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Patna News: पीएमसीएच में मरीजों को धक्‍का देकर बाहर निकाला गया, लगातार दूसरे दिन हड़ताल पर जूनियर डाक्‍टर

PMCH Strike News पटना मेडिकल कालेज एवं अस्‍पताल में लगातार दूसरे दिन हड़ताल पर जूनियर डाक्‍टर। गुरुवार को ओपीडी में आए मरीजों को झेलनी पड़ी थी भारी परेशानी। बगैर इलाज किए डाक्‍टरों ने निकाला था बाहर। सिक्‍योरिटी गार्ड ने किया था दुर्व्‍यवहार

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2022 08:36 AM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 12:22 PM (IST)
Patna News: पीएमसीएच में मरीजों को धक्‍का देकर बाहर निकाला गया, लगातार दूसरे दिन हड़ताल पर जूनियर डाक्‍टर
PMCH News: पीएमसीएच के ओपीडी रजिस्‍ट्रेशन काउंटर पर मरीज। जागरण

जागरण संवाददाता, पटना। PMCH News: पटना मेडिकल कालेज एवं अस्‍पताल में जूनियर डाक्‍टरों की हड़ताल लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी है। जूनियर डाक्‍टर और इंटर्न काम का बहिष्‍कार कर रहे हैं।हालांकि, उनका रवैया गुरुवार की अपेक्षा थोड़ा सही है। मरीजों के हित मे वे सीनियर डाक्टरों को इलाज कार्य से नही रोक रहे हैं। हालांकि, गुरुवार को अस्‍पताल आए मरीजों को खासी फजीहत झेलनी पड़ी थी। सिक्‍योरिटी गार्ड से लेकर डाक्‍टर तक सभी मरीजों को अस्‍पताल से बाहर भगाते दिखे थे। 

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जूनियर डाक्‍टर चाहते हैं सुरक्षा

ओपीडी में आने वाले मरीजों का इलाज सीनियर डाक्टर द्वारा किया जा रहा है । इसके अलावा इमरजेंसी में पारा मेडिकल स्टाफ और नन क्लीनिकल डाक्टरों को तैनात किया गया है । प्राचार्य डॉ विद्यापति चौधरी ने बताया कि पूरा प्रयास है कि इमरजेंसी या ओपीडी में आने वाला कोई मरीज बिना इलाज के नहीं जाने पाए। जूनियर डॉक्टरों की कार्य के दौरान सुरक्षा देने की मांग वरिष्ठ अधिकारियों पहुंचा दी गई है।  

गुरुवार को मरीजों को खूब किया परेशान 

बिहार के सबसे बड़े मेडिकल कालेज और अस्‍पताल पीएमसीएच में जूनियर डाक्टरों के साथ गुरुवार को पंजीयन कर्मियों, सुरक्षाकर्मियों से लेकर अन्य चिकित्साकर्मियों का रुख मरीजों को परेशान करने वाला रहा। डाक्टरों की हड़ताल का हवाला देकर अधीक्षक कार्यालय तक के कर्मचारी मरीजों को पंजीयन के लिए यहां से वहां दौड़ाते रहे। जब मरीज उग्र हुए तो सुरक्षाकर्मी एकजुट हुए और रोगियों व उनके स्वजन को धक्का मारकर गेट के सामने से हटा दिया गया। ओपीडी के साथ इमरजेंसी में आ रहे मरीजों के साथ भी यही व्यवहार किया गया। नतीजा, नए के साथ पहले से भर्ती दर्जनों मरीजों को उनके स्वजन निजी अस्पताल ले गए। 

दूर से आए हैं, वापस जाना मुश्किल, हड़ताल टूटने तक यहीं रहेंगे 

पीएमसीएच की ओपीडी में सुदूर जिलों तक से गंभीर रोगी इलाज कराने आते हैं। अचानक जूनियर डाक्टरों के कार्य बहिष्कार करने के साथ सीनियर डाक्टरों को इलाज करने से रोकने के कारण उनका गुस्सा फूट पड़ा। वे अधीक्षक कार्यालय इसकी शिकायत करने गए तो बताया गया कि ओपीडी में पर्ची नहीं कट रही है तो मेडिसिन या सर्जिकल इमरजेंसी में जाकर पंजीयन कराएं और ओपीडी में इलाज कराएं।

सुरक्षा कर्मियों ने धक्‍का देकर मरीजों को खदेड़ा 

वहां तैनात पंजीयन कर्मियों ने हड़ताल की बात कहते हुए पंजीयन से इन्कार किया तो वे लौटकर फिर अधीक्षक कार्यालय आए और शोर करने लगे। इस पर करीब दर्जन भर सुरक्षाकर्मी जुट गए और मरीजों व तीमारदारों से बदसलूकी करते हुए धक्का-मुक्की कर उन्हें वहां से खदेड़ दिया। इसके बाद कई रोगियों ने स्वजन के साथ ओपीडी पंजीयन काउंटर के बाहर ही डेरा डाल दिया। लखीसराय के मनोज कुमार ने बताया कि दुर्घटना में उनका पैर फ्रैक्चर हो गया और हाथ में चोटें आई हैं। इतनी दूर जाकर फिर आना संभव नहीं है, इसलिए जबतक हड़ताल नहीं टूटती यहीं पर रहेंगे। 

