जदयू नेता नीरज ने दी तेजस्वी को नसीहत, चरवाहा विद्यालय की शिक्षा से नहीं बढ़ेगी सियासी समझ
पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को राजनीतिक समझ बढ़ाने की नसीहत दी है। कहा है कि चरवाहा विद्यालय की सियासी शिक्षा से यह समझ नहीं बढ़ेगी। इसके लिए राज्य के इतिहास को जानना जरूरी है।
राज्य ब्यूरो, पटना। जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को राजनीतिक समझ बढ़ाने की नसीहत दी है। कहा है कि चरवाहा विद्यालय की सियासी शिक्षा से यह समझ नहीं बढ़ेगी। इसके लिए राज्य के इतिहास को जानना जरूरी है। कुछ अधिक नहीं, अपने माता-पिता के शासनकाल की घटनाओं पर गौर करें तो उन्हें समझ में आ जाएगा कि उस समय की तुलना में नीतीश कुमार के शासन में कितना बदलाव आया है। कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी सुधरी है। सामाजिक सद्भाव कितना बढ़ा है। विकास के मानकों पर राज्य कहां था, आज कहां है। आपराधिक घटनाओं पर पहले संज्ञान नहीं लिया जाता था, आज वारदात होने पर तुरंत कार्रवाई की जाती है।
जंगलराज और मंगलराज का फर्क कैसे समझेंगे?
नीरज ने कहा कि चरवाहा विद्यालय की सियासी शिक्षा से जंगलराज और मंगलराज के फर्क को नहीं समझा जा सकता है। तेजस्वी इस बात को जान लें कि लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के शासन को किसी राजनीतिक दल ने जंगलराज नहीं कहा था। पहली बार पटना हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य में जंगलराज जैसी स्थिति है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी 17 जुलाई, 1997 को की थी। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि राज्य में सरकार नाम की किसी संस्था का अस्तित्व नहीं है। राज्य सरकार अपने कर्तव्य के निर्वहन करने की स्थिति में नहीं है। जनता जंगलराज में रहने के लिए विवश है।
जंगल में भी कुछ नियम होते हैं...
पूर्व मंत्री ने कहा कि पटना हाईकोर्ट की तत्कालीन राज्य सरकार पर एक और तल्ख टिप्पणी पांच अगस्त, 1997 को आई। तब हाईकोर्ट की टिप्पणी थी : यहां तक कि जंगल में भी कुछ नियम होते हैं, लेकिन बिहार में तो वह भी नहीं है। राज्य में कुछ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव पता कर लें। पटना हाईकोर्ट की ऐसी टिप्पणियों के बाद तत्कालीन राज्य सरकार क्या करती थी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार कानून का शासन चला रही है। अपराध की घटनाएं बेशक अब भी हो रही हैं, लेकिन कोई भी अपराधी शासन की पकड़ से बच नहीं पा रहा है।