Move to Jagran APP

आखिर पप्पू यादव और तेजस्वी के बीच घमासान की क्या है वजह, जानिए

जाप सुप्रीमो पप्पू यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच की अदावत के चार साल हो रहे हैं। अाखिर तेजस्वी और पप्पू यादव के बीच क्यों है विवाद, जानिए इस खबर में

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 12:45 PM (IST)Updated: Sun, 10 Feb 2019 02:02 PM (IST)
आखिर पप्पू यादव और तेजस्वी के बीच घमासान की क्या है वजह, जानिए
आखिर पप्पू यादव और तेजस्वी के बीच घमासान की क्या है वजह, जानिए

पटना, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर मैदान में उतर रहे तेजस्वी यादव ने सुपौल में पप्पू की सहमति के बिना कांग्रेसी सांसद के खिलाफ अपनी सभा क्यों की? राजनीति के जानकार इसे लालू के जनाधार को छीनने-बचाने का झगड़ा बताते हैं। पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन के संसदीय क्षेत्र सुपौल में तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को दावा किया कि वहां की जनता उनके साथ है। 

loksabha election banner

पप्पू और तेजस्वी की सियासी अदावत और महागठबंधन में सीट बंटवारे के पेच की कहानी अलग-अलग नहीं है। दोनों के तार दूसरे से जुड़ते हैं। पिछले तीन साल से लालू की विरासत को आगे बढ़ा रहे तेजस्वी को पप्पू ने सियासी मान्यता अभी तक नहीं दी है।

लालू के जनाधार को पप्पू खुद हथियाने की कोशिश में हैं। इसके लिए पप्पू को अबकी कांग्र्रेस का सहारा चाहिए, जो तेजस्वी को गवारा नहीं है। महागठबंधन में महाभारत की मुख्य वजह यही है। बाहुबली विधायक अनंत सिंह की कांग्रेस से दावेदारी या अन्य मसले सिर्फ बहाने हैं।

गुरुवार को तेजस्वी ने बेरोजगारी हटाओ-आरक्षण बढ़ाओ यात्रा की शुरुआत की थी तो दरभंगा उनका पड़ाव भर था, असली मंजिल तो सुपौल थी। सुपौल, जहां से मोदी लहर में भी रंजीता ने 60 हजार से अधिक मतों से अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी को परास्त किया था। पप्पू से अदावत के चलते तेजस्वी अबकी रंजीता के लिए भी सुपौल में रेड कारपेट नहीं चाह रहे हैं। इसीलिए राजद समर्थकों ने सुपौल की सभा को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। 

चार साल से चल रही अदावत 

पप्पू यादव और तेजस्वी की सियासी दुश्मनी ज्यादा पुरानी नहीं है। पिछली बार पप्पू राजद के टिकट पर सांसद चुने गए थे। लालू को राजनीतिक ढलान की ओर बढ़ते देखकर पप्पू ने विरासत हथियाने के लिए जोर तो लगाया किंतु लालू को यह स्वीकार नहीं हुआ, जिसके बाद तेजस्वी को निर्विवाद उत्तराधिकारी बनाने के लिए उन्होंने पप्पू को दल में तो बनाए रखा, लेकिन दिल से निकाल दिया। पप्पू सांसद बने रहे, लेकिन लालू के दिल से बाहर हो गए। 

लालू से पुराना है पप्पू का वास्ता 

दोनों के बीच लगाव-अलगाव का सिलसिला तभी से चला आ रहा है, जब पप्पू पहली बार 1990 में मधेपुरा से निर्दलीय सांसद चुने गए थे। पप्पू के प्रभाव को देखते हुए ही लालू ने पिछले संसदीय चुनाव में मधेपुरा से जदयू प्रत्याशी शरद यादव को सबक सिखाने के लिए उन्हें राजद की ओर से मैदान में उतारा।

शरद को परास्त कर लालू के भरोसे पर पप्पू पास भी हो गए। किंतु इसके तुरंत बाद पप्पू की नजर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनावी राजनीति से निष्क्रिय कर दिए गए लालू की राजनीतिक विरासत पर जम गईं, जो अभी तक हटी नहीं है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.