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खेमका हत्याकांडः नौ साल की बेटी शव देखकर बोली, पापा जमीन पर क्यों लेटे हैं

व्यवसायी गुंजन खेमका की बेटी सुबह जब स्कूल गई थी तो पापा का दुलार साथ था। लौटने पर माजरा बदल चुका था। पापा की मौत से अंजान वो तरफ-तरफ के सवाल कर रही थी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 21 Dec 2018 12:06 PM (IST)Updated: Fri, 21 Dec 2018 12:06 PM (IST)
खेमका हत्याकांडः नौ साल की बेटी शव देखकर बोली, पापा जमीन पर क्यों लेटे हैं
खेमका हत्याकांडः नौ साल की बेटी शव देखकर बोली, पापा जमीन पर क्यों लेटे हैं

पटना, जेएनएन। शाम चार बजे गुंजन खेमका की बेटी अनु नोट्रेडम स्कूल से लौटी तो माजरा बदल चुका था। पूरा शहर जिस शख्स की मौत से सन्न था, उसकी बेटी को ही इसकी भनक नहीं थी। घर के नीचे जुटी भीड़ को देखते ही नौकरानी से पूछा- यहां इतनी भीड़ क्यों है। जवाब न पाने पर नौ साल की बेटी के मुंह से अचानक निकला- पापा कहां हैं? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था। लगभग दौड़ते हुए वह छठी मंजिल स्थित 601 नंबर फ्लैट में पहुंची जहां मां, दादा, दादी सभी बिलख रहे थे। थोड़ी देर पहले ही पिता का शव घर आया था जो फर्श पर रखा था। यह देख अनु ने सवाल किया कि पापा नीचे क्यों लेटे हैं। जब उसे यह बताया गया कि उसके पापा अब इस दुनिया में नहीं हैं, तो वह बेजार होकर रोने लगी। लोग चुप कराते रहे और वह अपने पापा से लिपट कर रोती रही।

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तीन संतानों को छोड़ गए गुंजन

गुंजन की दो संतानें हैं। बेटी अनु नौ साल की है, जो नोट्रेडम एकेडमी में तीसरी कक्षा में पढ़ती है। बेटा कार्तिकेय महज चार साल का है और प्ले स्कूल जाता है। मासूम कार्तिकेय पास में ही बैठा था। उसे यह भी पता नहीं था कि उसके पापा अब इस दुनिया में नहीं रहे। मम्मी को रोता देख, वह भी बीच-बीच में रोने लगता। 

दादी के आंसुओं में बहता रहा पोते का प्यार

नीरज कुमार, पटना : व्यवसायी गुंजन का शव दोपहर बाद साढ़े तीन बजे जैसे ही गांधी मैदान स्थित कटारुका हाउस पहुंचा, बुजुर्ग दादी दहाड़ मारकर गिर पड़ी। परिजनों ने किसी तरह दादी को संभाला लेकिन आंखों से झरझर आंसू बहते रहे। बार-बार बस यही दोहराती- 'जिसे गोद में खिलाया आज उसी का शव देखना पड़ रहा है। भगवान क्या यही दिन दिखाने के लिए जिंदा रखे हुए था।

न केवल दादी बल्कि परिवार की सभी महिलाओं के चित्कार से पूरा कटारुका हाउस गूंज रहा था। गुंजन की चचेरी बहन टीनू शाम सात बजे दिल्ली से घर पहुंची तो शव से लिपटकर रोने लगी। बोली-भैया अब राखी किसको बांधूंगी। आखिर मेरे भाई की क्या गलती थी कि अपराधियों ने जान ले ली। गोपाल खेमका ने खुद टीनू को ढांढ़स बंधाया। मिलने आने वाले लोगों की आंखें भी छलक रही थी। बिहार चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष पीके अग्रवाल, चैंबर के सदस्य गोविंद कानोडिया, मारवाड़ी सम्मेलन के पूर्व अध्यक्ष कमल नोपानी, बिहार ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष परसन कुमार सिंह भी हमदर्दी जताने पहुंचे।


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