10 दिन की इस 'परी' की जानिए दर्दभरी दास्तां, भर आएंगी आंखें
एक निर्दयी मां ने अपनी नवजात बेटी को ठंड से ठिठुरती रात में पानी से भरे गड्ढे में फेंक दिया था। एक राहगीर ने रात के एक बजे बच्ची के रोने की आवाज सुनी जानिए
पटना, जेएनएन। नेशनल गर्ल चाइल्ड डे हर साल भारत में 24 जनवरी के दिन मनाया जाता है, लेकिन क्या लड़कियों को लेकर आज भी हमारी मानसिकता बदली है? आज भी ये सवाल हमारे आधुनिक भारतीय समाज के सामने प्रश्नचिन्ह बनकर खड़ा है। लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर अलग-अलग तरह के अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन आज के पढ़े लिखे तबके में भी महिलाओं को लिंगभेद का सामना करना पड़ता है।
जाको राखे साईंयां मार सके ना कोय...
दिल को झकझोर देने वाली ये खबर एक एेसी बच्ची की है जिसकी बेदर्द मां ने जन्म लेते ही उसे मरने के लिए पानी भरे गड्ढ़े में फेंक दिया और फरार हो गई। उस मां का तो पता नहीं, लेकिन उसने जिस बच्ची को कड़ाके की ठंड में बिना कपड़ों के ही पानी के गड्ढे में मरने के लिए फेंक दिया, उसे भगवान ने बचा लिया।
घटना आज से 10-12 दिन पहले की है जहां एक राहगीर को पटना के फुलवारीशरीफ के भुसौला पईन के नजदीक रात के एक बजे एक लावारिस नवजात के रोने की आवाज सुनाई दी। उसने इसकी सूचना पुलिस को दी। यह सुनकर फुलवारी थाने के थानेदार रफीकुर्रहमान ने फौरन नवजात बच्ची को एंबुलेंस की सहायता से एम्स भेजवाया, जहां बच्ची को पीआइसीयू में भर्ती किया गया।
थानेदार रफीकुर रहमान ने बताया कि 12 दिन पहले रात के एक बजे एक राहगीर का फोन आया कि नहर के किनारे एक पइन के अंदर नवजात के रोने की आवाज सुनाई दे रही है। पुलिस गश्त टीम उसी इलाके में थी तो तुरंत उस नवजात को एंबुलेंस से एम्स के शिशु विभाग में भर्ती कराया गया था, जो अब बिल्कुल स्वस्थ है।
पटना एम्स के शिशु विभाग के अध्यक्ष डाॅक्टर लोकेश तिवारी ने लावारिश हालत में फेंकी गई बच्ची को एम्स अस्पताल पटना में भर्ती करा दिया। उन्होंने बताया कि चंद घंटे पहले बच्ची का जन्म हुआ होगा और बिना कपड़े के ठंड में फेंके जाने की वजह से बच्ची की हालत काफी बिगड़ गई थी।
डॉक्टर लोकेश तिवारी के नेतृत्व में बच्ची का इलाज किया गया। बच्ची को चार दिन पीआईसीयू में रखा गया, जिसके बाद वह मौत को मात देकर बच गई। अब बच्ची की हालत सामान्य है। अस्पताल की नर्सों ने बच्ची का नाम परी रखा है और कहा है कि बच्ची बड़ी होकर हिम्मतवाली होगी।
बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर लोकेश ने बताया कि बच्ची के जन्म लेने के एक से दो घंटे के अंदर उसे ठंड में बाहर फेंक दिया गया था। जिस समय बच्ची अस्पताल लाई गई, उस समय बच्ची की स्थिति काफी नाजुक थी, मगर अब वह स्वस्थ हो गई है।
करीब 12 दिनों के बाद अब बच्ची की हालत ठीक हो गई है। एम्स प्रशासन ने गुरुवार को परी को नारी गुंजन संस्था के हवाले कर दिया है। 10 जनवरी को झाड़ियों में मिली नवजात को 12 दिनों के इलाज के बाद जब नारी गुंजन संस्था को सौंपने की घड़ी आयी, तो पटना एम्स के डॉक्टरों व नर्सों की आंखें भर आयीं। उन्होंने अपनी परी की अच्छी परवरिश की कामना की है।