उग्र डाक्टरों ने पुलिस को भी नहीं बख्शा 

बुधवार की देररात मरीजों के स्वजन की पिटाई के बाद जबतक जूनियर डाक्टर एकजुट हुए शव लेकर सभी लोग जा चुके थे। इससे आक्रोशित जूनियर डाक्टर समूह में रात करीब सवा बजे परिसर स्थित पुलिस चौकी पहुंचे और जवानों के साथ मारपीट की। घूंसा लगने से एक सिपाही का चेहरा सूज गया। हालांकि, दारोगा अमरेंद्र कुमार ने इससे इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि किसी जवान के साथ कोई मारपीट नहीं हुई है। वहीं पीएमसीएच के प्रत्यक्षदर्शी कर्मचारियों का कहना है कि घटना के बाद देररात टीओपी प्रभारी ने पीरबहोर थाना से अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की थी।  

अवकाश पर गए अधीक्षक, इमरजेंसी रोगियों की बढ़ सकती मुश्किल 

पीएमसीएच में जूनियर डाक्टरों की हड़ताल के बीच शुक्रवार से अधीक्षक डा. आइएस ठाकुर चार दिन के अवकाश पर जा रहे हैं। आंखों का इलाज कराने के लिए वे बाहर जा रहे हैं और इसके लिए पूर्व से अवकाश स्वीकृत है। वरिष्ठ डाक्टरों के अनुसार यदि जूनियर डाक्टर केवल ओपीडी बाधित कराते हैं तो उसे संभाला जा सकता है लेकिन इमरजेंसी में इलाज बंद कराने पर स्थिति बिगड़ जाएगी। 

15 दिन पहले भी जूनियर डाक्टरों व मरीजों में हुई थी मारपीट 

बताते चलें कि 7 सितंबर को उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री के निरीक्षण के अगले दिन शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी में भी तीमारदारों और जूनियर डाक्टरों में मारपीट हुई थी। पिटने के बाद तीमारदार 112 नंबर गश्ती पुलिस दल को लेकर पहुंचे थे। पुलिस ने जाकर डाक्टरों को फटकार लगाते हुए धक्का-मुक्की की थी। इसके बाद जूनियर डाक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया था। एसडीपीओ व अधीक्षक के अतिरिक्त सुरक्षा बल मुहैया कराने के आश्वासन पर चार घंटे बाद ही  कार्य पर लौट आए थे। 

200 से अधिक सुरक्षाकर्मी सिर्फ गरीबों को करते परेशान 

पीएमसीएच की व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए दो सौ से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। इनमें से बहुत से सैन्यकर्मी हैं। एक-दो की संख्या में इलाज कार्य कराने आए गरीब मरीजों और कुव्यवस्था की पोल नहीं खुले इसके लिए ये जमकर बल प्रयोग करते हैं। कई मरीजों का सिर फोड़ चुके हैं तो कई के हाथ तोड़ चुके हैं। वहीं जब डाक्टरों-मरीजों की भिड़ंत रोकने के लिए इनकी जरूरत होती है तो वे कहीं नहीं दिखते। बुधवार की देररात भी ऐसा हुआ, मेडिसिन विभागाध्यक्ष, स्वास्थ्य प्रबंधक समेत कई लोग पहुंच गए लेकिन सुरक्षाकर्मी नदारद थे। 

बुधवार दोपहर सर्जिकल इमरजेंसी में हुआ था बवाल 

पीएमसीएच पर मरीजों का गुस्सा बेवजह नहीं है। मरीजों की अत्यधिक भीड़ के कारण इलाज में कोताही होती है लेकिन गंभीर रोगियों के उपचार में लापरवाही पर मरीज उग्र हो जाते हैं। बुधवार दोपहर को सर्जिकल इमरजेंसी स्थित आइसीयू में मरीज के स्वजन द्वारा इलाज में लापरवाही की शिकायत पर मामला गरमा गया था। मामला इतना बढ़ा कि नर्स ने कहा दिया कि ऐसा करोगे तो आक्सीजन पाइप बंद कर दो मिनट में सभी रोगियों को मार दूंगी। इसके बाद पहुंचे सुरक्षाकर्मियों ने डंडे के बल पर तीमारदारों को खदेड़ कर मामला शांत कराया था। 

दोपहर में जूनियर डाक्‍टरों की बैठक 

वहीं जेडीए के अध्यक्ष डॉक्टर संदीपन ने बताया कि इलाज नहीं कर रहे हैं। अंडर ग्रेजुएट छात्रों के हॉस्टल पर पथराव के बाद यह जरूरी हो गया है कि इलाज करने वाले डॉक्टरों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग गंभीरता से ली जाए। सुरक्षा सुनिश्चित होने तक सभी जूनियर डॉक्टर और इंटर कार्य बहिष्कार करेंगे।  मरीजों के हित में सीनियर को अभी इलाज से नहीं रोका जा रहा है । दोपहर को जेडीए की बैठक में निर्णय लिया जाएगा कि आगे क्या कार्रवाई करनी है


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