जोकीहाट उपचुनाव: तस्लीमुद्दीन का तिलिस्म बरकरार, दिखेगा दूरगामी परिणाम
जोकीहाट उपचुनाव में तिलिस्म बरकरार रहा। नतीजे राजद के पक्ष में आये। राजद प्रत्याशी शाहनवाज अालम ने 41,225 मतों से ये जीत हासिल की है।
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार विधानसभा की जोकीहाट सीट के लिए 28 मई को हुए उपचुनाव का नतीजा आ चुका है। यहां जदयू के साथ सीधी टक्कर में राजद की जीत हुई। राजद प्रत्याशी शाहनवाज अालम ने 41,225 मतों से ये जीत हासिल की है। मतगणना के 24वें राउंड के बाद जदयू के मुर्शिद आलम को 40,015 वोट मिले जबकि राजद के शाहनवाज को 81,240 मत मिले।
यहां राजद के पास स्व. तस्लीमुद्दीन का तिलिस्म था तो जदयू के पास पिछले चार चुनावों में लगातार जीतने का सिलसिला। दोनों दलों के शीर्ष नेताओं और प्रत्याशियों ने मेहनत भी खूब की है। आखिरकार तिलिस्म बरकरार रहा और सिलसिला टूट गया। इसका असर दूरगामी होगा।
लगभग 70 फीसद मुस्लिम आबादी वाली सीट जोकीहाट में पार्टियों की मेहनत पर से पब्लिक का पर्दा सुबह आठ बजे से हटना शुरू हो गया था। दोपहर बाद नतीजे साफ हो गए।
जदयू को राज्य एवं केंद्र सरकार के कार्यों एवं सघन प्रचार का भरोसा था तो राजद को क्षेत्र में अपने पूर्व सांसद स्व. तस्लीमुद्दीन की पकड़ का। शायद इसीलिए राजद की नजर एक परिवार के दायरे से बाहर नहीं जा सकी। अररिया संसदीय उपचुनाव में तस्लीमुद्दीन के बड़े पुत्र सरफराज को टिकट थमा दिया तो अबकी छोटे पुत्र शाहनवाज आलम को। अररिया उपचुनाव में राजद को जोकीहाट से ही 80 हजार से अधिक से बढ़त मिली थी। साथ ही अबतक हुए 14 चुनावों में नौ बार तस्लीमुद्दीन परिवार का ही जादू चला है।
राजद पर भारी पड़ चुका था जदयू
जदयू के लिए सुकून यह था कि राजद के टिकट पर दो-दो बार चुनाव लड़कर शाहनवाज के भाई सरफराज जदयू प्रत्याशी से हार चुके थे, जबकि हारे हुए प्रत्याशी पर दांव लगाकर जदयू चार बार यहां से जीत चुकी है। वर्ष 2000 में सरफराज ने राजद के टिकट पर जदयू के मंजर आलम को हराया था, किंतु अगले चुनाव में मंजर ने सरफराज को हरा दिया।
2005 में भी सरफराज कुछ नहीं कर पाए, जबकि दोनों बार राजद के टिकट पर मैदान में थे। जदयू के जादू का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राजद के टिकट पर लगातार हार रहे सरफराज को जदयू ने अपना लिया और 2010 और 2015 में टिकट देकर विधायक बना दिया।
छीना-झपटी का नया दौर शुरू होगा
जोकीहाट के नतीजे के बाद वोटों की छीना-झपटी का नया दौर शुरू होगा। मुस्लिम वोटों पर हक जताने की होड़ होगी। राजद जहां माय समीकरण की हिफाजत की कवायद करेगा तो जदयू की कोशिश राजद का एकाधिकार खत्म करने की होगी।