मनीषा दयाल और चिरंतन कुमार का प्लान, जानिए ये रिश्ता क्या कहलाता है...
पटना के आसरा होम की संचालिका मनीषा दयाल और चिरंतन कुमार का रिश्ता काफी गहरा है। दोनों ने पैसे के लिए रसूख की बदौलत बहुत कुछ पा लिया।
पटना [प्रशांत कुमार]। बिहार में सैकड़ों एनजीओ हैं, लेकिन हर कोई मनीषा दयाल और चिरंतन की तरह कामयाब नहीं हो सकता। हर कोई ब्रजेश ठाकुर नहीं बन सकता। बताया जाता है कि पटना में आसरा गृह' खोलने से लेकर कई तरह के बड़े आयोजनों से मनीषा दयाल और चिरंतन ने खूब पैसा बनाया। लेकिन, दोनों की पोल तब खुल गई जब आसरा होम में दो लड़कियों की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई।
ये रिश्ता क्या कहलाता है...
आसरा गृह के क्रियाकलापों की जांच कर रही पुलिस टीम ने अनुमया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन की कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल और सचिव चिरंतन के निजी जिंदगी के बारे में भी पता लगाया। दोनों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल हुई हैं। तफ्तीश से मालूम हुआ है कि करीब सालभर पहले मनीषा के बड़े बेटे ने चिरंतन की पिटाई भी की थी।
चिरंतन बोरिंग रोड में कृष्णा अपार्टमेंट के पीछे एक मकान में किराए पर रहता है। थोड़ी दूरी पर आनंदपुरी मोहल्ले में एसएम विला स्थित फ्लैट संख्या 203 में मनीषा रहती है। उसके दो बेटे हैं। मनीषा मूलरूप से गया जिले की रहने वाली है। उसने कंकड़बाग के एक व्यक्ति से शादी की थी। फिर कुछ सालों बाद उससे अलग होकर बच्चों के साथ अकेली रहती थी।
चिरंतन और प्रेम कुमार से हैं मनीषा के गहरे संबंध
वहीं, एसआइटी मनीषा के करीबी प्रेम को भी हिरासत में लेकर पूछताछ करने की तैयारी में है। वह खुद को एक न्यूज एजेंसी का बिहार हेड बताता है। पड़ताल के क्रम में मालूम हुआ कि वह एजेंसी में कंप्यूटर तकनीशियन है। स्पेशल ब्रांच के अधिकारी भी गुप्त रूप से मनीषा और चिरंतन के जीवन के हर पहलुओं पर छानबीन कर रहे हैं। उनसे जुड़े लोगों के बारे में भी विस्तृत जानकारी हासिल की जा रही है। सोमवार की देर शाम दोनों के मोबाइल की एक माह की कॉल रिकॉर्ड निकाली गई, जिससे कई हैरतअंगेज जानकारी मिली है।
मनीषा दयाल की गिरफ्तारी के बाद उनसे जुड़े विपक्षी दल के कद्दावर नेता जो उसके रिश्तेदार बताए जाते हैं उन्होंने भी उससे किसी भी तरह के रिश्ते से इनकार किया है और कार्रवाई की मांग की है।
एक हाथ में पहुंच और पैरवी तो दूसरे में पैसा
मनीषा ने पति को छोड़ने के बाद सफलता व पैसा को प्राप्त करना मकसद बना लिया। चिरंतन कुमार की बात करें तो वह पटना के एक नामी स्कूल के मालिक का बेटा है। काफी अमीर है। मनीषा के दोनों हाथ अब भर गए थे। एक हाथ में पहुंच और पैरवी थी तो दूसरे में पैसा।
जानिए कैसे हुआ आसरा होम का पर्दाफाश
पटना आसरा होम की शुरुआती कार्रवाई में पटना पुलिस पर भी अंगुली उठी। क्योंकि, पुलिस ने उस शख्स को आसरा गृह में रहने वाली चार लड़कियों को भगाने और छेड़छाड़ के आरोप में जेल भेज दिया, जिसका नाम नागेंद्र उर्फ बनारसी है। उसकी उम्र 60 वर्ष है। महत्वपूर्ण है कि वही आसरा गृह कांड का व्हिसिल ब्लोअर है।
नेपाली नगर स्थित अनुमया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन के अधीन संचालित आसरा गृह से चार लड़कियों को भगाने के आरोप में जेल भेजे गए 60 वर्षीय नागेंद्र उर्फ बनारसी को दोषी साबित करने के चक्कर में पुलिस और संस्था खुद फंसती जा रही है।
प्राथमिकी में बनारसी के भगाने की शिकार बनी जिस लड़की को आसरा गृह की अधीक्षक रेणु सिन्हा ने मानसिक विक्षिप्त बताया है, कांड की अनुसंधानकर्ता मधु कुमारी ने सोमवार को कोर्ट में उसका ही बयान दर्ज करा दिया। मंगलवार को रेणु का बयान भी कलमबद्ध कराया गया।
कानून विशेषज्ञों का कहना है कि प्राथमिकी और लड़की का बयान विरोधाभासी है। प्राथमिकी में किसी लड़की को मानसिक विक्षिप्त कहने पर मेडिकल रिपोर्ट संलग्न करना अनिवार्य है। अगर वह मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर विक्षिप्त साबित हो जाती है तो कोर्ट में उसका बयान मान्य नहीं रहेगा।
