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बिहार: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी, मरीजों की मौत लगातार जारी

अपनी मांगों को लेकर बिहार के जूनियर डॉक्टर्स आज से हड़ताल पर चले गए हैं जिससे मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी हो रही है। मरीज अस्पताल छोड़कर जा रहे हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 11:27 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 10:24 PM (IST)
बिहार: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी, मरीजों की मौत लगातार जारी
बिहार: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी, मरीजों की मौत लगातार जारी

पटना [जेएनएन]। बिहार के मेडिकल कॉलेजों में पीजी में एम्स के छात्रों के नामांकन के विरोध में राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया है। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने सोमवार की सुबह नौ बजे से मेडिकल कॉलेजों में कार्य बहिष्कार की घोषणा की, जो मंगलवार को भी जारी रही। पटना के पीएमसीएच व एनएमसीएच में मरीजों की कराह के बाद भी उनके दिल नहीं पसीजे, वहीं मुजफ्फरपुर, दरभंगा व गया के मेडिकल कॉलेजों की भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। हालांकि भागलपुर में जेएनएमसीएच में जूनियर डॉक्‍टरों के काम करने की चर्चा है। भागलपुर में जूनियरों डॉक्‍टरों ने बांह में काली पट्टी बांधकर काम किया। वहीं जूनियर डाॅक्‍टरों की हड़ताल से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है और स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है। मरीज सरकारी अस्पतालों से पलायन कर रहे हैं। 

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पीएमसीएच-एनएमसीएच में 6 मरीजों की मौत 

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को भी राजधानी के मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित रही। इमरजेंसी, आइसीसीयू, आइसीयू से लेकर वार्ड तक में मरीज बेहाल रहे पर हड़ताली डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। पीएमसीएच के ओपीडी में तो मरीजों का इलाज किसी तरह हुआ, इमरजेंसी बुरी तरह प्रभावित हुई। यहां से मरीजों का पलायन होता रहा। इससे दलालों की चांदी रही। वहीं नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) मे रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद रहने के कारण ओपीडी में सन्नाटा पसरा रहा। एनएमसीएच में जूनियर डॉक्टर रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास पंडाल के नीचे कुर्सी पर बैठे आंदोलन करते रहे। मरीजों की कराह और उनके परिजनों की परेशानी से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। एनएमसीएच में सुबह 11:00 बजे के करीब मरीजों के परिजनों का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने अस्पताल का मुख्य द्वार बंद कर बाहर सड़क जाम कर दी। सरकार और व्यवस्था के खिलाफ नारेबाजी की। 

पीएमसीएच के ओपीडी में 2100 मरीजों का इलाज हुआ। यहां लगभग सामान्य दिनों की तरह ही इलाज चला। हड़ताल से इमरजेंसी बुरी तरह से प्रभावित थी। इमरजेंसी में डॉक्टर बैठे रहे और मरीजों का पलायन होता रहा। मंगलवार को पीएमसीएच इमरजेंसी में 390 मरीजों को भर्ती किया गया। हालांकि, इलाज नहीं होने के कारण शाम तक करीब 100 मरीज निजी अस्पतालों को पलायन कर गए। अस्पताल में मंगलवार को 16 मेजर एवं 13 माइनर ऑपरेशन हुए। 13 ऑपरेशन टालने पड़े। कुल छह मरीजों की मौत हो गई।

