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प्रधान सचिव के आश्वासन के बाद काम पर लौटे जूनियर डॉक्टर

अगस्त में कोरोना का प्रकोप कम हुआ तो नन कोविड अस्पताल घोषित होगा एनएमसीएच। सामान्य रोगी भी किये जाएंगे भर्ती।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 05:58 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 05:58 PM (IST)
प्रधान सचिव के आश्वासन के बाद काम पर लौटे जूनियर डॉक्टर
प्रधान सचिव के आश्वासन के बाद काम पर लौटे जूनियर डॉक्टर

- अगस्त में कोरोना का प्रकोप कम हुआ तो नन कोविड अस्पताल घोषित होगा एनएमसीएच, सामान्य रोगी भी हो सकेंगे भर्ती

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जागरण संवाददाता, पटना सिटी : कोविड अस्पताल एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर शुक्रवार को प्रधान सचिव उदय सिंह कुमावत के आश्वासन पर काम पर लौट आए हैं। एनएमसीएच में स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर लौट आई है। दोपहर करीब दो बजे से जूनियर डॉक्टर कोरोना मरीजों की सेवा में जुट गए। मरीज एवं स्वजनों ने कहा कि जूनियर डॉक्टर ही मरीजों के इलाज व ध्यान सबसे ज्यादा देते हैं।

इसके पहले प्राचार्य डॉ. हीरालाल महतो, अधीक्षक डॉ. निर्मल कुमार सिन्हा, डॉ. अखौरी पीके सिन्हा के साथ जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र कुमार, महासचिव कुशाग्र गर्ग, डॉ. दिव्यांशु मार्तड, डॉ. ज्योति कुमारी, डॉ. अजिनका गौतम स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से मिलने पहुंचे थे। प्रधान सचिव ने कहा कि अगस्त के प्रथम सप्ताह में यदि कोरोना का प्रकोप कम हुआ तो हुआ तो एनएमसीएच में सामान्य मरीजों की भर्ती शुरू कर दी जाएगी। साथ ही इसे नन कोविड अस्पताल भी घोषित किया जाएगा। आवश्यकता पड़ी तो श्री गुरु गोविद सिंह सदर अस्पताल, संक्रामक रोग अस्पताल, नशा मुक्ति केन्द्र में भ्ीा कोरोना मरीज रखे जाएंगे। कोरोना काल के दौरान पीजी छात्रों के बाधित हुए प्रशिक्षण की अवधि के बराबर कंपलसरी रूरल बांड पोस्टिग में छूट दी जाएगी। इस संबंध में अधिसूचना भी जल्द जारी होगी।

अधीक्षक ने कहा कि संक्रमित होने वाले जूनियर डॉक्टरों के आइसोलेशन की व्यवस्था होटल में करने की बात प्रधान सचिव ने कही है। उन्होंने यह भी कहा है कि एनएमसीएच से जोड़े गए जिलों के मरीज ही यहां भर्ती किए जाएंगे। प्रधान सचिव से वार्ता के बाद अस्पताल लौटे जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि पीजी के उपरांत तीन वर्षो के लिए किसी जिला अस्पताल में ड्यूटी करने की अनिवार्यता के बदले उन्हें एनएमसीएच में ही सीनियर रेजिडेंट के तौर पर रखा जाए, ताकि कोरोना काल के दौरान प्रशिक्षण में हुए नुकसान की भरपाई हो सके।


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