ऐसे में साफ है कि पुलिस और संस्था की मिलीभगत से आरोपित को दोषी साबित करने का प्रयास किया जा रहा है। कोर्ट से साथ जालसाजी करने पर अनुसंधानकर्ता और शिकायतकर्ता दोनों पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
मोहल्ले के लोगों ने की थी शिकायत
आसरा गृह में दो संवासिनों की मौत पर जांच के लिए पहुंचे पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों से मोहल्ले के दर्जनों लोगों ने बनारसी को रिहा करने की मांग की थी। बनारसी के घरवालों ने सांसद पप्पू यादव से भी निष्पक्ष जांच कराने की गुहार लगाई है।
मनीषा-चिरंतन से जुड़ी मिलीं हैरतअंगेज जानकारियां
समाजसेवी, इवेंट ऑर्गेनाइजर और शिक्षाविद के रूप में पहचान बनाने वाली मनीषा दयाल और उसके सहयोगी चिरंतन के बारे में पुलिस को एक और हैरतअंगेज जानकारी मिली है। मनीषा और चिरंतन विदेशों में नौकरी दिलाने का भी ठेका लेते थे।
डीएसपी विधि-व्यवस्था मनोज कुमार सुधांशु के नेतृत्व में सोमवार की देर रात उनके कृष्णा अपार्टमेंट स्थित कार्यालय में हुई छापेमारी के बाद इसका खुलासा हुआ। टीम ने वहां से विदेशों में नौकरी लगाने का दावा करने से संबंधित कई कागजात बरामद किए हैं।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड सहित अन्य देशों में विभिन्न पदों पर नौकरी पाने के इच्छुक उम्मीदवारों के बायो-डाटा, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, पहचानपत्र आदि मिले हैं। आशंका है कि इस धंधे से भी उन्होंने मोटी रकम कमाई। पुलिस जल्द चिरंतन के विवेकानंद पथ स्थित स्कूल की भी तलाशी लेगी। छापेमारी के दौरान आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) और स्पेशल ब्रांच के अधिकारी भी मौजूद थे।
नेताओं और अधिकारियों से संबंध पर उठे सवाल
रिमांड पर आसरा गृह की संचालिका सह कोषाध्यक्ष मनीषा दयाल से नेताओं और अधिकारियों के साथ उनके संबंध को लेकर पुलिस ने कई सवाल किए। एक आइएएस दंपती का भी नाम सामने आया है, जिन्होंने समाज कल्याण विभाग की वित्तषोषित योजना के तहत मनीषा के अनुमया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन को आसरा गृह के संचालन की अनुमति दिलाई।
उससे यह भी पूछा गया कि अब तक उसने और चिरंतन ने किस-किस स्रोतों से आमदनी की? कितने आयोजन साथ कराए? पति से दांपत्य संबंधों पर भी पुलिस ने चर्चा की। सूत्र बताते हैं कि ताबड़तोड़ सवालों के बौछार से मनीषा काफी परेशान दिखी। उसके कई ठिकाने हैं, जिसके बारे में वह अब तक कुछ भी खुल कर नहीं बता रही है। मनीषा और चिरंतन से राजधानी के एक थाने में गुप्त रूप से पूछताछ की जा रही है।
चिरंतन के मोबाइल में मिले कई संदिग्ध नंबर
चिरंतन के मोबाइल से पुलिस को कई संदिग्ध नंबर मिले हैं। हालांकि वह किस तरह के लोगों के नंबर हैं, इसके बारे में पुलिस ने अब तक खुलासा नहीं किया है। सूत्रों की मानें तो उसके तार मुम्बई, दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों के ऐसे लोगों से जुड़े हैं, जो समाजसेवा के नाम पर बिजनेस करते हैं। चिरंतन भी ज्यादातर बातें वाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से करता था। वह कौन लोग हैं, इसके बारे में भी
जिस गाड़ी से हुई गिरफ्तार वह विधायक की निकली
राजीव नगर स्थित आसरा शेल्टर होम की संचालिका मनीषा दयाल की जिस पजेरो गाड़ी से गिरफ्तारी हुई, वह रीगा के कांग्रेस विधायक अमित कुमार टुन्ना के भाई और रांची के बड़े ठेकेदार उदय प्रताप की है। हालांकि, रीगा विधायक ने कहा कि उनके भाई ने उक्त गाड़ी बेच दी है।
एनओसी नहीं आने के कारण गाड़ी का तत्काल ट्रांसफर नहीं हो सका है। जब्त वाहन (बीआर 30 ई-0001) के बारे में जानकारी के लिए जिला परिवहन पदाधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन, पता चला कि वे दिल्ली गए हैं। पजेरो का निबंधन सीतामढ़ी डीटीओ आफिस से विधायक के भाई के नाम पर हुआ था।