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Jitiya Vrat 2019: इस बार 21-22, दो दिनों रखा जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत, जानिए क्या है वजह

Jitiya Vrat 2019पंचांग और तिथि के अनुसार इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत दो दिन रखा जाएगा। संतान की दीर्घायु और वंश वृद्धि के लिए महिलाओं ने आज भी व्रत किया है कुछ कल भी करेंगी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 01:44 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 02:07 PM (IST)
Jitiya Vrat 2019: इस बार 21-22, दो दिनों रखा जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत, जानिए क्या है वजह
Jitiya Vrat 2019: इस बार 21-22, दो दिनों रखा जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत, जानिए क्या है वजह

पटना, जेएनएन। चन्द्रोदयव्यापिनी और सूर्योदयव्यापिनी के कारण जिउतिया (जीवित्पुत्रिक व्रत) को लेकर पंचांगों में एकमत नहीं हैं। इस वजह से इस बार जिउतिया व्रत दो दिनों का हो गया है। कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि मिथिला के विश्वविद्यालय पंचांग के मुताबिक व्रती 21 सितंबर दिन शनिवार को व्रत रखेंगे और 22 सितंबर की दोपहर तीन बजे पारण करेंगे। मिथिला विश्विविद्यालय पञ्चाङ्गानुसार व्रती 33 घंटे का व्रत रखेंगे।

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वहीं बनारसी पंचांग से अनुसार श्रद्धालु 22 सितंबर दिन रविवार को जिउतिया व्रत करेंगे और सोमवार 23 सितंबर की सुबह पारण करेंगे। इसी वजह से बनारसी पंचांग के अनुसार जीतिया या जिउतिया व्रत 24 घंटे का है आश्विन कृष्ण अष्टमी 21 सितंबर दिन शनिवार को अष्टमी तिथि अपराह्न 3.43 से आरंभ है तथा 22 सितम्बर दिन रविवार को अपराह्न 2.49 बजे तक है।

जानिए क्यों करते हैं जीवित्पुत्रिका व्रत, क्या है व्रत विधि  

ज्योतिषविद आचार्य रुपेश पाठक ने कहा कि मातायें अपने पुत्रों की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए जीवत्पुत्रिका (जीउतिया) का व्रत वंश वृद्धि व संतान की लंबी आयु के लिए महिलाएं जिउतिया का निर्जला व्रत रखती हैं। सनातन धर्मावलंबियों में इस व्रत का खास महत्व है।

इस दिन माता लक्ष्मी और मां दुर्गा का पूजा करने का भी विधान है I इस पावन दिवस में कुश से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाकर पूजा करने के बाद माताएं ब्राह्मण या योग्य पंडित से जीमूतवाहन की कथा सुनकर उनको दक्षिणा प्रदान करेंगी I

गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद मड़ुआ रोटी, नोनी का साग, कंदा, झिमनी , करमी आदि का सेवन करेंगी। व्रती स्नान - भोजन के बाद पितरों की पूजा भी करेंगी। इस महाव्रत का पारण व्रती महिलाएं केराव से करेंगी I पंडित अभिषेक मिश्रा ने कहा कि इस व्रत के पारण से पूर्व अन्न का दान करने से विपन्नता का नाश होता है I साथ ही धन-धान्य की वृद्धि भी होती है I

रात में की जाती है सरगही-ओठगन

पंडित विष्णुकांत झा उर्फ़ अनिल झा ने कहा कि मिथिला पंचांग के अनुसार आश्विन कृष्ण सप्तमी शुक्रवार 20सितंबर के रात में लगभग 4 बजे  यानि सूर्योदय के पहले व्रती सरगही- ओठगन करेंगी I व्रत करने वाली महिलाएं इस समय  चाय, शरबत, मिष्ठान्न, ठेकुआ, पिरकिया आदि ग्रहण करके पुनीत व्रत का महा संकल्प लेंगी I 

मड़ुआ रोटी, नोनी साग के सेवन की महत्ता

वैदिक पंडित गजाधर झा  के मुताबिक  महिलाएं संतान के लिए मड़ुआ रोटी, नोनी साग का सेवन करती है I मड़ुआ एवं नोनी साग उसर भूमि में भी उपजता है I इसी प्रकार उनकी संतान की सभी परस्तिथियों में रक्षा होगी I जिस प्रकार नोनी का साग दिनों-दिन विकास करता है, उसी प्रकार उनके वंश में भी वृद्धि होता है I इसीलिए जीउतिया के नहाय-खाय के दिन इसके सेवन का विधान है I 

भोलेनाथ ने सुनायी थी माता पार्वती को कथा

पटना के प्रमुख ज्योतिष विद्वान पंडित राकेश झा शास्त्री के मुताबिक  जीमूतवाहन कि कथा सबसे पहले भोलेनाथ ने माता पार्वती को सुनायी थी I इस कथा में एक चूल्होरिन और सियारिन के द्वारा इस व्रत को करने का वर्णन है I इन दोनों ने जीमूतवाहन का व्रत रखा पर सियारिन को भूख बर्दाश्त नहीं हुई और उसने मांस का भोजन कर लिया I अगले जन्म में दोनों एक ब्राह्मण की पुत्री के रूप में जन्म लिया I

चूल्होरिन (अब शीलावती) की शादी उस नगर के राजा के यहां कार्यरत मंत्री से हुई I और सियारिन (अब कर्पूरावती) की शादी नगर के राजा मलयकेतु के साथ विधि-विधान से हुई I दोनों बहनो को सात-सात पुत्र हुए लेकिन सियारिन के सातों पुत्रो की मृत्यु हो गई और चूल्हारिन के जीवित रहे I बाद में इसका कारण जानने पर आत्मग्लानि से कर्पूरावती ने प्राण त्याग दिए I


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