जब मंच पर राष्ट्रगान भूल गए सीपीआई नेता कन्हैया, गलती का अहसास हुआ तो दोबारा गाया
जेएनयू प्रोडक्ट व सीपीआई नेता कन्हैया कुमार की गुरुवार को महारैली थी। पटना के गांधी मैदान में इसका आयोजन किया गया था। उन्होंने संबोधन किया लेकिन बीच में राष्ट्रगान ही भूल गए।
पटना, जेएनएन। जेएनयू प्रोडक्ट व सीपीआई नेता कन्हैया कुमार की गुरुवार को महारैली थी। पटना के गांधी मैदान में इसका आयोजन किया गया था। उन्होंने संबोधन किया, लेकिन बीच में राष्ट्रगान ही भूल गए। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी इस गलती का अहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रगान को पूरा गाया। हालांकि, इसे लेकर गांधी मैदान में लोगों के बीच काफी देर तक चर्चा होती रही।
दरअसल, पूरा वाकया यह है कि महारैली में आए लोगों से कन्हैया ने राष्ट्रगान गाने की अपील की। लेकिन वे खुद ही इसकी पंक्तियां भूल गए। 'जन गण मन' गाते हुए 'गाहे तब जय गाथा' तक तो उन्होंने पंक्तियां ठीक पढ़ीं, पर इसके बाद की पंक्ति 'जन गण मंगल दायक जय हे भारत भाग्य विधाता वे नहीं पढ़ सकें। हालांकि, बाद में उन्हेें अपनी इस गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने बिना देर किए राष्ट्रगान को मंच से दोबारा गाया, वो भी बिना भूले हुए।
बता दें कि गांधी मैदान में गुरुवार को एनपीआर-एनआरसी-सीएए विरोधी संघर्ष मोर्चा की 'संविधान बचाओ नागरिकता बचाओ' महारैली का आयोजन किया गया था। इसमें जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष व सीपीआइ नेता कन्हैया के अलावा वाम विचारों से जुड़ी और भी कई हस्तियां शामिल हुई थीं। इसमें महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी, समाजसेवी मेधा पाटकर, पूर्व आइएएस कन्नन गोपीनाथन, कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान, अवधेश सिंह, सीपीआइ के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, माले विधायक महबूब आलम, पश्चिम बंगाल के विधायक विक्टर समेत हम, रालोसपा के स्थानीय नेता मौजूद थे।
इस महारैली में वक्ताओं ने दिल्ली की हिंसा के लिए केंद्र सरकार को निशाना बनाया। कन्हैया कुमार ने यहां तक कहा कि इस घटना के कारण उन्हें तीन दिनों से उन्हें नींद नहीं आ रही है। देश में जो चल रहा है और जो उथल-पुथल है, उससे मैं सो नहीं पा रहा हूं। उन्होंने यह भी कहा कि गांधी जिंदाबाद कहने वाले को देशद्रोही बताया जा रहा है और गोडसे जिंदाबाद कहने वाले को संसद पहुंचाया जा रहा है। आजादी के बाद देश में जो मुसलमान रह गए हैं, उन्होंने जिन्ना के बजाय गांधी को राष्ट्रपिता माना है। लेकिन आज सरकार ने गोडसे को चुन लिया है। अब जनता तय करेगी कि गांधी के साथ रहना है या गोडसे के साथ।