लालू बोले- नीतीश को घपला इंजीनियरिंग में महारत, FIR दर्ज करवा कर ही छोड़ेंगे
बेनामी संपत्ति मामले में घिरे लालू यादव ने पटना में कहा कि नीतीश कुमार की जानकारी में सृजन घोटाला हुआ, लेकिन वे चुपचाप रहे। सिल्क नगरी को लूट की नगरी बना दिया।
पटना [जेएनएन]। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि सृजन घोटाला सरकार के संज्ञान में था लेकिन इसे रोकने का कोई प्रयास नहीं किया गया। सब कुछ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की जानकारी में था पर मामले को दबा दिया गया। नीतीश ही इस घोटाले के मुख्य आरोपी हैैं। उन्हें घपला की इंजीनियरिंग में महारत हासिल है।
सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट के एक पन्नेे को प्रेस कांफ्रेस में जारी करते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि गैर सरकारी संगठन सृजन के कामकाज को वर्ष 2006 के अप्रैल मेें तत्कालीन डीएम के आदेश से बंद कर दिया गया था। राशि के रिफंड का भी निर्देश था।
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लालू ने पूछा कि इसके बाद फिर 2008 में किसके आदेश से सृजन ने काम आरंभ कर दिया। उस समय सरकार में कौन थे? अपने आवास पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन में लालू प्रसाद ने यह बात कही। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव, राजद के वरिष्ठ नेता जगदानंद और शिवानंद तिवारी भी प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद थे।
राजद सुप्रीमो ने कहाकि यह आश्चर्य का विषय है कि सरकार के संज्ञान में यह मामला रहा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इस घोटाले के बारे में उन्हें कई दस्तावेज मिले हैैं। उन्होंने 10 जुलाई 2017 से 29 जुलाई 2017 का बैैंक ऑफ बड़ौदा की भागलपुर स्थित शाखा का एक बैंक स्टेटमेंट भी जारी किया है। इसमें साफ है कि स्थानीय जिला प्रशासन की ओर से जो चेक काटे गए वे इस दौरान लगातार बाउंस हुए।
लालू प्रसाद ने सवालिया लहजे में कहा कि आखिर नीतीश कुमार ने इसे छिपाया क्यों? इसकी जांच के काम में नीतीश कुमार ने उन्हीं अधिकारियों को लगाया जिनकी इस मामले में संलिप्तता है। एक अधिकारी तो दो-दो बार भागलपुर के एसपी रह चुके हैैं। जिस दौरान चेक लगातार बाउंस होता रहा उस दौरान मुख्यमंत्री नियमित रूप से दिल्ली यात्रा करते रहे।
लालू प्रसाद ने कहा कि भागलपुर में राजद की रैली को आत्मघाती नुक्कड़ नाटक बोल नीतीश कुमार हमें धमका रहे हैैं। हमें मर्यादा का पाठ इस तरह पढ़ा रहे है कि जैसे नीतीश हमारे हेडमास्टर हैैं। नीतीश कुमार को तो घपला की इंजीनियरिंग में महारत हासिल है। मर्यादा की बात करते हैैं और उनका प्रवक्ता हमें गाली देता है। शिवानंद तिवारी और रघुवंश प्रसाद सिंह को भी गाली दी।
भागलपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी के पी रमैया का जिक्र करते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि 2004 में रमैया के आदेश से सृजन के बैैंक एकाउंट में पैसा जमा हो रहा था। रमैया तो जदयू में हैैं। जदयू की टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़े।
लालू यादव के बाद तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी द्वारा इतना भारी दबाव था कि उनके सामने दो ही रास्ते बच रहे थे। या तो वे जेल जाते या फिर गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ जाये। नीतीश कुमार ने दूसरा रास्ता अपनाया। नीतीश कुमार जिस तरह से नैतिकता की बात करते हैं, वह कतई शोभा नहीं देता है। वह नैतिक भ्रष्टाचार के भीष्म पितामह हैं।
तेजस्वी ने कहा कि 2006 में तत्कालिन जिलाधिकारी ने सृजन के पैसे को रोककर उसे रिफंड कराने की कोशिश की। हम पूछना चाहते हैं कि आखिर उसके बाद भी पैसा क्यों ट्रांसफर होता रहा। अब तो यह साफ हो गया है कि सुशील मोदी के संबंधी इसमें लाभ कमाते रहे हैं। इसमें शामिल रहे हैं। आखिर क्या बात है कि भाजपा में इतने नेता के रहने के बावजूद नीतीश कुमार सुशील मोदी को ही डिप्टी सीएम क्यों बनाते हैं।
जिस समय सरकार का चेक बाउंस कर रहा था, उस समय नीतीश कुमार लगातार दिल्ली दौरे पर रहे। गठबंधन तोड़ने का जो आरोप मेरे उपर लगाते हैं, वह साफ तौर पर गलत है। जिस समय गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ रातों-रात सरकार बनाये और प्रभारी राज्यपाल दो दिन तक लगातार रूके रहे, उससे साफ पता चलता है कि सब पहले से प्री-प्लान था।
नीतीश कुमार खुद मीठा-मीठा बोलते हैं और अपने तोतों से गाली दिलवाते हैं। सुबह-सुबह फोन पर बात होती है कि आज किस लाइन पर क्या बोलना है। हम सारे मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जायेंगे। साथ ही बिहार की जनता को पूरी सच्चाई से अवगत करायेंगे।