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फिर नई मुश्किल में कुशवाहा: मांझी से मिले RLSP सांसद, कहा- एकजुट हों विरोधी दल

लोक सभा चुनाव में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर उपेंद्र कुशवाहा की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं। अब उनकी पार्टी के सांसद ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। मामला जानिए इस खबर में।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 11:06 AM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 11:06 AM (IST)
फिर नई मुश्किल में कुशवाहा: मांझी से मिले RLSP सांसद, कहा- एकजुट हों विरोधी दल
फिर नई मुश्किल में कुशवाहा: मांझी से मिले RLSP सांसद, कहा- एकजुट हों विरोधी दल

पटना [राज्य ब्यूरो]। राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा अभी दुविधा में हैं, लेकिन उनकी पार्टी के दूसरे सांसद डॉ. अरुण कुमार ने एनडीए से अलग होने की घोषणा कर दी है। उन्‍होंने पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी से मिलकर एनडीए विरोधी सभी दलों को एक मंच पर लाने के लिए कोई रास्ता निकालने का अनुरोध किया है।

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राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में रहने तथा महागठबंधन में जाने को लेकर रालोसपा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा दुविधा में हैं, लेकिन उनकी पार्टी के सांसद डॉ. अरुण कुमार ने अपना स्‍टैंड क्लियर कर उन्‍हें नई मुश्किल में डाल दिया है। वे पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुरूतानी अवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी से मिले। बताया जाता है कि उन्‍होंने मांझी से एनडीए विरोधी सभी दलों को एक मंच पर लाने के लिए कोई रास्ता निकालने का अनुरोध किया है।

यह मुलाकात मांझी के सरकारी आवास पर हुई। इससे पहले अरुण कुमार कह रहे थे कि उन्हें उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से तो परहेज है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पसंद करते हैं। लेकिन मांझी से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा- बिहार को बचाने के लिए एनडीए की सत्ता से विदाई जरूरी है। हम इसके लिए किसी से समझौता कर सकते हैं।

उन्‍होंने कहा कि राज्य की हालत लालू-राबड़ी शासन से बदतर है। अपराध और घोटाला-दोनों बढ़ रहे हैं। चारा घोटाला आठ सौ करोड़ का था। सिर्फ सृजन घोटाला आठ हजार करोड़ रुपए का है।

तकनीकी तौर पर रालोसपा में रहते हुए अरुण राष्ट्रीय समता पार्टी के नाम से एक पार्टी चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का किसी के साथ विलय नहीं होगा। सामाजिक न्याय उनका भी एजेंडा है। वह देख रहे हैं कि जदयू जैसी पार्टियां सामाजिक न्याय के नाम जनता को धोखा दे रही हैं। 


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