JDU धारा 370 का करता रहेगा विरोध, त्यागी बोले- ममता बनर्जी की हार चाहती है पार्टी
केसी त्यागी ने साफ कहा कि धारा 370 पर पार्टी अपने पुराने स्टैंड पर कायम है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी चाहती है कि ममता बनर्जी की हार हो। पीके की कंपनी से जदयू को मतलब नहीं।
पटना, जेएनएन। जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने साफ कहा कि धारा 370 पर पार्टी अपने पुराने स्टैंड पर कायम है। इससे जदयू कोई समझौता नहीं कर सकता है। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि प्रशांत किशोर की कंपनी से जदयू को कोई मतलब नहीं है। जदयू चाहता है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की हार हो। त्यागी ने यह भी कहा कि मोदी कैबिनेट में जदयू के शामिल नहीं होना कोई मुद्दा नहीं है। मंत्री बनने के लिए किसी का नाम पहले से तय नहीं था और न ही इसकी कोई सूची बनी थी। इतना ही नहीं, जदयू ने महागठबंधन के नेताओं पर भी तीखा हमला करते हुए सबको पलटूराम करार दिया। त्यागी जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद प्रदेश कार्यालय में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उनके साथ राज्य सरकार के मंत्री संजय झा और राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खां भी मौजूद रहे।
जदयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के प्रयास का विरोध करेगी, लेकिन यह विरोध एनडीए में रहकर ही किया जाएगा। पहले भी जदयू ने एनडीए में रहते हुए तीन तलाक का विरोध किया है।
त्यागी ने बताया कि बैठक में सदस्यता अभियान से लेकर नेशनल कांउसिल तक का शिडयूल जारी कर दिया गया। पार्टी के सदस्यता महाअभियान की शुरुआत हो गई है। पांच जुलाई को सदस्यता अभियान का समापन हो जाएगा। 19 एवं 20 अक्टूबर को जदयू की नेशनल काउंसिल की बैठक होगी। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्वाचन होगा। इससे पूर्व 20 सितंबर तक प्रदेशों के अध्यक्ष, कार्यकारिणी और नेशनल काउंसिल सदस्यों का चुनाव हो जाना है। जिलाध्यक्षों, डिस्ट्रिक्ट कांउसिल और राज्य कांउसिल सदस्यों का चयन 15 सितंबर तक होना है। बताया गया कि पार्टी का सांगठनिक चुनाव कराने के लिए अनिल हेगड़े को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी नामित किया गया है।
त्यागी ने बताया कि जदयू को बिहार के साथ ही अरुणाचल में प्रदेश स्तरीय पार्टी का दर्जा मिल चुका है। अब पार्टी राष्ट्रीय स्तर का दर्जा प्राप्त करने का मानक पूरा करने के लिए पूरी ताकत से दिल्ली, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर का चुनाव लड़ेगी। यह प्रयास होगा कि 2020 तक जदयू को राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता प्राप्त हो जाए।
त्यागी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में राबड़ी देवी, जीतन राम मांझी, शिवानंद तिवारी जैसे उन नेताओं पर भी निशाना साधा, जो नीतीश कुमार को पलटूराम कहा करते हैं। उन्होंने कहा कि पलटूराम कहने वाले नेता अब किस मुंह से नीतीश कुमार को तथाकथित महागठबंधन में आने का न्यौता दे रहे हैं। अब वो बताएं कि पलटूराम नीतीश कुमार हैं या वो खुद।
त्यागी ने मोदी कैबिनेट में जदयू के शामिल नहीं होने पर कहा कि ये कोई मुद्दा नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सांकेतिक प्रतिनिधित्व करने का फैसला खुद लिया था। उन्होंने कहा कि अमित शाह के साथ नीतीश कुमार की जब पहली मुलाकात हुई थी तो उसी समय ही कह दिया गया था कि इस कंडिशन में उनकी पार्टी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हो सकती है। कैबिनेट गठन के दिन भी अमित शाह का फाेन आया था, उस दिन भी नीतीश ने साफ कर दिया था। उन्होंने कहा कि मंत्री बनने के लिए किसी का नाम तय नहीं था। बेवजह ललन सिंह, आरसीपी सिंह व अन्य आदि के नाम लिये जा रहे थे। यह सब महज अफवाह थी।
वे जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर भी बोले। उन्होंने कहा कि पीके की कंपनी से जदयू को काेई मतलब नहीं है। उन्हाेंने पूछा कि पीके की कंपनी ने जब आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी के लिए काम किया तो उस समय यह सवाल क्यों नहीं उठा। उन्होंने कहा कि जदयू चाहता कि पश्चिम बंगाल में ममता की पार्टी टीएमसी की हार हो। बता दें कि दोपहर में जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रशांत किशोर मौजूद रहे, लेकिन उन्होंने आज कुछ नहीं बोला। हालांकि उन्हें नीतीश के बगल में ही बैठने की जगह मिली थी।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष विजय पाल मधान, जम्मू कश्मीर के शाहीन, अरुणाचल प्रदेश के रूही तनगुंग, और झारखंड के सालखान मुर्मू ने भी अपनी बातें रखीं। अरुणाचल के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से सांसदों को शॉल भेंट किया गया।
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