Move to Jagran APP

ईद पर विशेष: पटना के इन ईदगाहों में कुबूल होतीं दुआएं, जानिए

पूरे देश में आज ईद धूमधाम से मनाई जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं पटना के ईदगाहों के बारे में, जहां लोग खुदा की इबादत में सर झुकाते हैं। यहां शांति महसूस होती है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 16 Jun 2018 10:28 AM (IST)Updated: Sat, 16 Jun 2018 10:39 PM (IST)
ईद पर विशेष: पटना के इन ईदगाहों में कुबूल होतीं दुआएं, जानिए
ईद पर विशेष: पटना के इन ईदगाहों में कुबूल होतीं दुआएं, जानिए

पटना [जेएनएन]। ईद की रौनक पटना में खूब दिखती है और सबसे ज्यादा दिखती है ईद की सुबह ईदगाहों में। राजधानी में कई पुराने ईदगाह हैं, जहां नमाजी अमन-चैन की दुआ करते हैं। हर ईदगाह अपने अंदर एक कहानी समेटे है। कई यादें हैं। यहां सजदे में सिर झुकते हैं तो भाईचारे के साथ हर वर्ग के लोग गले भी मिलते हैं। आज बात पटना की ईदगाहों की।

loksabha election banner

 इत्र की खुशबू से महकता है गांधी मैदान

शहर की हृदयस्थली कहे जाने वाले गांधी मैदान में आजादी के पहले से ईद मनाने की परंपरा रही है। जो आज भी अनवरत चल रही है। गांधी संग्रहालय के रजी अहमद पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताते हैं, ईद के दिन शहर की आब-ओ-हवा बदली रहती थी। ईदगाह में जाने के लिए हर मोहल्ले से टोलियां निकलती थीं।

बड़े-बुजुर्गों का हाथ पकड़ बच्चे भी ईदगाह का रुख करते थे। मैदान में सभी एक जगह जमा होकर एक दूसरे से गले मिलकर बधाई देते थे। सफेद कपड़ों में सजे लोगों से आ रही इत्र की खुशबू पूरे मैदान का माहौल बदल देती थी।

गांधी मैदान के अंदर और बाहर खाने-पीने, खिलौने आदि की छोटी-मोटी दुकानें लगती थीं। जहां बच्चे अपने अभिभावक का हाथ पकड़े दुकान की ओर जाते हुए दिखते थे। रास्ते से गुजरने के बाद परिचित  लोगों से गले लगकर ईद की मुबारकबाद देते थे। उस दौरान आज की तरह असुरक्षा का माहौल नहीं था। पुलिस-प्रशासन की कोई जरूरत नहीं थी। सभी मजहब के लोग एक दूसरे का सहयोग कर ईद को यादगार बनाने की तैयारी करते थे।

चलता रहता था गले मिलने का सिलसिला

बिहार उर्दू निदेशालय के इम्तियाज अहमद करीमी की मानें तो समय के साथ ईदगाह का माहौल बदल गया। पहले वाली बात आज की नई पीढिय़ों में नहीं है। ईदगाह पर जाने के लिए बच्चों में काफी उत्सुकता रहती थी। आसपास रहने वाले लोगों के बीच आपसी सौहार्द बना रहता था।

ईदगाह जाने के दौरान गरीबी-अमीरी का भाव नहीं था। सभी एक दूसरे का सहयोग करते थे। ईद की मुबारकबाद देने के लिए लोगों की टोलियां गांधी मैदान की ओर रुख करती थीं। रास्ते में एक दूसरे से गले मिलने का सिलसिला चलता रहता था।

बच्चों को खासकर ईदगाह में ले जाया जाता था। जिससे उनमें संस्कार का बीज-रोपण हो सके। आज आबादी बढऩे के साथ नई पीढ़ी अपनी परंपरा से कटती जा रही है। बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर का भाव न के बराबर होता जा रहा है।

250 वर्ष से भी प्राचीन है शाही ईदगाह 

अशोक राजपथ स्थित भद्रघाट द्वार के दक्षिण की सड़क इस ईदगाह तक पहुंचती है। इसके दो मुख्य द्वार हैं। करीब 35 हजार लोग हर वर्ष ईद-बकरीद की नमाज अदा करने के लिए शहर के विभिन्न इलाकों से यहां जमा होते हैं। ईदगाह परिसर में कब्रिस्तान भी है।

खानकाह इमादिया मंगल तालाब के सज्जादानशीं सैयद शाह मिस्बाहुल हक इमादी ने बताया कि आरंभ से ही इसी खानकाह के सज्जादानशीं इस ईदगाह में नमाज पढ़ाते रहे हैंं। पहली नमाज शाह अली अमीरुल हक ने पढ़ाई थी। इस ईदगाह के परिसर को विकसित किया जाना है।

यहां लगे पत्थर काफी पुराने हो चुके हैं। इसकी जगह नया पत्थर लगाने, पश्चिम की मोटी और लंबी दीवार का निर्माण कराने, परिसर की कच्ची भूमि का पक्कीकरण किया जाने की योजना है। खास बात यह है कि इस ईदगाह में चारों ओर हरियाली है। इससे आसपास बसी आबादी को स्वच्छ हवा मिलती रहती है। 

