बिहार उपचुनाव: JDU के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी जहानाबाद विधानसभा सीट
बिहार उपचुनाव में जहानाबाद विधानसभा सीट पर जदयू व राजद के बीच मुकाबला है। यह सीट जदयू के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है।
पटना [एसए शाद]। मध्य बिहार की जहानाबाद विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव जदयू के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। पार्टी ने उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारने का एलान करने के बाद भाजपा के आग्रह पर यहां अपना प्रत्याशी उतारा है। महागठबंधन से नाता तोडऩे के बाद जदयू के लिए यह पहला चुनाव है। मुकाबला भी इत्तेफाक से राजद से ही है।
राजद की यह सिटिंग सीट रही है। मुंद्रिका सिंह यादव के निधन के बाद अब उनके पुत्र सुदय यादव यहां से चुनाव लड़ रहे हैं। जाहिर है जदयू को सहानुभूति फैक्टर का सामना भी करना होगा।
दिलचस्प यह भी है कि मध्य बिहार या मगध क्षेत्र के इस इलाके में ब्रह्मर्षि समाज से एक भी विधायक नहीं है और जदयू ने इसी बिरादरी के अभिराम शर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है। इस कारण जदयू के साथ इस बिरादरी के लिए भी यह चुनाव अहम है। मंत्रियों में जल संसाधन मंत्री ललन सिंह का प्रचार के लिए यहां सबसे पहले पहुंचना चुनाव की इस अहमियत को दर्शाता है।
देखा जाए तो मगध क्षेत्र में इस समय अगड़ी जाति से दो ही विधायक हैं। इनमें रफीगंज से अशोक सिंह और नबीनगर से वीरेंद्र सिंह हैं। क्या भाजपा और जदयू का फिर एक होना अगले चुनाव में सामाजिक समीकरण पर असर डालेगा, इस प्रश्न का जवाब भी यह उपचुनाव देगा।
जहानाबाद सीट पर हर गतिविधि की मॉनीटरिंग पार्टी मुख्यालय से भी की जा रही है। जदयू नेताओं ने उस समय राहत की सांस ली जब निर्वाचन अधिकारी ने शिव सेना का सिंबल फ्रीज कर उसके प्रत्याशी को एयरकंडीशनर चुनाव चिह्न आवंटित किया। एक निर्दलीय प्रत्याशी ने शिव सेना की तरह ही तीर-धनुष सिंबल की मांग की थी। बता दें कि जदयू का इससे मिलता-जुलता चुनाव चिह्न 'तीर' है, जिसके कारण मतदाताओं में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती। जहानाबाद में चुनाव प्रचार में लगे प्रमोद चंद्रवंशी के मुताबिक, पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू के करीब आधा दर्जन प्रत्याशी इस भ्रम के कारण हारे थे।
चुनाव प्रचार के लिए करीब-करीब सभी मंत्रियों के वहां जाने का कार्यक्रम तय किया जा रहा है। 7 मार्च को उपमुख्यमंत्री रोड शो करेंगे, वहीं मुख्यमंत्री 8 मार्च को दो जनसभाओं को संबोधित करेंगे। 11 मार्च को यहां चुनाव होना है।