तेजप्रताप को लेकर मुश्किल में लालू, पार्टी से परिवार तक 'ऑल इज नॉट वेल'
लालू के लाल तेजप्रताप यादव इन दिनों पूरे पॉलिटिकल फॉर्म में दिख रहे हैं। लेकिन उन्हें पार्टी का साथ मिलता नहीं दिख रहा। तलाक मामले के कारण परिवार तो विरोध में है ही।
पटना [अमित आलोक]। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को लेकर पार्टी व परिवार में तनाव है। पत्नी ऐश्वर्या से तलाक की जिद को ले परिवार उनके खिलाफ है तो इधर राजनीति में उनकी सक्रियाता को बड़े नेताओं का साथ मिलता भी नहीं दिख रहा। पार्टी में भी उनकी भूमिका पर भी सवाल उठते दिख रहे हैं। खुद भाई तेजस्वी यादव भी उनके कार्यक्रमों व बयानों के साथ खड़े नहीं दिख रहे।
तलाक मामले को ले परिवार में विरोध
तेजप्रताप यादव को लेकर पार्टी के साथ-साथ लालू परिवार में भी ऑल इज वेल नहीं बताया जा रहा। पत्नी ऐश्वर्या राय से तलाक लेने के उनके फैसले से परिवार में कोई सहमत नहीं। इससे नाराज होकर वे काशी-वृंदावन चले गए थे। वहां से तलाक की अर्जी पर सुनवाई के दिन लौटे भी तो घर नहीं जाकर होटल में व दोस्तों के साथ रुके। उन्होंने राज्य सरकार से आने लिए अलग बंगले की मांग की। सरकार ने भी बंगला अलॉट कर दिया है। कहा जाता है कि पत्नी ऐश्वर्या के अपनी सास राबड़ी देवी के साथ रहने के कारण वे वहां नहीं जा रहे हैं।
बढ़ाई राजनीतिक सक्रियता, रोज लगा रहे जनता दरबार
इस बीच उन्होंने राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। बीते दिनों वे अचानक पटना के राजद कार्यालय जा पहुंचे तथा वहां पिता व पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की कुर्सी पर जा बैठे। इसके बाद उन्होंने पार्टी कार्यालय में मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर जनता चाहेगी तो वे कमान संभाल सकते हैं। उन्होंने रोजाना जनता दरबार लगाने का ऐलान किया। इसके बाद वे लगातार जनता दरबार लगा रहे हैं।
थाने पर धरना के दौरान मामा साधु का मिला साथ
जनता दरबार में आम लोग आ रहे हैं। तेजप्रताप उनकी समस्याएं सुन व निदान की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार को पटना के एक थाना प्रभारी की बदसूलकी पर भड़ककर उन्होंने थाने पर धरना दिया। मामला तब फंसा, जब जनता दरबार में आए हत्या के एक मामले की फरियादी की गुहार पर तेजप्रताप ने पटना के फुलवारी थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर कैसर आलम से फोन पर बात की।
धरना के दौरान तेजप्रताप यादव के मामा साधु यादव सार्वजनिक तौर पर उनके साथ खड़े दिखे। हालांकि, साधु यादव ने कहा कि थाने के नजदीक घर होने के कारण मामला फंसने की जानकारी होने पर वे पहुंच गए थे।|
साथ नहीं दिख रहे राजद के बड़े नेता
खास बात यह रही कि मामा साधु यादव भले ही तेजप्रताप के साथ दिखे, लेकिन इस दौरान राजद का कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा। तेजप्रताप के समर्थन में पार्टी का कोई बयान तक नहीं आया है। तेजप्रताप का जनता दरबार हो या धरना-प्रदर्शन, राजद नेताओं की भागीदारी नहीं दिख रही है। समर्थकों के अलावा केवल धर्मनिरपेक्ष स्वयंसेवक संघ (डीएसएस) के नेता-कार्यकर्ता व कुछ खास मित्र उनके साथ दिख रहे हैं।
बातों-बाताें में दे डाली चेतावनी
दरअसल, पार्टी पर पकड़ बनाने की कवायद में तेजप्रताप को राजद के बड़े नेताओं का साथ मिलता नही दिख रहा है। तेजप्रताप इसे महसूस कर रहे हैं। कहते हैं कि वे पिता लालू प्रसाद यादव के आशीर्वाद से पार्टी को मजबूत करने में लगे हैं। कहते हैं कि वे कृष्ण की भूमिका में अपने अर्जुन (तेजस्वी) के साथ हैं। तेजस्वी को अपना नेता व भावी मुख्यमंत्री मानते हुए वे यह चेतावनी देना भी नहीं भूलते कि पार्टी के लोग अगर गलत करेंगे ताे उन्हें बाहर किया जाएगा।
भाई तेजस्वी का भी नहीं मिल रहा साथ
तेजप्रताप भले ही विरोधियों को बाहर करने की बात करें, लेकिन सवाल यह खड़ा हो गया है कि पार्टी में उनके साथ कौन है। गुरुवार की बात करें तो उन्होंने बिहार में मोकामा के निर्दलीय बाहुबली विधायक अनंत सिंह के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने लालू यादव सबसे बड़े जनाधार वाला नेता बताया था। तेजप्रताप ने कहा कि अगर अनंत सिंह राजद या महागठबंधन में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। लेकिन शुक्रवार को तेजप्रताप के भाई व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने साफ-साफ कह दिया कि अनंत सिंह जैसे 'बैड एलिमेंट' के लिए महागठबंधन में कोई जगह नहीं है।
पार्टी बोली: हर कोई खुद को लालू न समझे |
स्पष्ट है, तेजप्रताप पार्टी पर पकड़ बनाते हुए तेजस्वी को मुख्यमंत्री प्रत्याशी बनाना चाहते हैं। लेकिन, इस मुद्दे पर पार्टी एकमत नहीं दिख रही। साथ ही इन दिनों राजनीतिक मंच पर तेजस्वी भी उनसे कटे दिख रहे हैं। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि राजद के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र कहते हैं कि हर आदमी खुद को लालू न समझे। वे कहते हैं कि पार्टी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हैं और तेजस्वी यादव राजद विधायक दल के नेता हैं।