दो एकड़ में है शनिचरा ईदगाह

कई कॉलोनियों और घनी आबादी के बीच स्थित शनिचरा ईदगाह में ईद और बकरीद की नमाज पढऩे के लिए 25 हजार से अधिक लोग पहुंचते हैं। दूसरे शहरों से भी नमाजी इस ईदगाह में आते हैं। इमारत अहले हदीस सादिकपुर ङ्क्षहद के अधीन इस ईदगाह की दो मीनार दूर से ही नजर आती है। करीब दो एकड़ में फैली इस ईदगाह की जमीन को ऊंचा करने का काम किया जा रहा है।

ईदगाह के व्यवस्थापक गाजी ने बताया कि हकीम अब्दुल हकीम सादिकपुर ने इसकी बुनियाद रखी थी। मौलाना अब्दुस्समी जाफरी ने इसे विकसित कराया। मेरे नेतृत्व में इस ईदगाह का विकास कार्य चल रहा है।

पोस्ट ऑफिस के नाम पर पड़ा ईदगाह का नाम

दानापुर पोस्ट ऑफिस ग्र्राउंड में ईदगाह में सैकड़ों वर्षों से नगर के मुस्लिम भाई ईद की नमाज अदा करते आ रहे हैं। दानापुर छावनी क्षेत्र के आरा गोलंबर के निकट दानापुर पोस्ट ऑफिस होने के कारण इस ईदगाह का नाम पोस्ट ऑफिस ग्र्राउंड ईदगाह पड़ा। आज भी ईद की नमाज पूरे उल्लास के साथ अदा की जाती है।

पूर्व विधान पार्षद प्रो. गुलाम गौस ने बताया कि वे करीब 25-30 वर्ष से इस ईदगाह में नमाज अदा करते आ रहे हैं। यहां सैकड़ों वर्षों से नमाज अदा होती आ रही है।

उन्होंने बताया कि अजीम साह के समय से यहां नमाज अदा की जाती है। दानापुर के मुस्लिम भाई ईद पर यहां नमाज अदा कर एक दूसरे से गले मिल कर बधाई देते हैं। यहां पूर्व विधान सभा अध्यक्ष गुलाम सरबर भी नमाज अदा करने आते थे। छावनी क्षेत्र के पूर्व वार्ड पार्षद मासूम अली ने बताया कि वर्षो से यहां ईद की नमाज होती आ रही है। नमाज के लिए प्रशासन द्वारा भी व्यवस्था की जाती है।

वेटनरी ईदगाह में 10 हजार लोग अदा करते हैं नमाज

पटना के गांधी मैदान के बाद सबसे ज्यादा नमाजियों की जमात वेटनरी ईदगाह में लगती है। ईदगाह के सेक्रेटरी मौलाना इम्तियाज खान ऊर्फ टेनी खान ने बताया कि वेटनरी ईदगाह में समनपुरा, खाजपुरा, राजाबाजार, शेखपुरा, समेत आस-पास के कई स्थानों से ईद की नमाज अदा करने के लिए लोग पहुंचते है।

समनपुरा पुरानी मस्जिद के इमाम मौलाना नेयाज अहमद की इमामत में ईद की नमाज अदा की जाती है। 19 हजार स्क्वायर फीट में बनी इस ईदगाह में 10 हजार लोग ईद की नमाज अदा करते हैं।

इम्तियाज खान ने बताया, 100 वर्ष पहले इस ईदगाह के लिए समनपुरा के जमींदार इद्दु खान, मो. तकी खान, व मो. गनी खान ने 19 हजार स्क्वायर फीट जमीन दी थी। आज इस ईदगाह में एक साथ दस हजार लोग नमाज अदा करते हैं। चारों तरफ से चहारदीवारी के अंदर इस ईदगाह की देखभाल वेटनरी मस्जिद कमेटी के हाथों में है।

700 साल पुरानी फुलवारीशरीफ की ईदगाह

 टमटम पड़ाव के नजदीक हजरत मखदुम सैय्यद मिन्हांजुद्दीन रास्ती रहमतुल्लाकह अलैह की दरगाह परिसर में स्थित फुलवारीशरी ईदगाह की नीव 700 वर्ष पहले रखी गई थी। दरगाह के मुतवल्लीत सैय्यद सुल्तामन अहमद रास्ती बताते हैं, इस ईदगाह में लगभग एक हजार लोग ईदैन की नमाज अदा करते हैं। इसकी नीव खुद मखदुम मिन्हारजुद्दीन ने रखी थी। ईदगाह में ईदैन की नमाज खानकाह मुजीबिया के सैय्यद हिलाल अहमद कादरी के इमामत में होती है।

32 डिसमिल में फैली है छोटी खगौल की ईदगाह

200 साल पुरानी व 32 डिसमिल में फैली छोटी खगौल की ईदगाह भी नमाजियों के लिए खास है। ईद और बकरीद की पढ़ी जाने वाली नमाज के लिए यहां छोटी खगौल, बड़ी खगौल, जमालुद्दीन चक के लगभग दो हजार से ज्यादा नमाजी ईदैन की नमाज एक साथ अदा करते हैं।

ईदगाह की देखरेख छोटी खगौल मस्जिद कमेटी के द्वारा की जाती है। सेक्रेटरी शोएब कुरैशी ने बताया कि ईदैन की नमाज की इमामत मौलाना हाफिज जिल्ला किबरिया करते हैं।

वहीं अवकाफ कमेटी के उपाध्यक्ष नवाब आलम ने कहा कि सरकारी की उपेक्षा का शिकार इस ईदगाह में किसी तरह की कोई सहुलियत नहीं है। कमेटी के लोग आपस में मिलकर ईदगाह की देखरेग और नमाज के लिए सुविधा जुटाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.