खादी पुनरुद्धार योजना अविलंब लागू करे सरकार
पटना। खादी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की पहचान थी, लेकिन आज खादी संस्थाएं मरणासन्न स्थिति मे
जागरण संवाददाता, पटना : खादी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की पहचान थी, लेकिन आज खादी संस्थाएं मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई हैं। खादी पुनरुद्धार योजना के तहत 2014 में सूबे की सरकार ने एक योजना पारित की थी। उक्त योजना का क्रियान्वयन अब तक नहीं हुआ। यहीं नहीं योजना के आलोक में वर्ष 2015-16 में बिहार से उत्पादित खादी की बिक्री पर 10 फीसदी छूट देने की घोषणा सरकार की भेदभावपूर्ण नीति की परिचायक है। खादी देश की संपत्ति है, ऐसे में किसी खास जगह की खादी पर छूट देना समझ से परे है।
ये बातें बिहार खादी ग्रामोद्योग संस्था संघ के अध्यक्ष प्रभाकर कुमार ने कही। वे लोकनायक भवन परिसर में शनिवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से खादी उद्योग को क्षति पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि जब खादी पुनरुद्धार योजना लागू ही नहीं हुई तो उससे संबंधित नियम लागू करना खादी उद्योग को परेशान करना है। ऐसी स्थिति में उन्होंने अविलंब खादी पुनरुद्धार योजना लागू करने की मांग की है। साथ ही खादी के साथ किसी प्रकार की भेदभाव वाली नीति को भी वापस लेने की मांग की। मौके पर महामंत्री रामविलास यादव, सर्वोदय मंडल के प्रवक्ता डॉ. मुख्तारुल हक, बिहार स्टेट गांधी स्मारक निधि के मंत्री विनोद रंजन व ग्राम निर्माण मंडल खादी ग्रामोद्योग समिति भंडार के व्यवस्थापक सुरेंद्र कुमार सुमन आदि मौजूद थे।