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लालू की बेल पर टिका बिहार का सियासी खेल, BJP-JDU की भी लगी है टकटकी

लालू यादव को लेकर महागठबंधन के घटक दलों की बेकरारी बढ़ गई है। उनकी सियासी हैसियत और जमीनी पकड़ को देखते हुए भाजपा-जदयू की टकटकी भी लगी है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 08:44 AM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 08:54 PM (IST)
लालू की बेल पर टिका बिहार का सियासी खेल, BJP-JDU की भी लगी है टकटकी
लालू की बेल पर टिका बिहार का सियासी खेल, BJP-JDU की भी लगी है टकटकी

पटना [अरविंद शर्मा] । चारा घोटाले में झारखंड हाईकोर्ट में चार जनवरी को राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। इसके बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। उन्हें जमानत मिलती है या नहीं, इस पर देश-प्रदेश की निगाहें टिकी हुई हैं। महागठबंधन के घटक दलों की बेकरारी बढ़ गई है। लालू की सियासी हैसियत और जमीनी पकड़ को देखते हुए भाजपा-जदयू की टकटकी भी लगी है। उनकी चुनावी रणनीति लालू के अंदर-बाहर रहने के हिसाब से ही तय होगी। ऐसे में कहा जा सकता है कि लालू प्रसाद यादव की बेल पर बिहार का सियासी खेल टिका हुआ।बता दें कि लालू को पिछले साल 23 दिसंबर को ही सजा हुई थी। खास बात कि राजद एवं लालू परिवार की ओर से तीन आधार पर जमानत मांगी गई है। 

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जमानत मांगने का पहला आधार
पहला आधार जदयू के पूर्व सांसद जगदीश शर्मा का है, जिन्हें पिछले महीने जमानत मिल चुकी है। जगदीश को भी उन्हीं मामलों में पिछले साल सजा हुई थी, जिनमें लालू को हुई थी। 

जमानत मांगने का दूसरा आधार
जमानत मांगने का दूसरा आधार मेडिकल है। याचिका में कहा गया है कि साल भर से ज्यादा समय से जेल में रहने के कारण उनकी सेहत लगातार गिर रही है। इसी आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र को जमानत मिल भी चुकी है। 

जमानत मांगने का तीसरा आधार
जमानत मांगने का तीसरा आधार चुनावी वर्ष है। लालू अपने दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्हें रणनीति बनानी है। प्रत्याशी तय करने हैं और सिंबल बांटने हैं। इसलिए जेल से बाहर आना जरूरी है। तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के नियम के मुताबिक सजायाफ्ता कैदी पर सिर्फ चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध है।

राबड़ी देवी बन सकती हैं विकल्प
लालू को जमानत नहीं मिलने के बाद के विकल्प पर भी विचार कर लिया गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष की हैसियत से चुनाव आयोग में प्रत्याशियों को सिंबल देने के लिए लालू ही पंजीकृत हैं। जमानत नहीं मिलने की स्थिति में इसके लिए राबड़ी देवी को अधिकृत किया जा सकता है। वह अभी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। प्रत्याशी चयन का मोर्चा तेजस्वी यादव संभाल सकते हैं। शिवानंद का मानना है कि लालू के बाहर रहने से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ सकता है, लेकिन तेजस्वी भी अब परिपक्व हो चुके हैं।

राजद को जमानत मिलने की उम्मीद
लालू की जमानत याचिका पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं वकील कपिल सिब्बल ने बहस की। राजद को उम्मीद है कि अबकी जमानत मिल जाएगी। लालू की सियासी हैसियत और जमीनी पकड़ को देखते हुए भाजपा-जदयू की टकटकी भी लगी है। उनकी चुनावी रणनीति लालू के अंदर-बाहर रहने के हिसाब से ही तय होगी।


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