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Bihar News: लालू यादव सुलझा लेंगे तेजस्‍वी और तेज प्रताप का बवाल या होगा साधु यादव जैसा हाल

Bihar Politics लालू यादव पहले भी अपने परिवार के सदस्‍यों की वजह से मुश्‍किल में घ‍िरते रहे हैं। इससे पहले अपनी छवि बचाने के लिए परिवार के दो खास सदस्‍यों को लालू ने न सिर्फ पार्टी बल्‍क‍ि अपने जीवन से बाहर कर दिया था।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 09:38 AM (IST)Updated: Sun, 22 Aug 2021 06:12 PM (IST)
Bihar News: लालू यादव सुलझा लेंगे तेजस्‍वी और तेज प्रताप का बवाल या होगा साधु यादव जैसा हाल
लालू यादव अपने परिवार के साथ। फाइल फोटो

पटना, आनलाइन डेस्‍क। Bihar Politics: लालू यादव (Lalu Yadav) की पार्टी राजद (RJD) और उनका परिवार दोनों बेटों तेजस्‍वी यादव (Tejaswi Yadav) और तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के झगड़े में बड़े संकट से गुजर रहा है। परिवार के सदस्‍यों की वजह से लालू के सामने ऐसा संकट पहली बार नहीं आया है। दरअसल, बिहार की सत्‍ता से बाहर होने के लिए भी लालू काफी हद तक अपने परिवार के ही कुछ सदस्‍यों को जिम्‍मेदार मानते हैं। हालांकि इसका ज्ञान उन्‍हें राज्‍य की सत्‍ता से बाहर होने के बाद हुआ था और इसके बाद उन्‍होंने उन लोगों से बिल्‍कुल किनारा ही कर लिया था, जो कभी उनके परिवार का अभिन्‍न हिस्‍सा थे और जिनकी पटना सहित पूरे बिहार में तूती बोलती थी।

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जब बच्‍चे थे तेजस्‍वी और तेज प्रताप तो इन लोगों से लालू रहे परेशान

लालू यादव बिहार की सत्‍ता में मजबूत होने के बाद अपने गांव और अपने भाई से अधिक अपनी ससुराल और अपने सालों के प्रभाव में रहे। राबड़ी देवी (Rabari Devi) के भाई साधु यादव (Sadhu Yadav) और सुभाष यादव (Subhash Yadav) हर वक्‍त लालू के इर्द-गिर्द दिखाई देते थे। दोनों का जलवा न सिर्फ पटना, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में था। शुरू में तो लालू को अपनी ससुराल के लोग खूब प्रिय रहे। एक-एक कर सभी को विधायक और सांसद बनाया, लेकिन जब बिहार ही नहीं पूरे देश में उनकी बदनामी होने लगी और राज्‍य की सत्‍ता उनके हाथ से जाने लगी तो इन्‍हीं संबंधियों से लालू ने सार्वजनिक जीवन में पूरी तरह नाता तोड़ लिया।

दुष्‍कर्म से रंगदारी मांगने तक के मामले हुए थे दर्ज

लालू यादव के साले, राबड़ी देवी (Rabari Devi) के सगे भाई साधु यादव का नाम दुष्‍कर्म, हत्‍या, रंगदारी और अपहरण जैसे संगीन मामलों में भी आया। हालांकि अधिकतर मामलों में उनके खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सका। कोर्ट में भले साधु यादव बचते गए, लेकिन एक वक्‍त उनका खौफ पटना के लोग बखूबी समझते थे।

अब लालू-राबड़ी के बंगले पर आना-जाना तक नहीं

राबड़ी के इन दो भाइयों को लालू यादव ने न सिर्फ पार्टी से निकाला, बल्कि समाज के सामने इनसे नाता लगभग पूरी तरह तोड़ लिया। अब राबड़ी के ये दोनों भाई, लालू परिवार के इर्द-गिर्द कहीं भी नहीं दिखाई देते। यहां तक कि रक्षाबंधन के दिन भी वे राखी (Raksha Bandhan) बंधवाने लालू-राबड़ी के घर नहीं जाते। संबंधों में कड़वाहट इतनी बढ़ी कि एक अब तो घर में शादी-विवाह जैसे आयोजनों में भी ये चेहरे साथ नहीं दिखते। तेज प्रताप की शादी में न उनके दोनों मामा दिखे और न साधु यादव की बेटी की शादी में लालू-राबड़ी गए थे।

तेजस्‍वी के रूख से सहमत हैं साधु यादव

साधु यादव ने लड़कपन के दिनों में जीजा की ताकत के बदौलत भले जो कुछ किया हो, लेकिन अब वे पूरी तरह गंभीर दिखते हैं। कुछ न्‍यूज पोर्टलों से बातचीत में उन्‍होंने कहा कि तेजस्‍वी यादव पार्टी को सही रास्‍ते पर ले जा रहे हैं। उन्‍होंने तेज प्रताप यादव के रवैये को गलत और आकाश यादव को पार्टी से निकालने के जगदानंद सिंह के फैसले को सही बताया। एक वक्‍त ऐसी चर्चाएं थीं कि तेज प्रताप को भड़काने वाले साधु यादव ही हैं, हालांकि उन्‍होंने इससे इनकार करते हुए कहा था कि झगड़े से उनका कोई संबंध नहीं है और विवाद की जड़ खुद लालू के घर में है।

क्‍या सालों की तरह ही बड़े बेटे से संबंध तोड़ेंगे लालू

लालू परिवार में दोनों बेटों के बीच लड़ाई अब आरपार के मूड में आती दिख रही है। तेजस्‍वी और जगदानंद सिंह पहले ही साफ कर चुके हैं कि पार्टी में अनुशासनहीनता कतई बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी, चाहे वह कोई भी हो। तेजस्‍वी ने कहा था कि अनुशासनहीनता से राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष लालू यादव, खुद उनको यानी तेजस्‍वी और पार्टी को ही नुकसान होगा। उन्‍होंने कहा कि कोई भी संस्‍था इसे बर्दाश्‍त नहीं कर सकती है, बड़े भाई होना अलग बात है। लालू को पूरे मामले की खबर है और बताया जा रहा है कि वे दोनों भाइयों के बीच सुलह की आखिरी कोशिश कर सकते हैं। अगर बात नहीं बनी तो क्‍या तेज प्रताप यादव का हश्र साधु और सुभाष यादव की तरह होगा, यह सवाल अभी भविष्‍य के गर्भ में है।


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