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पंचायत चुनाव हारने वाली मंजू वर्मा कैसे बन बैठीं मंत्री, जानिए पूरी कहानी

मंजू वर्मा जो कि चेरिया बरियारपुर से जदयू की टिकट पर चुनाव जीतकर नीतीश सरकार में मंत्री बनीं थीं। वो पहले पंचायत का चुनाव भी हार गई थीं। पति के रसूख ने उन्हें यहां तक पहुंचाया।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 09 Aug 2018 03:17 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 11:12 PM (IST)
पंचायत चुनाव हारने वाली मंजू वर्मा कैसे बन बैठीं मंत्री, जानिए पूरी कहानी
पंचायत चुनाव हारने वाली मंजू वर्मा कैसे बन बैठीं मंत्री, जानिए पूरी कहानी

पटना [जेेएनएन]। मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड मामले में आरोप लगने के बाद बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने अपने पद से बुधवार को इस्तीफा दे दिया। लेकिन मंत्री मंजू वर्मा अपने पति चंदेश्वर वर्मा की वजह से सुर्खियों में हैं। उनके पति पर आरोप है कि वो अक्सर बालिका गृह में जाया करते थे और अधिकारियों को नीचे छोड़ खुद बच्चियों के पास जाते थे। 

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मंत्री मंजू वर्मा को लेकर पूरा विवाद उनके पति चंदेश्वर वर्मा को लेकर है। लेकिन मंत्री बार-बार ऊंची आवाज में कह रही हैं कि उनके पति निर्दोष हैं। बालिका गृह की बच्चियों ने तोंद वाले अंकल कहकर क्या इशारा किया ये तो बाद की बात है, लेकिन उनके पति को लेकर सीपीओ रवि रौशन की पत्नी ने यह खुलासा किया कि मंत्री के पति बालिका गृह आते थे। 

कभी ब्यूटी पार्लर चलाने वाली मंजू वर्मा कैसे बनी मंत्रीं

बिहार की समाज कल्याण मंत्री रहीं 49 वर्ष की मंजू वर्मा कभी अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए पटना आ गयी थीं और यहीं ब्यूटी पार्लर चलाया करती थीं। राजनीति उनको ससुराल की विरासत में मिली। मंजू वर्मा के ससुर सुखेदव महतो 1980 से 1985 चेरिया बरियारपुर विधानसभा से सीपीआई के विधायक थे। 1985 में टिकट कट जाने के बाद नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन वो चुनाव हार गए। 

अच्छी नहीं राजनीतिक शुरुआत, बाद में चमके सितारे

मंजू वर्मा की राजनीति की शुरुआत अच्छी नहीं रही सबसे पहले मंजू वर्मा ने 2006 में अपने गांव श्रीपुर पंचायत से पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और हार गई। लेकिन उसके बाद 2010 में किस्मत तो कुछ ऐसा साथ दिया उन्हें चेरिया बरियारपुर से जेडीयू का टिकट मिल गया और नीतीश कुमार की लहर में उनके सितारे चमक उठे।  

उसके बाद मंजू वर्मा पहली बार विधानसभा की सदस्य बनीं। फिर 2015 में उन्हें महागठबंधन का फायदा मिला और वो फिर जेडीयू के टिकट पर से चुनाव जीत गईं। नवंबर 2015 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी महागठबंधन की सरकार में वो समाज कल्याण मंत्री बनीं और तब से अबतक गठबंधन बदला लेकिन विभाग मंजू वर्मा के पास ही रहा।  

कौन हैं मंजू के पति चंदेश्वर वर्मा

60 वर्षीय चंदेश्वर वर्मा के परिवार का राजनीति पुराना नाता रहा है, लेकिन वो कभी खुद चुनाव नहीं लड़े। शुरू में वह सीपीआई और फिर भाकपा माले से जुडे़।1995 से 2003 तक भाकपा माले में रहे। इसके बाद 2003 में लालू यादव की शरण में चले गए। 2005 में उन्होंने अनिल चौधरी को जिताने में मदद की, मगर अपनी दाल नहीं गलती देख 2007 में जदयू का दामन थाम लिया।

