पटना की महारैली में राष्ट्रगान ही भूले कन्हैया कुमार, कहा-सीएए है काला कानून, लड़ता रहूंगा
Kanhaiya Kumar in Bihar पटना मे कन्हैया कुमार की महारैली हुई। इसमें वे केंद्र सरकार पर जमकर बरसे। मंच पर फिल्मी सितारे भी शामिल हुए। राजद ने महारैली से दूरी बना ली थी।
पटना, जेएनएन। Kanhaiya Kumar in Patna: राजधानी पटना के एेतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित महारैली में वामदल (Left Party) नेता और जेएनयू (JNU) छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) ने CAA को काला कानून बताया और केंद्र सरकार पर जमकर बरसे। संविधान बचाओ नागरिकता बचाओ महारैली में उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह पर जमकर तंज कसा तथा दिल्ली हिंसा के लिए राजनीतिक दलों को दोषी ठहराया। महारैली में तुषार गांधी, मेधा पाटकर, आइशी घोष ( जेएनयू छात्र संघ), अलका लांबा, कन्नन गोपीनाथन समेत नजीब की मां फातिमा नफीस व रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला भी पहुंची थीं।
कन्हैया कुमार ने मंच से ही लोगों को राष्ट्रगान गाने के लिए कहा और खुद ही राष्ट्रगान गलत गया। कन्हैया राष्ट्र गान की पंक्तियां पूरी तरह सही नहीं गा पाए।इससे पहले कन्हैया ने मंच पर पहुंचते ही लोगों को प्रणाम किया और सैल्यूट किया।
कन्हैया ने अपने संबोधन में दिल्ली हिंसा को लेकर राजनीतिक दलों पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि दिल्ली में राजनीतिक दल आग लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश को अब तय करना है कि वह गांधी के साथ चलेेंगे या गोडसे के साथ। बिहार में हम धर्म की राजनीति नहीं चलने देंगे।
माले विधायक महबूब ने पीएम मोदी पर दिया विवादित बयान
माले विधायक महबूब आल में रैली को संबोधित करते हुए कहा कि हिटलर ने फासीबादी मंसूबों को लागू करने और हिंदुस्तान के संविधान को तंगो-तबाह करने के लिए सीएए लागू किया है। उन्होंने पीएम मोदी पर आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा कि, मोदी अपनी मां की पैदाइश का सर्टिफिकेट दिखाओ।
उनके इस संबोधन के बाद सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने रैली को संबोधित किया और कहा कि जन गण मन यात्रा के दौरान कन्हैया पर आठ बार हमला किया गया। रैली को असफल करने के लिए राज्य सरकार ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा था। उन्होंने कहा कि लोकसभा से सबक लेकर अब नीतीश को हराने के लिए लेफ्ट डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट बनाना जरूरी है।
सभा को संबोधित करते हुए तुषार गांधी ने कहा कि 12 मार्च से दांडी यात्रा शुरू करेंगे, हम आजादी की दूसरी लड़ाई लड़ रहे हैं। ये लड़ाई सिर्फ सीएए, एनपीआर और एनआरसी को वापस लेने तक नहीं, अपितु तब तक चलेगी जब तक मुल्क के जेहन में जहर डालने वाले को खत्म नहीं कर देते। उन्होंने कहा कि तब इन लोगों ने तीन गोलियां मारकर बापू की हत्या की थी, अब ये तीन कानून उसी गोली की तरह है जिससे मुल्क का कत्ल किया जा रहा है।
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के नेता मनीष कुमार ने भी विवादित बयान दिया और कहा - एपीआर, सीएए और एनआरसी जैसे काले कानून के समर्थकों को गोलियों से भून देना चाहिए। बाद में मंच के नेताओं ने कहा- हम गांधीवादी, शांति और अहिंसा से लड़ेंगे लड़ाई।
हम-रालोसपा नेता ने किया रैली को संबोधित, राजद ने बनाई दूरी
महारैली की शुरुआत आदिवासी नृत्य से हुई। उसके बाद इप्टा के कलाकारों ने जनगीत प्रस्तुत किया। जनगीत के बाद अररिया विधायक अबीदुर रहमान ने रैली को संबोधित किया। उसके बाद हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष और फिर रालोसपा नेता जितेंद्र नाथ ने संबोधित किया। रालोसपा नेता ने कहा कि गिरिराज सिंह भारत में पाकिस्तान के राजदूत हैं।
माकपा नेता ने नीतीश कुमार पर कसा तंज
महारैली को संबोधित करते हुए माकपा नेता अवधेश कुमार ने कहा कि लड़ाई वैचारिक होनी चाहिए। देश में गोडसे की विचारधारा को नहीं चलने देंगे। शाहीन बाग की महिलाएं आदर्श हैं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के मुख्यमंत्री ने केरल में सबसे पहले सीएए के खिलाफ प्रस्ताव विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि करना ही है तो पूरे मन से प्रस्ताव पारित करें। माकपा नेता ने कहा कि हमसे हमारी नागरिकता का प्रमाण कोई नहीं मांग सकता? नहीं देंगे हम एनपीआर के सवालों का जवाब? अब खत्म करो डिटेंसन केंद्र।
बता दें कि पटना के एेतिहासिक गांधी मैदान में कन्हैया कुमार की इस महारैली को लेकर अहले सुबह से ही काफी संख्या में लोग गांधी मैदान पहुंचने लगे थे। कन्हैया ने 30 जनवरी को अपनी जन-गण-मन यात्रा की शुरुआत चंपारण जिले से की थी, जिसका आज समापन हो गया।
वैसे कन्हैया की जन-गण-मन यात्रा में भी लोगों की काफी भीड़ जुटी थी। हालांकि कई जगहों पर कन्हैया को विरोध प्रदर्शन का भी सामना करना पड़ा था। कहीं उन्हें काले झंडे दिखाए गए, कहीं उनके काफिले पर पथराव किया गया तो कहीं उनके मंच पर चप्पल उछाला गया। लगभग माह भर चली इस यात्रा के दौरान कन्हैया पर आठ बार हमले हुए। बता दें कि पहले यह महारैली 29 फरवरी को होने वाली थी, लेकिन अनुमति नहीं मिलने के कारण 27 फरवरी इसकी तिथि निर्धारित की गई थी।