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जब एक दिन के लिए ट्रैफिक हवलदार बने थे 'मनोज वाजपेयी'

मनोज वाजपेयी एक एेसे अभिनेता हैं जो अपने अंदर के कलाकार को जीते हैं। उनका कहना है कि मुझे लगता है कि मैं अच्छा काम करने के लिए ही पैदा हुआ हूं। उनकी आने वाली फिल्म है सात उचक्के।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 07 Sep 2016 08:54 AM (IST)Updated: Wed, 07 Sep 2016 11:11 PM (IST)
जब एक दिन के लिए ट्रैफिक हवलदार बने थे 'मनोज वाजपेयी'

पटना [काजल]। मनोज बाजपई का जन्म बिहार के नरकटियागंज के पास एक छोटे से गांव बेलवा में हुआ था।मनोज ने अपनी स्कूली पढ़ाई राजा हाई स्कूल, बेतिया जिले से की थी, इसके बाद वे सत्यवती कॉलेज गए जिसके बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज आ गए।

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मनोज वाजपेयी चार बार नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से खारिज कर दिए गए और उसके बाद उन्होंने बैरी ड्रामा स्कूल से बैरी जॉन के साथ थियेटर करना शुरु किया और आज मनोज बाजपेयी भारतीय हिन्दी फिल्म उद्योग बॉलीवुड के एक जाने माने अभिनेता हैं। मनोज को प्रयोगकर्मी अभिनेता के रुप में जाना जाता है।

मनोज वाजपेयी ने अपना फिल्मी कैरियर १९९४ मे शेखर कपूर निर्देशित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्म बैंडिट क्वीन से शुरु किया था लेकिन बॉलीवुड मे उनकी पहचान १९९८ मे राम गोपाल वर्मा निर्देशित फिल्म सत्या से बनी। इस फिल्म ने मनोज को उस दौर के अभिनेताओं के समकक्ष ला खड़ा किया। इस फिल्म के लिये उन्हे सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।

बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी की एक्टिंग का अंदाज तो दूसरे एक्टर्स से जुदा है ही, साथ ही उनकी फिल्मों के चुनाव का पैमाना भी एक अलग स्तर का ही होता है। मनोज अपनी फिल्म के किरदार को जीते हैं और तब अभिनय करते हैं, इसीलिए मई में जब उनकी फिल्म 'ट्रैफिक' रिलीज होने वाली ती तो मनोज उसकी रिलीज से पहले एक दिन के लिए ट्रैफिक हवलदार बने और मुंबई की ट्रैफिक को संभाला। उन्होंने इसके बाद बताया कि कैसे ट्रैफिक सिग्नलों को देखते हुए एक ट्रैफिक पुलिस की जिंदगी गुजरती है।

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इस फिल्म के बारे में मनोज ने कहा था कि सच्ची घटना पर आधारित फिल्म 'ट्रैफिक' लोगों को दिखाना आसान नहीं था। उन्होंने बताया था कि कैसे एक जिंदगी को बचाने के लिए कानून की रफ्तार पर भी लगाम लगाना पड़ता है।

उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी फिल्म थी जिसमें एक लड़की की जान बचाने के लिए मुंबई से पुणे तक के 150 मिनट के सफर में ट्रैफिक नियमों में थोड़ी ढील दी गई थी। अजूबा यह था कि बच्ची कि जान बचाने के लिए हार्ट ट्रांसप्लांट करना था, जिसमें मुंबई से पुणे तक एक जिंदा दिल को व्यस्त ट्रैफिक सिग्नल के बीच सही समय पर पहुंचाया गया था।'

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हमेशा बिंदास रहने वाले मनोज का कहना है कि मैं दिनचर्या का नियम से पालन करता हूं, मैं नियत समय पर उठता हूं, व्यायाम करता हूं, हर फिल्म के साथ जवान हो जाता हूं, भगवान करे कि ये बना रहे। मुझे लगता है कि मैं अच्छा काम करने के लिए ही पैदा हुआ हूं। अब मैं अपनी बेटी को बड़ा होते हुए देखना चाहता हूं।

क्यों हैं चर्चा में

मनोज बाजपेयी ने अपने आने वाली फिल्म सात उचक्के का पोस्टर अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया है। इस फिल्म में वो अनुपम खेर, के के मेनन, अनु कपूर और कई स्टार्स के साथ नजर आएंगे। लंबे अरसे से इस फिल्म के रिलीज की कयास लगाई जा रही थी आखिरकार मनोज बाजपेयी ने ट्वीट करके फिल्म का पोस्टर और रिलीज डेट शेयर की है।

पुरानी दिल्ली की बैकड्रॉप पर आधारित इस फिल्म में दिग्गज स्टार्स मजेदार अंदाज में कॉमेडी करते नजर आएंगे। कहानी सात ऐसे उचक्कों की है जो अलग-अलग तरह के काम करते हुए अपने ही जाल में उलझते चले जाते हैं। संजीव शर्मा के डायरेक्शन में फिल्म को वेव सिनेमाज और नीरज पांडे की कंपनी 14 अक्टूबर को रिलीज कर रही है।


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