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महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी रातोंरात पलट गई थी सियासी तस्वीर, जब टूटा था महागठबंधन

महाराष्ट्र की ही तरह कभी बिहार में भी रातोंरात सियासी समीकरण अचानक बदल गया था और जदयू ने राजद से नाता तोड़कर भाजपा के साथ मिलकर एनडीए की सरकार बना ली थी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 02:33 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 10:56 PM (IST)
महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी रातोंरात पलट गई थी सियासी तस्वीर, जब टूटा था महागठबंधन
महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी रातोंरात पलट गई थी सियासी तस्वीर, जब टूटा था महागठबंधन

पटना [अरविंद शर्मा]। महाराष्ट्र की तर्ज पर ही कभी बिहार में भी रातों-रात सियासी तस्वीर पलट गई थी। तब राजद के नाज-नखरे की कहानी का अंत हो गया था और करीब 20 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार की अचानक विदाई हो गई थी। नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की नई सरकार की पटकथा लिख दी गई थी। ढाई साल पहले 26 जुलाई 2017 की शाम छह बजे तक किसी को अहसास नहीं था कि अगले पल में क्या होने वाला है? तब भी सियासी भविष्यवाणी भी फेल हो गई थी। 

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शाम में उठा धुआं, रात में बदले समीकरण, सुबह होते ही महागठबंधन खत्म

उस वक्त पूरे घटनाक्रम की रफ्तार इतनी तेज थी कि कयासों की व्याख्या भी क्षण-क्षण बदल रही थी। शाम में धुआं उठा और रात 10 बजे तक महागठबंधन का आशियाना खाक हो गया था। राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह बदल गई थी। जो फर्स पर थे वह अर्श पर आ गए और जो अर्श पर थे वह फर्स पर आ गिरे। राजद-कांग्रेस के हाथ से सत्ता छिन गई थी और जदयू ने भाजपा के साथ नई सरकार का गठन कर लिया था। 

तेजस्वी का इस्तीफा ना देना, बना था मुद्दा 

तब की बात करें तो महागठबंधन की सरकार में लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बनाए गए थे। रेलवे टेंडर घोटाले में उनके खिलाफ जब भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए तो राजद के सहयोगी जदयू ने सार्वजनिक रूप से सफाई देने के लिए दबाव बनाया।

शासन की स्वच्छता और बेदाग सियासत के लिए नीतीश कुमार इसे जरूरी मानते थे। जदयू ने भी अपने नेता की छवि को देखते हुए तेजस्वी से सफाई देने की मांग की। जब सीबीआई ने तेजस्वी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली और लालू के सरकारी आवास में छापे भी पड़ गए तो जदयू का रुख थोड़ा और सख्त हो गया।

अब तेजस्वी से सफाई नहीं, बल्कि इस्तीफे की मांग की जाने लगी। दबाव बढऩे लगा। साथ ही दोनों दलों में कड़वाहट भी बढऩे लगी। लालू ने 26 जुलाई को शाम पांच बजे राजद विधायक दल की बैठक कर सर्वसम्मति से तेजस्वी के इस्तीफा नहीं देने का प्रस्ताव पास कर दिया तो गेंद जदयू के पाले में चली गई।

नीतीश ने आनन-फानन में दिया था इस्तीफा, पीएम ने दी थी बधाई

नीतीश कुमार को अपनी पहचान की फिक्र खुद करनी पड़ गई। आधे घंटे के भीतर जदयू ने भी विधायक दल की बैठक बुलाई और ऐसी सरकार से छुटकारा पाने का फैसला कर लिया, जिसके डिप्टी सीएम पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। बैठक से निकलकर नीतीश सीधे राजभवन पहुंचे और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 

नीतीश के इस्तीफे से महागठबंधन सरकार के पतन की सूचना जैसे ही फ्लैश हुई वैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके नीतीश के निर्णय की सराहना की। पीएम ने लिखा, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुडऩे के लिए नीतीश जी को बधाई।

 

कुछ ही घंटे में बदल गई थी बिहार की राजनीतिक तस्वीर

बिहार के भविष्य के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक होकर लडऩा, समय की मांग है। पीएम ने भाजपा की मंशा की ओर संकेत कर दिया था। इसके बाद पटना में भाजपा ने विधायक दल की बैठक करके नीतीश कुमार के नेतृत्व में राजग की सरकार बनाने का ऐलान कर दिया। इस तरह कुछ घंटे के भीतर ही बिहार की सियासी तकदीर बदल गई थी। 


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