खरमास खत्म होते ही बजने लगीं शहनाइयां
खरमास खत्म होते ही शादी -ब्याह की लग्न शुरू हो गई है। ग्रह-गोचरों के अनुकूल होने से शादी-ब्याह जैसे काम आरंभ हो गए हैं।
पटना। खरमास खत्म होते ही शादी -ब्याह की लग्न शुरू हो गई है। ग्रह-गोचरों के अनुकूल होने से शादी-ब्याह जैसे काम आरंभ हो गए हैं। आचार्य विनोद झा वैदिक ने कहा कि खरमास खत्म होने के बाद शुक्र ग्रह के शुभ संयोग बनने से 16 अप्रैल से शादी -ब्याह का शुभ-मुहूर्त प्रारंभ हो गया है। यह तीन जुलाई तक बना रहेगा। इस बीच जातक अपने घरों में शादी-ब्याह कार्य संपन्न कर सकते है। वही चार जुलाई से 31 अक्टूबर तक शादी का शुभ मुहूर्त नहीं है।
शादी के लिए गुरु और शुक्र ग्रह का मजबूत होना जरूरी : आचार्य विनोद झा वैदिक ने कहा कि शादी के लिए गुरु और शुक्र ग्रह की स्थिति मजबूत होनी जरूरी है। खरमास खत्म होने के बाद ग्रहों की स्थिति में बदलाव आ गया है। शुक्र संपन्नता एवं गुरु लग्न योग देने वाला है दोनों का मिलाप होने से शादी के संयोग अच्छे बनते है। वैदिक ने कहा कि वृष, कन्या, मिथुन, तुला, धनु और मीन शुभ लग्न और रैवती, रोहिणी, हस्त, उत्तरा भद्र आदि एक साथ होने से ही शादी के मुहूर्त बनते है।
अलग -अलग पंचांगों के अनुसार शादी के मुहूर्त - वैदिक ने कहा कि बनारसी और मिथिला पंचांग आदि के अनुसार शादी-ब्याह की अलग-अलग माह में तिथि है।
बनारसी पंचांग के अनुसार -
अप्रैल माह - 16, 18, 23, 24, 28 और 29 तारीख को शुभ मुहूर्त बन रहा है। मई में 4, 6, 7, 9, 11, 13, 21, 22, 26, 31 तारीख शादी की शुभ तिथि है। वही जून में 2, 5, 7, 10, 12, 17, 18, 22, 26, 31 एवं जुलाई में 1, 2 एवं 3 तारीख को मुहूर्त बताए गए है।
मिथिला पंचांग के अनुसार - मिथिला पंचांग के अनुसार अप्रैल माह में 16, 19, 20, 23, 24, 28 एवं 30 तारीख को शादी के मुहूर्त बन रहे हैं। वही मई माह में 4, 7, 8, 11, 12, 17, 18 एवं 22 तारीख को शुभ संयोग बन रहा है। वही जून में 4, 5, 18, 19, 22, 29, 30 एवं जुलाई में 2 और 3 को संयोग बन रहा है।
जुलाई बाद नवंबर से बजेगी शहनाई - जुलाई के बाद फिर से नवंबर माह में शादी की शहनाई बजेगी। नवंबर माह में 11, 13, 14, 15, 21 और 23 नवंबर शादी के शुभ-मुहूर्त है। दिसंबर में 3, 4, 8, 9, 13, 14 तिथि शादी के लिए शुभ है।
चार माह नहीं होते शुभ कार्य - जुलाई के बाद चतुर्मास आरंभ हो जाता है। चार महीने किसी प्रकार के शुभ कार्य नहंी होते। वैदिक ने कहा कि चार महीने भगवान विष्णु योग निद्रा में लीन होते है और उनके इस अवस्था में पहुंचते ही बुरी शक्तियां ताकतवर हो जाती हैं। इस कारण चतुर्मास में पूजा-पाठ करने का सिलसिला बढ़ जाता है।