Patna: फल विक्रेता माता-पिता की मेहनत का रंग सुनहरा, बेटी ने खेलो इंडिया भारोत्तोलन में स्वर्ण जीत बढ़ाया मान
पटना की खुशी के माता-पिता गली-गली घूमकर केला सेब अनार बेचते हैं। उनकी मेहनत का फल यह निकला कि बेटी खेलो इंडिया राष्ट्रीय महिला भारोत्तोलन में स्वर्ण ले आई। पुरस्कार के रूप में उन्हें 10 हजार रुपये भी मिलेंगे इससे वह जूते खरीदेगी जो उसके पास नहीं है।
पटना, अक्षय पांडेय। भारतीय भारोत्तोलन महासंघ की ओर से पाटलिपुत्र खेल परिसर में आयोजित खेलो इंडिया सीनियर, राष्ट्रीय महिला भारोत्तोलन चैंपियनशिप में सोमवार को पटना की खुशी कुमारी ने 55 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक बिहार की झोली में डाल दिया। प्रतियोगिता के दूसरे दिन उन्होंने कुल 155 किग्रा भार उठाकर यह उपलब्धि हासिल की। वहीं, दूसरे दिन छत्तीसगढ़, ओडिशा और हरियाणा की खिलाड़ियों ने भी स्वर्ण जीता। पहले दिन सलोनी चौथे तो श्रेया पांचवें स्थान पर रही थीं।
दूसरे दिन सभी राज्यों के खिलाड़ियों ने खूब जोर आजमाइश की। इन सब के बीच पटना की खुशी कुमारी ने 70 किग्रा स्नैच, 85 किग्रा क्लीन एंड जर्क को मिलाकर कुल 155 किग्रा वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीत लिया। पहले दिन सोमवार को बिहार की पांच खिलाड़ियों ने प्रतियोगिता में भाग लिया था।
पटना की खुशी के माता-पिता गली-गली घूमकर केला, सेब, अनार बेचते हैं। उनकी मेहनत का फल यह निकला कि बेटी खेलो इंडिया राष्ट्रीय महिला भारोत्तोलन में स्वर्ण ले आई। पुरस्कार के रूप में उन्हें 10 हजार रुपये भी मिलेंगे, इससे वह जूते खरीदेगी, जो उसके पास नहीं है। इन संघर्षों से खुशी के हौसले लघु नहीं हो रहे हैं। पिता की शाबाशी उन्हें हमेशा विराट करने को उत्साहित कर रही है।
दानापुर के रहने वाली 17 साल की खुशी ने इसी साल 12वीं की परीक्षा दी है। उनकी तीन बहनों में दो की शादी हो चुकी है। भाई सीआइएसएफ चंडीगढ़ में कार्यरत है। बचपन से भार उठाने का शौक रखने वाली खुशी ने इससे पहले तमिलनाडु में आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी स्वर्ण पदक जीता था। वहीं इंदौर में हुई खेलो इंडिया में उन्होंने चौथी रैंक हासिल की है।
पापा बोले- शाबाश बेटा
खुशी के माता-पिता राजाबाजार में फल बेचते हैं। वह कहती हैं कि महिला भारोत्तोलन में मैंने स्वर्ण जीतकर पिता को फोन किया तो वे आंसू नहीं रोक पाए। कहा- शाबाश बेटा। खुशी कहती हैं कि मुश्किलें तो बहुत हैं पर पापा कहते हैं, हार नहीं मानना है। मां भी खूब हौसला देती हैं।
इनाम के रुपयों से खरीदेंगी जूते
खुशी ने बताया कि भारोत्तोलन की महंगी किट खरीदना हमारे लिए आसान नहीं है। स्वर्ण जीतने पर दस हजार रुपये मिलेंगे। खाते में पैसा आते ही जूते खरीदूंगी, क्योंकि मेरे पास लिफ्टिंग शू नहीं है। खुशी कहती हैं कि उनके कोच रंजन, बिहार भारोत्तोलन संघ के सचिव अरुण केसरी और पटना भारोत्तोलन संघ के सचिव उपेंद्र कुमार ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाने में बड़ी भूमिका अदा की है।