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किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है इस 'सपनों के सौदागर' की कहानी, जानिए

बिहार के बेगूसराय जिले के निवासी अनिल शर्मा की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। एक मामूली इंजीनियर ने कैसे लोगों को धोखा देकर अरबों कमाया जानिए इस खबर में।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 10:43 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jul 2019 08:05 PM (IST)
किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है इस 'सपनों के सौदागर' की कहानी, जानिए
किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है इस 'सपनों के सौदागर' की कहानी, जानिए

पटना [काजल]। जिस आम्रपाली समूह पर सुप्रीम कोर्ट ने शिकंजा कसा है, उसके निदेशक अनिल शर्मा की जिंदगी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। पटना से महज 50 किलोमीटर दूर बेगूसराय जिले के पंडारक गांव में एक साधारण किसान पिता मदन मोहन शर्मा के घर में पैदा हुए अनिल शर्मा ने गांव के साधारण सरकारी स्‍कूल से शिक्षा शुरू कर आइआइटी खड़गपुर एमटेक तक की पढ़ाई की। इसके बाद सरकारी नौकरी की, लेकिन बाद में रियल स्‍टेट का धंधा कर अरबपति बन बैठा। लेकिन जब कलई खुली तो सब हैरान रह गए।
इंजीनियर की नौकरी नहीं थी पसंद
अनिल शर्मा ने प्राथमिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। फिर, पटना साइंस कॉलेज से उच्च शिक्षा ली। उनके पिताजी बेटे को सिविल इंजीनियर बनाना चाहते थे। अनिल शर्मा ने उड़ीसा के कालीकट के एनआइटी से बीटेक किया, फिर आइआइटी खड़गपुर से एमटेक की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद बिहार सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग में बतौर सहायक अभियंता उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत की और वर्ष 1984-85 तक हाजीपुर नगरपालिका में कार्यकारी अफसर के पद पर भी तैनात रहे थे।

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देखे बड़े सपने, पूरा करने पहुंचा दिल्ली
इसके बाद अनिल शर्मा को नेशनल थर्मल पॉवर कॉर्पोरेशन में नौकरी मिल गई, लेकिन कुछ दिन काम करने के बाद उन्होंने वह नौकरी भी छोड़ दी। उनकी आंखों में तो बड़े सपने पल रहे थे जिसे वो पूरा करना चाहते थे। नौकरी के दौरान अनिल शर्मा के बिहार से जुड़े तमाम नौकरशाहों से करीबी रिश्ते बन चुके थे। रिश्तों के बल पर उन्होंने रियल एस्टेट में बड़ा हाथ आजमाने का फैसला किया और इसके लिए वो सीधा दिल्ली पहुंच गए।
मामूली इंजीनियर बन गया अरबपति बिल्डर
उन्होंने आम्रपाली के नाम से अपने प्रोजेक्ट शुरू किए। नौकरशाहों और राजनेताओं की सरपरस्ती में साल 2015 तक आम्रपाली ग्रुप का सितारा बुलंदियों पर पहुंच गया था। धीरे-धीरे अनिल शर्मा आम्रपाली ग्रुप का नाम बनाने में सफल रहे। उसने मकानों के खरीदारों को झूठे सपने दिखाकर मोटी रकम हासिल की ली। इस पैसे को दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दिया और देखते ही देखते वह अरबपति बन बैठा।


आम्रपाली के कई प्रोजेक्ट्स जैसे- नोएडा का आम्रपाली सैफायर और आम्रपाली प्लेटिनम, गाजियाबाद के आम्रपाली अंपायर, ग्रेटर नोएडा में कई कॉमर्शियल हब, जयपुर में बन रही टाउनशिप, बिहार के मुजफ्फरपुर का आम्रपाली मल्टीप्लेक्स मॉल, ग्रेटर नोएडा का आईटी हब कम पांच सितारा होटल आदि प्रमुख थे।
महेंद्र सिंह धोनी को बनाया ब्रांड एंबेसडर
देखते-देखते देश में आम्रपाली ग्रुप इतना बड़ा हो गया था कि कोई भी दूसरी कंपनी आम्रपाली में पैसा लगाने को तैयार हो जाती थी। इसी दौरन अनिल शर्मा ने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को अपना ब्रैंड अंबेसडर बनाया, जिससे कंपनी पर लोगों का भरोसा और बढ़ने लगा और लोग आम्रपाली ग्रुप पर आंखें मूंदकर भरोसा करने लगे और अनिल शर्मा का सितारा बुलंदियों को छूने लगा।


अरबपति बन चुके अनिल शर्मा ने आम्रपाली मीडिया विजन नाम से एक कंपनी भी बनाई और इस कंपनी ने  गांधी टू हिटलर और दूसरी आई डोंट लव यू नाम से दो फिल्में बनाईं। इस कंपनी की सीईओ अनिल शर्मा की पत्नी पल्लवी मिश्रा थीं। देखते ही देखते ये कंपनी शिक्षा और होटल के कारोबार में भी आ गई और छा गई।
राजनीति का चढ़ा शौक तो बिहार से चुनाव भी लड़ा
अनिल शर्मा ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार की जहानाबाद सीट से जद यू के टिकट से चुनाव भी लड़ा था लेकिन बुरी तरह से हार गए थे। फिर उन्होंने भाजपा से राज्यसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन यहां पर भी उन्हें हार ही नसीब हुई। इस दौरान चुनाव आयोग को शर्मा ने अपनी संपत्ति 847.88 करोड़ बताई थी। 


हत्या के मुकदमे में भी रहा नामजद 
अनिल शर्मा ने लखीसराय में आम्रपाली इंजीनियरिंग कॉलेज खोला था जो बालिका विद्यापीठ के नाम से रजिस्टर्ड जमीन पर चलाया जा रहा था। इस जमीन की डील को लेकर बालिका विद्यापीठ के सचिव शरद चंद्र का अनिल शर्मा से विवाद हो गया।
विवाद के बाद शरद चंद्र न्यायालय की शरण में गए और इसी दरम्यान उनकी हत्या कर दी गई। इस हत्या मामले में अनिल शर्मा समेत सात लोग हत्या के आरोपी बनाए गए। अपनी राजनीतिक पारी में विश्वसनीयता खो चुके अनिल शर्मा इसके बाद तेजी से विवादों में आ गए। इस मामले के बाद एक होटल में पुलिस की निगरानी में वे लंबे समय तक अंडरग्राउंड रहे।
अरबपति सपनों के सौदागर के टूट गए सपने, हो गई जेल
बदलती परिस्थितियों के बीच राजनीतिक महत्वाकांक्षा और लंबे समय तक रियल एस्टेट के धंधे से बाहर रहने के कारण उनके अधिकांश प्रोजेक्ट लेट हो गए और स्थिति दिवालिया की हो गई। एक दिन अचानक खबर आई कि आम्रपाली के कई करोड़ के चेक बाउंस हो चुके हैं।
उसके बाद फिर ड्रीम वैली प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा खुलासा हुआ। इस प्रोजेक्ट में लोगों से पैसे तो ले लिए गए थे, लेकिन पूरे फ्लैट नहीं बनाए गए। इसी तरह कई प्रोजेक्ट अधर में लटक गए। आज आम्रपाली ग्रुप के कई हजार फ्लैट्स की डिलीवरी लटकी है। जिसमें हजारों लोगों का पैसा लेने के बाद भी समय पर घर न देने की वजह से अनिल शर्मा पिछले पांच माह से जेल में बंद है। मंगलवार को आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उसकी मुश्किलें और बढ़ गईं हैं। 

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