CM नीतीश के शराबबंदी कानून में संशोधन पर बोले मांझी- देर कर दी आते-आते
सीएम नीतीश के शराबबंदी कानून में संशोधन के फैसले पर जीतनराम मांझी ने पलटवार किया है। कहा कि अब देर हो गई। कोई फायदा नहीं होने वाला है।
पटना [जेएनएन]। जदयू के युवा सम्मेलन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी कानून में संशोधन की घोषणा पर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने पलटवार किया है। कहा कि बहुत देर कर दी आते-आते। अब इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है।
मांझी ने पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैंने पहले ही कहा था कि शराबबंदी कानून से दलितों को सबसे ज्यादा प्रताडि़त किया जा रहा है। इस कानून के तहत जेल में सबसे अधिक दलित और गरीब लोग बंद हैं। अब नीतीश कुमार को अपनी गलती का एहसास हो रहा है। अब तो देर हो चुकी। बदलाव करने से कोई फायदा नहीं है।
राघोपुर के पीडि़तों को तत्काल राहत उपलब्ध कराए सरकार
मांझी ने मुख्य सचिव, डीजीपी व वैशाली के जिलाधिकारी से राघोपुर के उन दलितों को तत्काल राहत उपलब्ध कराने की मांग की है जिनके घर व दुकानों को दबंगों ने आग के हवाले कर दिया था। बुधवार को हम (से) के एक प्रतिनिधिमंडल ने राघोपुर का दौरा कर पीडि़तों से मुलाकात की और उनकी आपबीती सुनी।
हम (से) के इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व हम (से) महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष अनामिका पासवान कर रही थी। जबकि इस प्रतिनिधिमंडल में पूनम पासवान, रामविलास प्रसाद, सनम कुमार और राजन राज भी शामिल थे। हम नेताओं ने राघोपुर थाना का भी दौरा किया लेकिन थाने पर कोई भी पुलिस पदाधिकारी मौजूद नहीं था। जांच दल ने पाया कि दलितों पर हुए हमले का मुख्य कारण भूमि विवाद है। पीडि़त दहशत में हैं। उनकी सुरक्षा का भी कोई इंतजाम नहीं किया गया है।
बता दें कि नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि शराबबंदी कानून में संशोधन होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के इंतजार किया जा रहा है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस कानून का कोई दुरुपयोग न करे। नीतीश ने कहा कि ''फिलहाल, इस कानून को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में है, हमें फैसले का इंतजार है। मैं जानता हूं कि कुछ लोग 'गछपछ' (हेराफेरी) में लगे रहते हैं। उनपर हमारी नजर है।
शराबबंदी से सबसे अधिक लाभ गरीबों का
नीतीश कुमार ने कहा कि यह आंकड़ा प्रसारित किया जा रहा कि शराबबंदी कानून के तहत सबसे अधिक एससी-एसटी के लोग गिरफ्तार हुए हैं। कोई हमें यह बताए कि आबादी का प्रतिशत क्या है? देखा जाए तो शराबबंदी का सबसे अधिक लाभ गरीबों को ही हुआ है। फिर भी लोगों को बिना कारण परेशानी न हो, इसके लिए शराबबंदी कानून में संशोधन किया जाएगा। फिलहाल, इस कानून को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।