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मांझी ने शराबबंदी को बताया फेल, कहा- 50 प्रतिशत से अधिक अधिकारी पीते हैं शराब

बिहार में सरकार में सहयोगी दल के नेता जीतनराम मांझी ने शराबबंदी को फेल बताते हुए कहा कि यहां 50 प्रतिशत से अधिक अधिकारी शराब पीते हैं। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 05:28 PM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 10:43 PM (IST)
मांझी ने शराबबंदी को बताया फेल, कहा- 50 प्रतिशत से अधिक अधिकारी पीते हैं शराब
मांझी ने शराबबंदी को बताया फेल, कहा- 50 प्रतिशत से अधिक अधिकारी पीते हैं शराब

पटना [जेएनएन]। बिहार में सरकार की सहयोगी पार्टी हिन्‍दुस्‍तानी आवाम मोर्चा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और पूर्व मुख्‍यमंत्री जीतनराम मांझी ने शराबबंदी को लेकर अपनी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। मांझी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह फेल हो चुकी है। इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।

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एनडीए के प्रमुख घटक दलों में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (से) ने बुधवार को धरना देकर अपनी ही सरकार को आंखें दिखा दी। मांझी ने कहा कि हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग करते हैं कि वे अपने सात संकल्पों में बिहार के दलितों व गरीबों को पांच डिसमिल जमीन देने के अपने वादे को पूरा करने के लिए इसे आठवें संकल्प के रूप में शामिल करें। मांझी ने बिहार में लागू पूर्ण शराबबंदी को विफल बताया।

गर्दनीबाग में एक दिवसीय धरना के दौरान 'हम' के वरिष्ठ नेताओं की भाषा बदली हुई थी। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्वमंत्री वृषिण पटेल ने तो यहां तक कह दिया कि हमारी पार्टी किसी गठबंधन की बंधुआ मजदूर नहीं है।  उन्होंने यह भी कहा कि यदि हमारी मांगों की अनदेखी की गई तो हम गठबंधन से अपने लिए अलग रास्ता तलाश सकते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वृषिण पटेल ने की। धरना को संबोधित करते हुए मांझी ने कहा कि हम भले ही एनडीए में शामिल हैं लेकिन सरकार की आंखें खोलने के लिए अपना काम करते रहेंगे। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश पर रातोंरात गरीबों की झोपडिय़ां हटाने की कार्रवाई का पुरजोर विरोध किया। कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का ही निर्णय है कि बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के किसी को विस्थापित नहीं किया जा सकता।

मांझी ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी और आरक्षण की समीक्षा पर भी बेबाक टिप्पणी की। कहा कि शराबबंदी पूरी तरह फेल है। चाहे तो सरकार बे्रथ एनलाइजर से जांच करा कर देख ले। शराबबंदी से गरीबों को कुछ फायदा हुआ है या नहीं, इस पर सभी चुप हैं। जबकि शराब मामले में गिरफ्तार 72 हजार लोगों में 60 हजार गरीब शामिल हैं। धरना को पूर्वमंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह, अनिल कुमार, ए, वैश्यंत्री, अनामिका पासवान समेत पार्टी के कई नेताओं ने संबोधित किया।

जीतनराम मांझी के इस बयान पर जदयू नेता व प्रवक्‍ता नीरज कुमार ने कहा कि बिहार में किसी भी हाल में शराबबंदी लागू रहेगी। शराबबंदी के लिए चार करोड़ लोगों का समर्थन मिला है। शराबबंदी लागू होने के बाद समाज में परिवर्तन आ रहा है। दलितों के बीच अपराधिक वारदात में कमी हुई है। महिलाओं पर हिंसा में कमी हुई है।

जदयू नेता ने आगे कहा कि यदि मांझी को लगता है कि अफसर शराब पीते हैं, तो उनका नाम सार्वजनिक रूप से बतायें। देश में कानून बना हुआ है, फिर भी अपराध होते हैं। लेकिन दोषियों को सजा दी जाती है। शराब पीने के मामले में बिहार पुलिस ऐसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष को बर्खास्‍त कर दिया गया। इसलिए शराबबंदी पर विचार करने का कोई सवाल ही नहीं है।


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