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किस्मत ने ली करवट, जानें कैसे अर्श से फर्श पर पहुंचीं बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा

किस्मत कब किसका साथ दे और किसका साथ छोड़ दे, ये कोई नहीं जानता। बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के सितारे कभी बुलंदियों को छू रहे थे। कभी मंत्री रहीं मंजू आज जेल में हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 03:43 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 12:17 AM (IST)
किस्मत ने ली करवट, जानें कैसे अर्श से फर्श पर पहुंचीं बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा
किस्मत ने ली करवट, जानें कैसे अर्श से फर्श पर पहुंचीं बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा

पटना [काजल]। किस्मत कैसे करवट लेती है और कोई कैसे अर्श से फर्श पर पहुंचता है, इसका उदाहरण हैं बिहार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा।  मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड मामले में आरोप लगने के बाद कुर्सी गंवाने वाली तथा आर्म्स एेक्ट के एक मामले में फरार चल रहीं बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने अचानक नाटकीय ढंग से बेगूसराय के मंझौल कोर्ट में मंगलवार को सरेंडर कर दिया। मंजू के फरार होने और उनकी गिरफ्तारी नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार और बिहार पुलिस को जमकर फटकार लगाई।
पति के कारण मंजू अर्श से आ गयीं फर्श पर 
कभी राज्य के समाज कल्याण विभाग को संभालने वाली नीतीश सरकार की कैबिनेट में इकलौती महिला मंत्री रहीं मंजू वर्मा अपने और पद और प्रतिष्ठा के लिए जानी जातीं थीं। लेकिन पति की वजह से उन्हें पद, प्रतिष्ठा, पार्टी व पैसा चारों से हाथ धोना पड़ा। मंजू वर्मा के भाग्य ने इस बार कुछ एेसी करवट बदली कि वो अर्श से फर्श पर पहुंच गईं। सरेंडर करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। आरोप साबित हो जाएं तो उन्हें तीन साल की सजा हो सकती है।

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कभी मंजू वर्मा के किस्मत के सितारे रहे बुलंद
कभी पंचायत का चुनाव हारने वाली मंजू वर्मा की किस्मत ने करवट ली थी और नीतीश मंत्रिमंडल में वो अहम स्थान पाने में कामयाब रहीं थीं। खगड़िया जिले के अलौली निवासी स्वतंत्रता सैनानी रामशोभा सिंह की पुत्री इंटर पास मंजू वर्मा की शादी वर्ष 1978 में चेरियाबरियारपुर के अर्जुनटोल निवासी सुखदेव महतो के पुत्र चन्द्रशेखर वर्मा के साथ हुई थी।

राजनीति उनको ससुराल की विरासत में मिली। उनका अपने ससुर सुखदेव महतो से कभी बना नहीं। मंजू वर्मा के ससुर सुखेदव महतो 1980 से 1985 चेरिया बरियारपुर विधानसभा से सीपीआइ के विधायक थे। 1985 में टिकट कट जाने के बाद नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 
चलाया करती थीं ब्यूटी पार्लर
किसी तरह अर्जुन टोल में जिंदगी गुजारने वाली मंजू वर्मा अपने अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए वर्ष 1997 में बच्चे और पति को लेकर पटना आ गईं। यहां उन्होंने कभी टेलीफोन बूथ, किराना आदि की  दुकान खोल ली, फिर ब्यूटी पार्लर भी खोला। बच्चे जब नौकरी करने लगे तो मंजू वर्मा अपनी ससुराल वापस अर्जुन टोल लौट गईं और पंचायत की राजनीति करने लगीं। 

अच्छी नहीं रही शुरुआत, बाद में किस्मत ने दिया साथ
मंजू वर्मा की राजनीति की शुरुआत अच्छी नहीं रही। सबसे पहले मंजू वर्मा ने 2006 में अपने गांव श्रीपुर पंचायत से पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और हार गईं। लेकिन उसके बाद 2010 में किस्मत तो कुछ ऐसा साथ दिया उन्हें चेरिया बरियारपुर से जदयू का टिकट मिल गया और नीतीश कुमार की लहर में उनके सितारे चमक उठे।  

 

उसके बाद मंजू वर्मा पहली बार विधानसभा की सदस्य बनीं। फिर 2015 में उन्हें महागठबंधन का फायदा मिला और वो फिर जदयू के टिकट पर से चुनाव जीत गईं। नवंबर 2015 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी महागठबंधन की सरकार में वो समाज कल्याण मंत्री बनीं। गठबंधन बदला लेकिन विभाग मंजू वर्मा के पास ही रहा।  
कौन हैं मंजू के पति चंद्रशेखर वर्मा
60 वर्षीय चंद्रशेखर वर्मा के परिवार का राजनीति पुराना नाता रहा है, लेकिन वो कभी खुद चुनाव नहीं लड़े। शुरू में वे सीपीआइ और फिर भाकपा माले से जुडे़।1995 से 2003 तक भाकपा माले में रहे। इसके बाद 2003 में लालू यादव की शरण में चले गए। 2005 में उन्होंने अनिल चौधरी को जिताने में मदद की, मगर अपनी दाल नहीं गलती देख 2007 में जदयू का दामन थाम लिया।

 

इसका फायदा यह हुआ कि 2010 में पत्नी मंजू वर्मा पार्टी का टिकट पा गईं और जीत हासिल किया तो जदयू  ने चंद्रशेखर वर्मा को भी राज्य परिषद का सदस्य बनाया। कहा जाता है कि समाज कल्याण विभाग पर चंदेश्वर वर्मा की अच्छी पकड़ है और विभाग के कामकाज में इनका समान रूप से दखल रहता था।

मंजू के राजनीतिक करियर पर लगा ग्रहण
अपने छोटे से ही राजनीतिक जीवन में मंजू वर्मा ने बड़ी उपलब्धि हासिल की। लेकिन राजनीति में सितारे की तरह चमकने वाली मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा पर बालिका गृह यौनशोषण जैसे मामले में आरोप लगे और उनकी चमक फीकी पड़ गई। आर्म्स एक्‍ट के मामले में गिरफ्तारी के आदेश के बाद दोनों फरार हो गए और फिर कोर्ट में सरेंडर कर दिया। 

 

मंजू वर्मा ने आनन-फानन में दिया था इस्तीफा
मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड में सीबीआइ ने ब्रजेश ठाकुर का फोन कॉल खंगाला तो पता चला था कि मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा की बालिका गृह मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से बातचीत होती थी। कोर्ट में पेशी के दौरान ब्रजेश ठाकुर ने भी मीडिया के सामने सार्वजनिक तौर पर यह कबूल किया कि फोन पर उसकी बातचीत चंद्रशेखर वर्मा से हुआ करती थी।

 

उसके कबूलनामे के ठीक दो घंटे बाद अचानक मंत्री मंजू वर्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने पहुंचीं और अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया। अपने इस्तीफे के कुछ देर के बाद मंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत की जिसमें उन्होंने बार-बार ये कहा कि मेरे पति निर्दोष हैं। सीबीआइ की जांच में सब खुलासा होगा। सीबीआइ की जांच में अहम खुलासा हुआ और अवैध कारतूस के मामले में मंजू और चंद्रशेखर वर्मा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।


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