सोमवार को भी टालने पड़े थे आधे ऑपरेशन

बता दें कि सोमवार को पीएमसीएच में हड़ताल के कारण पूर्व निर्धारित 100 ऑपरेशन में से आधे टालने पड़े। एनएमसीएच में हड़ताली डॉक्टरों ने इमरजेंसी काउंटर समेत सेंट्रल रजिस्ट्रेशन के सभी काउंटरों को बंद करा दिया था। कार्य बहिष्‍कार की जानकारी नहीं रहने के कारण राज्य के कोने-कोने से आए मरीज परेशान हुए। ओपीडी ही नहीं अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि हड़ताल के मद्देनजर अस्पताल को हाई अलर्ट पर रखा गया है। पीएमसीएच प्रशासन ने सिविल सर्जन से 50 डॉक्टरों की मांग की थी। इनमें 22 डॉक्टरों ने योगदान दिया।
राज्य में है लगभग 500 पीजी सीटें
रोस्टर के आधार पर उनकी ड्यूटी लगा दी गई। इसके बावजूद मरीज पीएमसीएच से बिना इलाज के ही लौटते रहे। वहीं सोमवार को दिनभर पीएमसीएच में धरने पर बैठे रहे। जेडीए अध्यक्ष डॉ. शंकर भारती ने कहा कि अब तक सरकार से कोई वार्ता नहीं हुई है। उनका कहना है कि अगर एम्स के छात्रों का नामांकन राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में होगा तो प्रदेश के छात्रों का नामांकन नहीं हो पाएगा। उन्‍होंने बताया कि राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में लगभग 500 पीजी सीटें हैं। इनमें 50 फीसद केंद्रीय कोटे से भरी जाती हैं। मात्र 50 फीसद सीटों पर राज्य के छात्रों का नामांकन हो पाता है। ऐसे में एम्स के छात्रों को नामांकन देने पर प्रदेश के छात्र पीजी में नामांकन से वंचित हो जाएंगे। 

हाल दरभंगा के डीएमसीएच का
दरभंगा के डीएमसीएच में पीजी छात्रों की हड़ताल से मंगलवार को दूसरे दिन भी स्वास्थ्य सेवा प्रभावित रही। इमरजेंसी एवं सामान्य ओपीडी में ताले लटके रहे, जबकि गाइनिक वार्ड की ओपीडी चालू रहा। हालांकि जूनियर डॉक्टर काम होने की जानकारी मिलते ही गाइनिक में भी पहुंच गए और कुछ देर के लिए काम बाधित किया। लेकिन उनके जाते ही डॉ. आशा झा, डॉ. सीमा प्रसाद, डॉ. मायाशंकर ठाकुर ने मरीजों की चिकित्सा शुरू कर दी। गाइनिक वार्ड में 100 से अधिक  नए मरीजों का निबंधन भी हुआ। वहीं 20 से अधिक पुराने पुर्जे वाले मरीजों को देखा गया। वहीं जेडीए अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार गुप्ता ने बताया कि जब तक मांगें नहीं मानी जाती है, हड़ताल जारी रहेगी। 

हाल भागलपुर का
भागलपुर के मायागंज अस्पताल में जूनियर डॉक्टर मंगलवार को काम पर दिखे। सभी काली पट्टी लगाए थे। सोमवार की अपेक्षा मंगलवार को अस्पताल की स्थिति सामान्य दिखी। इसके बाद भी मरीजों को परेशान होना पड़ा। चिकित्सकों की तलाश करनी पड़ी।  अस्पताल में भीड़ बढऩे के कारण चिकित्सक भी परेशान हुए। आउटडोर में दिखाने के लिए मरीजों की लंबी भीड़ रही। इधर, मरीज को किसी तरह की परेशानी होने पर इमरजेंसी में ले जाना पड़ा। इधर, अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरसी मंडल पूरे दिन आउटडोर और इंडोर के विभागों की मॉनीटरिंग करते रहे। 

मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में मरीजों की परेशानी 

एसकेएमसीएच के विभिन्न रोग विभागों के ओपीडी में मंगलवार को मरीजों की भारी भीड़ उमड़ी। अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही की पहल पर रजिस्ट्रेशन काउंटर एवं ओपीडी में सेवा शुरू हुई। लेकिन जूनियर चिकित्सकों के अभाव में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। इमरजेंसी की सेवा सामान्य रूप से जारी थी। जूनियर चिकित्सकों की हड़ताल के बीच कोई अन्य वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किए जाने से ओपीडी में अकेले मरीजों के उपचार में लगे वरीय चिकित्सक परेशान बने रहे। ओपीडी में चिकित्सकों ने मरीजों को देखा। इसके बावजूद दर्जनों मरीज निराश होकर लौटे। कई मरीज हेल्थ मैनेजर राजीव रंजन के समक्ष अपनी शिकायत लेकर पहुंचे। इमरजेंसी वार्ड में तैनात चिकित्सकों ने इन मरीजों को अलग से समय देकर जरूरी परामर्श और दवाएं दीं। मौसम के बदले मिजाज से मरीजों में काफी इजाफा हुआ है। मंगलवार को एसकेएमसीएच में नए और पुराने मिलाकर करीब 3500 मरीज इलाज को पहुंचे थे। इसके कारण सभी विभागों की ओपीडी में मारामारी की स्थिति थी।


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