राजद-कांग्रेस ने सीट बंटवारे का किया एलान, पूछा- जदयू पतली गली से क्यों निकल गया
भभुआ विधानसभा सीट को लेकर राजद-कांग्रेस में जारी गतिरोध समाप्त होने के बाद कौकब कादरी तेजस्वी यादव से मिले और संयुक्त प्रेस कांफ्रेस कर सीट बंटवारे का एलान किया।
पटना [जेएनएन]। भभुआ विधानसभा सीट को लेकर राजद-कांग्रेस में छह दिनों से जारी गतिरोध समाप्त होने के बाद बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मिलने 5 देशरत्न स्थित उनके आवास पहुंचे। उपचुनाव में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा की। इसके बाद दोनों ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर सीट बंटवारे का एलान किया।
प्रेस कांफ्रेंस में तेजस्वी यादव ने कहा कि उपचुनाव में अररिया लोकसभा सीट से राजद के प्रत्याशी सरफराज आलम और जहानाबद से सुदय यादव हमारे उम्मीदवार होंगे। वहीं भभुआ सीट से कांग्रेस अपने उम्मीदवार का एलान करेगी। राजद और कांग्रेस पूरी तरीके से संगठित हैं। आगे की लड़ाई के लिए भी पूरी तरह एकजुट हैं। न तो गठबंधन में कभी कोई समस्या आयी है और न आयेगी। हमारा एक ही मकसद है कि भाजपा जिस तरीके से चोर दरवाजे से सत्ता में आयी है, उसे हटाना है। सबसे अधिक शर्मनाक बात यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ रही है।
वहीं, कौकब कादरी ने कहा कि सीटों का आसानी से बंटवार हो गया है। कहीं कोई परेशानी नहीं है। जदयू पर हमला करते हुए कहा कि आखिर चुनाव से पहले ही पतली गली से क्यों निकल गए? इस चुनाव में और आने वाले समय में भी हम अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करायेंगे। लालू यादव के साथ हमारे काफी अच्छे संबंध हैं। आने वाले समय में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में काम करेंगे।
बता दें कि पिछले छह दिनों से भभुआ सीट को लेकर राजद-कांग्रेस में किचकिच की बात आलाकमान तक पहुंची। दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व ने उपचुनाव की तीनों सीटों पर संयुक्त रूप से राजग का मुकाबला करना तय किया। आखिर में बिहार प्रभारी सीपी जोशी की पहल पर भभुआ सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी उतारने को लालू प्रसाद ने हरी झंडी दे दी।
दरअसल, बिहार में अररिया लोकसभा सीट समेत जहानाबाद एवं भभुआ विधानसभा सीट पर उपचुनाव 11 मार्च को होने हैं। अररिया और जहानाबाद सीट को लेकर दोनों दलों में किसी तरह की जिच नहीं थी, क्योंकि पिछले चुनाव में दोनों सीटें राजद के कब्जे में थी। भभुआ को लेकर दोनों दल अड़े थे। गठबंधन धर्म का हवाला देकर इस सीट पर कांग्रेस दावा कर रही थी। दोनों दल के अपने अपने तर्क थे। राजद प्रमुख लालू प्रसाद एवं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी में दोनों दलों के बीच गतिरोध इस कदर बढ़ गया कि शीर्ष नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ा।