदीश शर्मा को इसी मामले में सात साल की सजा और बीस लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। आरके राणा को 3.5 वर्ष की सजा और 10 लाख जुर्माना, महेंद्र, राजाराम, सुनील कुमार सिन्हा, सुशील कुमार, फूलचंद, महेश और बेक जूलियस को भी 3.5 वर्ष की सजा और पांच-पांच लाख का जुर्माना लगाया गया है। जबकि सुनील गांधी, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, संजय अग्रवाल, गोपीनाथ दास को 7 साल की सजा और 10-10 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। चारा घोटाले के  सभी दोषियों को सजा 4 बजकर 20 मिनट पर सुनाई गई।

कम सजा की दलील

लालू के वकील ने सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश जस्टिस शिवपाल सिंह की अदालत में रहम बरतने की अपील करते हुए कहा कि लालू की उम्र 70 साल हो गई है। उन्हें कई तरह की बीमारियां हैं। उनके हार्ट का वाल्व बदला गया  है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की भी शिकायत है। ऐसे में उन्हें कम से कम सजा मिलनी चाहिए। शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से लालू और पूर्व मंत्री आरके राणा की पेशी हुई और सजा पर सुनवाई हुई।

लालू के वकील ने कहा कि लालू 21 साल से इस मामले में मुकदमा झेल रहे हैं। जब-जब कोर्ट ने बुलाया वह हाजिर हुए। ट्रायल में सहयोग किया। सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले का हवाला देकर कहा गया कि इतनी लंबी अवधि तक मुकदमा लडऩा सजा से कम नहीं है। ऐसे में उन्हें कम से कम सजा मिलनी चाहिए। अन्य आरोपियों की ओर से भी ऐसा ही आग्रह किया गया।

सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में देवघर कोषागार से अवैध निकासी के मामले 64ए/96 में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग केमाध्यम से लालू यादव, पूर्व सांसद आरके राणा, पूर्व विकास आयुक्त फूलचंद सिंह, पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अधिकारी महेश प्रसाद, पूर्व ट्रेजरी अधिकारी सुबीर भट्टाचार्य, आपूर्तिकता राजराम जोशी, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, सुनील कुमार सिन्हा, सुशील कुमार सिन्हा, सुनील गांधी और संजय कुमार अग्रवाल की सजा के बिंदुओं पर सुनवाई पूरी हो गई।

सजा के तुरंत बाद  लालू यादव के ऑफिशियल अकाउंट से ट्वीट किया गया। कहा कि झाड़-फूंक व जादू-टोने से ईमानदारी साबित करने वाले भाजपाई मंत्र “हमारे साथ आइये नहीं तो आपको बर्बाद कर देंगे” को मानने की बजाय मैं सामाजिक न्याय, समानता और समरसता के लिए खुशी-खुशी लड़ते हुए मरना पसंद करूंगा।

क्या है मामला

चारा घोटाले का यह मामला देवघर कोषागार से 89 लाख रुपये से अधिक की अवैध निकासी का है। सीबीआइ ने इस मामले में 15 मई 1996 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी तथा 28 मई 2004 को आरोप पत्र दायर किया था। इस मामले में 26 सितंबर 2005 को आरोप गठन किया गया था। इस मामले में पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने पशु चारा और दवा के नाम पर अवैध निकासी की थी। इसके लिए फर्जीआवंटन आदेश का इस्तेमाल किया था। जांच से बचने के लिए टुकड़ों-टुकड़ों में 10 हजार रुपये से कम का बिल ट्रेजरी में पेश किया था।

इस मामले में पिछले वर्ष 23 दिसंबर को अदालत ने राजद अध्यक्ष लालू यादव, पूर्व सांसद जगदीश शमा, पूर्व विधायक आरके राणा, भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जुलियस एवं महेश प्रसाद के अलावा अधिकारी कृष्ण कुमार प्रसाद, सुबीर भट्टाचार्य,सप्लायर और ट्रांसपोर्टर त्रिपुरारी मोहन, सुशील सिंह, सुनील सिंह, राजाराम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय अग्रवाल, ज्योति कुमार झा और सुनील गांधी को भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468, 477 ए और 120 बी के तहत दोषी करार दिया था।

वहीं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र, पूर्व पशुपालन मंत्री विद्यासागर निषाद, लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत, प्रशासनिक अधिकारी ए. सी. चौधरी के अलावा सप्लायर और ट्रांसपोर्टर सरस्वती चंद्रा तथा साधना सिंह को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था।

छह दोषियों के खिलाफ सजा के बिंदु पर हुई सुनवाई 

देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाले में 16 दोषियों के खिलाफ सजा का ऐलान की संभावनाओं के बीच कोर्ट परिसर में गहमागहमी का माहौल रहा। हालांकि छह दोषियों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में शनिवार को हुई और सुनवाई जल्द ही पूरी हो गई।

इसके पूर्व पिछले दो दिनों में दस अभियुक्तों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई हो चुकी थी। सुनवाई दो बजे से शुरु हुई और ढाई बजे खत्म भी हो गई। शनिवार की सुनवाई भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही हुई।

हालाकि कोर्ट परिसर में लगाई गई सुरक्षा व्यवस्था का देखकर अनुमान लगाया जा रहा था कि सभी दोषियों की उपस्थिति सशरीर अदालत में पेश किया जाएगा लेकिन इनकी पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई। वर्तमान में कोर्ट परिसर में कोतवाली डीएसपी भोला प्रसाद सिंह, थाना प्रभारी सी मंडल सहित पुलिस व आइआरबी के जवान तैनात रहे।

आज जिन अभियुक्तों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई, उसमें अधिसंख्य आपूर्तिकर्ता शामिल थे। राजनीतिक नेता और पशुपालन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ सजा के बिंदु पर सुनवाई गुरुवार व शुक्रवार को हो चुकी है। 

इन दोषियों के सजा के बिंदु पर हुई सुनवाई : 

1. त्रिपुरारी मोहन प्रसाद :  प्रोपराइटर मेसर्स बिहार सर्जिको मेडिको एजेंसी, एसके पुरी पटना

2. सुशील कुमार झा : मैनेजिंग पार्टनर मेसर्स श्री गौरी डिस्ट्रीब्यूटर हेड ऑफिस एमबीडी रोड, भागलपुर

3. सुनील कुमार सिन्हा : प्रोपराइटर मेसर्स श्री बाबा केमिकल वक्र्स श्री कृष्णापुरी पटना

4. संजय कुमार अग्रवाल :  प्रोपराइटर मेसर्स संजय कुमार, जिलानपाड़ा रोड, दुमका

5. सुनील गांधी : प्रोपराइटर, मेसर्स मगध डिस्ट्रीब्यूटर राजेंद्र नगर, पटना

6. सुबीर भट्टाचार्य,


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