पश्चिम बंगाल की घटना से आक्रोशित मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर बिहार में रहे हड़ताल पर
पश्चिम बंगाल में हुई डॉक्टरों से मारपीट के विरोध में बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों के जूनियर डॉक्टर एक दिन की सांकेतिक हड़ताल पर रहे। इससे मरीजों को खासी परेशानी हुई।
पटना, जेएनएन। पश्चिम बंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में 10 जून की देर रात एक मरीज की मौत से आक्रोशित लोगों द्वारा डॉक्टरों पर किए गए जानलेवा हमले का असर बिहार की स्वास्थ्य सेवा पर दिखा। सुबह सात बजे से ही जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। इस दौरान मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। खासकर ओपीडी पर इसका खासा असर देखने को मिला। इमरजेंसी और आईसीयू छोड़कर सभी सेवा बाधित रही। एम्स, पीएमसीएच, एनएमसीएच, एसकेएमसीएच, डीएमसीएच समेत सभी 9 मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर रहे।
इधर पश्चिम बंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों पर हुए जानलेवा हमले के विरोध का असर शुक्रवार को राजधानी के अस्पतालों में भी दिखा। पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच), नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एनएमसीएच) और एम्स पटना में ओपीडी सेवाएं बाधित रहीं। इमरजेंसी सेवाओं पर ज्यादा असर नहीं पड़ा।
पीएमसीएच में शुक्रवार को 1234 मरीजों का पंजीयन किया गया, लेकिन डॉक्टरों को नहीं देखा। पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ.राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण 50 से अधिक ऑपरेशन टालने पड़े।
एनएमसीएच में 1300 मरीज पहुंचे। सुबह कुछ देर के लिए मरीजों का इलाज हुआ, मगर बाद में जूनियर डॉक्टरों ने विरोध कर ओपीडी बंद करा दी। इसके कारण आधे मरीजों को लौटना पड़ा। यहां एक भी ऑपरेशन नहीं हुआ।
पटना एम्स में ओपीडी में एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ। इंडोर में भर्ती मरीजों का इलाज जारी रहा। जूनियर डॉक्टरों की सांकेतिक हड़ताल एक दिन की थी।
पीएमसीएच जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.शंकर भारती ने कहा कि सांकेतिक हड़ताल एक दिवसीय थी। अब सरकार पर निर्भर है कि वह डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाती है। उसके बाद डॉक्टर आगे की रणनीति तय करेंगे।
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