राज्य ब्यूरो, पटना। यह राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में कामकाज की सुस्ती का बड़ा उदाहरण है। एक साल में कुल 11 पत्र लिखा गया। एक मूल पत्र है। बाकी पत्र याद दिलाने के लिए यानी रिमाइंडर के तौर पर लिखे गए हैं। सुपौल, बेगूसराय, कैमूर, लखीसराय, किशनगंज, कटिहार को छोड़कर राज्य के अन्य सभी 32 जिलाधिकारियों को यह भेजा गया है।

संयोगवश पत्र और अनुस्मारक पत्र भेजने वाले अधिकारी वही हैं- कंचन कपूर, सरकार के संयुक्त सचिव। पत्र की लिपि और भाव में भी कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इसके माध्यम से जिलाधिकारियों को कहा गया है कि वे अपने जिले में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से संबंधित रिक्तियों का विवरण भेजें। बताएं कि कितने सेवक सेवानिवृत्त हुए हैं। किन्हीं अन्य कारणों से कितनी रिक्ति हुई हैं।

इन रिक्तियों के बारे में एक पखवाड़े के अंदर विभाग को जानकारी दें। कपूर की ओर से पहला पत्र 24 मार्च 2022 को भेजा गया था। अंतिम पत्र तीन फरवरी 2023 को भेजा गया है। एक के बदले 23 पखवाड़े गुजर गए हैं। परंतु अब तक जवाब नहीं मिला है।  

क्यों है इसकी जरूरत

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेरोजगारों को सरकारी नौकरी देने के लिए बेचैन हैं। नियुक्ति के लिए यह जरूरी है कि सरकार के पास रिक्तियों की जानकारी हो। यह सूचना हो कि आरक्षण के हिसाब से किस वर्ग के लिए कितने पद आरक्षित हैं। इसके बाद ही सरकार नई नियुक्ति की घोषणा कर सकती है। पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। कंचन कपूर के पत्र के अनुसार, जिलों से रिक्तियों की सूचना आने पर ही कर्मचारी चयन आयोग को प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा जाएगा।

इससे पहले कब हुई थी नियुक्ति

वित्तीय वर्ष 2013-14 में हुई रिक्ति के आधार पिछले साल 4325 राजस्व कर्मियों की नियुक्ति हुई थी। मतलब 2015 से 2022 के बीच में हुई रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया शुरू होगी। सितंबर के बाद के अनुस्मारक पत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी नाम जोड़ा गया है। इसमें कहा गया है कि 22 सितंबर 2022 की बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि नियुक्ति की प्रक्रिया शीघ्र संपन्न हो। पत्र-अनुस्मारक पत्र के अंत में यह भी बताया जाता रहा है कि कृपया इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

Edited By: Yogesh Sahu