जानिए क्या है रेलवे टेंडर घोटाला, कैसे फंस गया लालू परिवार
पटना स्थित आवास पर सीबीआइ ने तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी से चार घंटे तक पूछताछ की। यह पूछताछ रेलवे टेंडर घोटाला मामले में हुई। आज आपको बताते हैं इसकी पूरी कहानी...!
पटना [जेएनएन]। बहुचर्चित चारा घोटाले में रांची की विशेष सीबीआइ अदालत से एक के बाद कर कुल चार मामलों में सजा पाने के बाद दिल्ली एम्स में इलाज करा रहे राजद सुप्रीमो व उनके परिजनों की मुश्किलें कम होने के नाम नहीं ले रही हैं। रेलवे टेंडर घोटाले में सीबीआइ अब लालू प्रसाद, उनके परिजनों व अन्य अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने की तैयारी में है।
इस तैयारी के तहत ही सीबीआइ की एक टीम ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके पुत्र व पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पटना स्थित उनके सरकारी आवास में करीब चार घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान सीबीआइ के अधिकारियों ने राबड़ी देवी का बयान भी दर्ज किया।
सीबीआइ ने इस राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव से मंगलवार को उनके सरकारी आवास पर हुई करीब चार घंटे की इस पूछताछ की पुष्टि की है। साथ ही यह स्पष्ट किया कि उन दोनों से केवल पूछताछ की गई है। आवास की न तो कोई तलाशी ली गई है और न ही कोई छापा मारा गया है।
यह पूछताछ आइआरसीटीसी के रांची व पुरी स्थित दो होटलों को वर्ष 2006 में लंबे समय के लिए लीज पर दिए जाने में हुए कथित घोटाले को लेकर की गई। आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर किस तरह एक के बाद एक लालू परिवार के सदस्य इस घोटाले की जद में आते गए और उनकी मुश्किलें बढ़ती गई।
आइआरसीटीसी घोटाले में ऐसे फंसे लालू प्रसाद व उनके परिजन
- वर्ष 2006 में रेलवे ने रांची व पुरी स्थित अपने हेरिटेज बीएनआर के दो होटलों का टेंडर निकाला।
- आरोप है कि इस कांट्रैक्ट के बदले लंबे समय तक रेलवे के दो हेरिटेज होटलों को लीज पर लेने वाले विनय कोचर व विजय कोचर ने पटना के बेली रोड स्थित अपनी दो एकड़ जमीन डिलाइट ग्रुप को सौंप दी।
- डिलाइट ग्रुप की कंपनी राजद के राज्यसभा सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता की है।
- सीबीआइ का आरोप है कि पटना के बेली रोड स्थित यह दो एकड़ जमीन का बाजार मूल्य 32 करोड़ या उससे भी अधिक है।
- लेकिन डिलाइट ग्रुप की मालकिन सरला गुप्ता को यह जमीन केवल 65 लाख रुपये में दे दी गई।
- 2011 में डिलाइट ग्रुप के शेयर लालू प्रसाद के परिजनों को दे दिए गए।
- 2014 में लालू प्रसाद के परिजनों को डिलाइट ग्रुप का मालिकाना हक मिल गया।
- 6 फरवरी, 2014 को लालू प्रसाद के बड़े पुत्र तेजप्रताप यादव और छोटे पुत्र तेजस्वी यादव इस कंपनी के डायरेक्टर बनाए गए।
- 26 जून, 2014 को लालू प्रसाद व राबड़ी देवी की बेटी चंदा भी इस कंपनी की डायरेक्टर बनाई गई।
- फिर 5 अगस्त, 2014 को लालू-राबड़ी की अन्य बेटी रागिनी को भी डिलाइट ग्रुप का डायरेक्टर बनाया गया।
- 14 फरवरी, 2017 को डिलाइट ग्रुप का नाम बदलकर लारा कर दिया गया।
- लारा प्रोजेक्ट कंपनी में पहले लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, और बेटे तेजस्वी यादव का नाम था।
- बाद में लालू ने इस कंपनी से अपना नाम हटा लिया।
- सीबीआइ द्वारा लालू व उनके परिजनों के खिलाफ आइआरसीटीसी घोटाले में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले कोचर बंधुओं की दी हुई पटना के बेली रोड पर दो एकड़ के इसी भूखंड पर बिहार के सबसे बड़े मॉल का निर्माण चल रहा था।