इसका फायदा यह हुआ कि 2010 में पत्नी मंजू वर्मा पार्टी का टिकट पा गईं और जीत हासिल किया तो जदयू  ने चंदेश्वर वर्मा को भी राज्य परिषद का सदस्य बनाया। कहा जाता है कि समाज कल्याण विभाग पर चंदेश्वर वर्मा की अच्छी पकड़ है और विभाग के कामकाज में इनका समान रूप से दखल रहता था।

मंजू वर्मा के राजनीतिक कैरियर पर लगा ग्रहण

अपने छोटे से ही राजनीतिक जीवन में मंजू वर्मा ने बड़ी उपलब्धि हासिल की, लेकिन राजनीति में सितारे की तरह चमकने वाली मंजू वर्मा और उनके पति चंदेश्वर वर्मा पर बालिका गृह यौनशोषण जैसे मामले में आरोप लगा और उनकी चमक फीकी पड़ गई।

सीपीओ की पत्नी ने किया था खुलासा  

 

मंजू वर्मा और उनके पति दोनों तब लाइमलाइट में आए जब मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौनशोषण कांड में गिरफ्तार चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर रवि रौशन की पत्नी शिवा ने आरोप लगाया कि मंत्री के पति अक्सर ब्रजेश ठाकुर के बालिका गृह में आते थे उनसे भी पूछताछ की जाए।

हालांकि उसके आरोप के बाद मंजू वर्मा और उनके पति चंदेश्वर वर्मा के खिलाफ कोई सबूत नहीं होने के आधार पर मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री ने उनका बचाव किया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने घटना को शर्मनाक बताया था और कहा था कि इस मामले में सबूत मिलने पर किसी को नहीं बख्शा जाएगा चाहे वह कोई मंत्री ही क्यों ना हो।

मंजू वर्मा ने आनन-फानन में दिया इस्तीफा, लगाए आरोप 

वहीं मंगलवार को सीबीआइ ने ब्रजेश वर्मा के फोन का कॉल डिटेल्स खंगाला तो पता चला कि चंदेश्वर वर्मा की बालिका गृह मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से बातचीत का खुलासा हुआ। फिर बुधवार को कोर्ट में पेशी के दौरान ब्रजेश ठाकुर ने मीडिया के सामने सार्वजनिक तौर पर यह कबूल किया कि फोन पर उनकी बातचीत चंदेश्वर वर्मा से हुआ करती थी।

उसके बयान के ठीक दो घंटे बाद अचानक मंत्री मंजू वर्मा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने पहुंची और अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया। अपने इस्तीफे के कुछ देर के बाद मंत्री ने संवाददाताओं से बातचीत में बार-बार कहा कि मेरे पति निर्दोष हैं। सीबीआइ की जांच में सब खुलासा होगा।

उन्होंने ये भी कहा है कि ब्रजेश ठाकुर से जिस-जिसने बात की सबका कॉल डिटेल्स निकाला जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने सीबीआई और कोर्ट पर आस्था जताते हुए कहा कि जांच में पति के निर्दोष पाए जाने पर वह आरोप लगानेवालों पर मानहानि का केस करने की बात भी की है।

हो सकती है मंजू वर्मा के पति से पूछताछ

जानकारी के मुताबिक मंजू वर्मा के पति चंदेश्वर वर्मा और बालिका गृह के आरोपी ब्रजेश ठाकुर के संबंध का अहम  खुलासा हो सकता है, क्योंकि सीबीआइ को दोनों के साथ दि्ल्ली टूर के भी सबूत मिले हैं और अब उसका पता लगाया जा रहा है कि दोनों एक साथ कितनी बार गए और किसलिए गए? वहीं चंदेश्वर वर्मा का लोकेशन भी मुजफ्फरपुर का ट्रेस हुआ है। इस आधार पर सीबीआइ अब मंजू वर्मा के पति से पूछताछ कर सकती है। 

 


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