Move to Jagran APP

कुशवाहा का नया दांव: नहीं छोड़ेंगे PM मोदी का साथ, अगर CM नीतीश मान लें ये बात

उपेंद्र कुशवाहा ने राजग में फिर नया दांव चला है। उन्‍होंने कहा है कि अगर शिक्षा में सुधार को लेकर उनकी 25 सूत्री मांगें सीएम नीतीश मान लें तो वे राजग में ही रहेंगे।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 02 Dec 2018 04:21 PM (IST)Updated: Mon, 03 Dec 2018 11:40 AM (IST)
कुशवाहा का नया दांव: नहीं छोड़ेंगे PM मोदी का साथ, अगर CM नीतीश मान लें ये बात
कुशवाहा का नया दांव: नहीं छोड़ेंगे PM मोदी का साथ, अगर CM नीतीश मान लें ये बात

पटना [जेएनएन]। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) सुप्रीमो व केंद्र की पीएम मोदी सरकार में मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में रहने के लिए फिर नई शर्त रखी है। उन्‍होंने कहा है कि अगर बिहार की नीतीश कुमार सरकार शिक्षा से संबंधित उनकी 25 सूत्री मांगें मान ले तो वे सभी अपमान भूलकर राजग में रहेंगे। साथ ही सीटों को लेकर अपने दावे को भी छोड़ देंगे।

prime article banner

विदित हो कि उपेंद्र कुशवाहा राजग और मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष प्रस्ताव रखा है कि अगर राज्‍य सरकार शिक्षा में को ले उनकी 25 सूत्री मांगों को लागू कर दें तो वे राजग में रहेंगे। कुशवाहा जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राजग में शामिल होने के पहले से बिहार में शिक्षा सुधार का अभियान चला रहे हैं। आम आदमी से जुड़े इस मुद्दे को सामने रख कुशवाहा ने राजग में अपना नया दांव चला है।

शिक्षा में सुधार के लिए कुशवाहा ने रखीं ये मांगें

कुशवाहा ने विभिन्न स्तर पर शिक्षकों की नियुक्ति तथा उनकी पात्रता के लिए ऑनलाइन व्यवस्था करने की मांग रखी है। साथ ही साल 2003 और उसके बाद के शिक्षकों के पुर्नमूल्यांकन पर बल दिया है।

कुशवाहा ने कहा है कि विद्यालयो में बीपीएससी के तर्ज पर आयोग द्वारा शिक्षकों की बहाली की जाए। इसमें

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद के निर्धारित मानकों को पूरा किया जाए।

कुशवाहा ने कहा है कि प्राथमिक स्‍कूलों में भी कम-से-कम एक विज्ञान के शिक्षक हो। उर्दू शिक्षको की भी नियुक्ति की जाए। सभी स्तरों पर नियुक्त शिक्षकों को समान वेतन दिया जाए तथा उन्‍हें गैर-शैक्षणिक कार्यों व मिड-डे-मील से पूर्णत मुक्त रखा जाए।

कुशवाहा ने सभी स्कूलो में छात्रों व शिक्षकों के लिए बायोमेट्रीक हाजिरी की व्यवस्था करने, प्रयोगशाला और पुस्तकालय की व्यवस्था करने, कक्षाओं में 75 फीसद उपस्थिति तथा सभी कक्षाओं में मूल्यांकन के बाद प्रोन्नति

की व्‍यवस्‍था करने की भी मांग रखी है। उन्‍होंने कहा है कि सत्र शुरू होने से पहले छात्रों को पुस्तकें मिलें तथा शिक्षा के अधिकार के तहत 25 फीसदी बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया जाए। साथ ही प्राइवेट सकूलों की मनमानी रोकी जाए।

उन्‍होंने कहा है कि विद्यालय-महाविद्यालय को समय पर अनुदान मिले। साथ ही संबंधन प्राप्त विद्यालयों व महाविद्यालयों में शिक्षकों की बहाली में आरक्षण रोस्टर का पालन किया जाए। तकनीकी व और अन्य शिक्षण संस्थानों में शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की भी बहाली हो। विद्यालयों व महाविद्यालयों में व्यवसायिक शिक्षकों की बहाली की भी मांग रखी।

उन्‍होंने छात्र संघ का चुनाव समय पर कराने, राज्य से बाहर पढ़ने वाले एसटी-एससी,पिछड़ा-अतिपिछडा वर्ग के छात्रों को समय पर छात्रवृत्ति देने तथा मदरसाें के आधुनिकीकरण पर भी बल दिया।

जनहित से जुड़े मुद्दे पर शहादत की कोशिश

कुशवाहा ने राजग में रहने के लिए ये मांग रखी है। माना जा रहा है कि शिक्षा, जिसे लेकर वे लंबे समय से अभियान चला रहे हैं, के गैर राजनीतिक मुद्दे पर वे राजग में दबाव बनाने की नई कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में अगर उनकी इस मांग को अगर तवज्‍जों नहीं दी जाती है तो वे जनहित से जुड़े मुद्दे पर राजग छोड़ शहीद होने की कोशिश करें तो आश्‍चर्य नहीं।

राजग में नहीं रहने की कई वजहें

कुशवाहा के राजग में नहीं रहने की वजहें भी हैं। सबसे बड़ी वजह: वे नीतीश से बराबरी करने में पिछड़ना है। इसके बाद कुशवाहा ने राजग में लोजपा से मिलकर वे तीसरी ताकत बनाने की कोशिश की, लेकिन इसमें भी विफल रहे। कुशवाहा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की कई कोशिशें की, लेकिन नाकाम रहे। भरपाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय मांगा तो वह भी नहीं मिला। ऐसे में इतना तो साफ है कि कुशवाहा बड़े फैसले के लिए माकूल मौके की तलाश में हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.
OK