पटना में कई साल रहे राज, पहली बार आए सिनेपोलिस तो चल रही थी खुद की फिल्म Patna News
जागरण फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन मास्टर क्लास में कोटा फैक्ट्री फेम रंजन राज सिने प्रेमियों से रूबरू हुए। युवाओं से खचाखच भरे हॉल में जोरदार तालियों से उनका स्वागत किया गया।
अक्षय पांडेय, पटना। फिल्म कोटा फैक्ट्री के 'मीना' यानी रंजन राज पटना में कई साल रहे मगर पहली बार पीएंड एम मॉल के सिने पोलिस आए तो खुद की फिल्म बड़े पर्दे पर चल रही थी। 'मीना' के किरदार ने फिल्म में भले ही देर से इंट्री ली हो मगर जागरण फिल्म फेस्टिवल के दर्शकों पर ऐसी छाप छोड़ी जो काफी समय तक नहीं मिटेगी।
फिल्म कोटा फैक्ट्री खत्म होने के बाद जैसी ही मास्टर क्लास के लिए 25 साल के राज दर्शकों के बीच से अपनी कुर्सी छोड़ सोफे पर आए तो सभी अचंभित रह गए। युवाओं से खचाखच भरे हॉल में जोरदार तालियों से उनका स्वागत किया गया। राज ने बोला, यहीं वो तालियां हैं जो मुझे ऊर्जा देती हैं। राज जैसे फिल्म में दिख रहे थे वैसे ही बात-बात में वो हंसी-ठिठोली करते हुए कई संजीदा सवालों का जवाब दिए।
आइआइटी छोड़ थिएटर में रमा मन
रंजन राज ने बताया कि मैंने 11वीं और 12वीं की शिक्षा पटना से ली। अरवल में पैदा हुआ मगर राजधानी के हनुमान नगर में काफी समय बिताया। हर अभिभावक की तरह मेरे परिजन भी पढ़ा-लिखा कर इंजीनियर बनाना चाहते थे। मैंने भी तैयारी की और बॉम्बे आइआइटी में प्रवेश मिला। छह साल बॉम्बे आइआइटी में बिताए मगर मन थिएटर में ही रमा रहा। इसके बाद बीच में ही इंजीनियङ्क्षरग छोड़कर थिएटर करने लगा। ये जिक्र करते ही कि मैं पटना के सिनेपोलिस में पहली बार आया हूं और मेरी फिल्म चल रही है पर सिनेप्रेमियों ने तालियों की गडग़ड़ाहट से हॉल को गुंजायमान कर दिया।
एक साल में मिले पांच बेस्ट एक्टर अवार्ड
मंच से कई बार दैनिक जागरण फिल्म फेस्टिवल का धन्यवाद करते हुए रंजन ने बताया कि कोटा फैक्ट्री उनकी सातवीं वेब सीरीज है। इसके पहले कई शार्ट फिल्मों में काम किया। शुरुआती दिनों को याद करते हुए राज ने बताया कि उन्हें एक रियलिटी शो के ऑडिशन में रोल की मांग पर खरे न उतरने की वजह से रिजेक्ट कर दिया गया था, मगर हार नहीं मानी। रंजन ने कहा कि सफलता को अगर मापना है तो एक ही विकल्प है, कुछ करते रहिए। अगर आप कुछ कर रहे हैं तो सफल हैं।
खुद को प्रेरित करने के ढूंढ़ें तरीके
कैसे सिनेमा में खुद को करें स्थापित? सवाल के जवाब में कहा कि बड़े पर्दे की तलाश करने में समय न बिताएं। अब बहुत से मंच मौजूद हैं। अपना टीवीएफ (दि वायरल फीवर) और स्क्रीन पत्ती क्रिएट करें। एक छात्रा ने जब जीवन संघर्ष के बारे में जानना चाहा तो राज ने कहा, संघर्ष जीवन का एक पहलू है। मुझे भी कई बार निराशा होती है पर मैं प्रेरित होने के तरीके ढूंढ़ता रहता हूं। राज ने कहा कि हमें खुद के प्रति ईमानदार होना चाहिए। दूसरे हमें भविष्य के विकल्प बता सकते हैं पर लक्ष्य खुद से तय करना होगा।
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