Bihar Politics: ब्रांड नीतीश व चुनाव के रियलिटी चेक को मुखर कर JDU ने बताए इरादे, हकीकत बयां करने से नहीं परहेज
जेडीयू ने नीतीश कुमार को लेकर तथा विधानसभा चुनाव में हार के रियलिटी चेक पर अपनी बात स्पष्ट तौर पर रखी है। इसमें उसने एनडीए के अंदर की कड़वी हकीकत को बयां करने से भी परहेज नहीं किया है।
पटना, भुवनेश्वर वात्स्यायन। ब्रांड नीतीश (Brand Nitish) और इस बार के विधान सभा चुनाव परिणाम (Bihar Assembly Election Result) के रियलटी चेक के क्रम में आयी बात को जनता दल यूनाइटेड की राज्य कार्यकारिणी (JDU State Executive Committee Meeting) में मुखर तरीके से रखकर पार्टी ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। यह साफ-साफ कहा गया कि ब्रांड नीतीश की साख से ही सरकार है। दूसरी बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने अपने पार्टी के लोगों के बीच-बीच दो टूक अंदाज में कहा कि हम मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दबाव में यह काम फिर स्वीकार कर लिया। कुर्सी का मोह नहीं है उन्हें। यह स्पष्ट संदेश दिया गया कि कम सीटों का मामला कोई विषय नहीं, इससे ऊपर यह है कि ब्रांड नीतीश बिहार के लिए महत्वपूर्ण है। सरकार के अस्तित्व में फिर से आने की वजह नीतीश कुमार का साख और विश्वसनीयता है।
हकीकत बयां से करने से कोई परहेज नहीं
जेडीयू ने अब तय कर लिया है गठबंधन तो ठीक है पर हकीकत को बयां करने से पार्टी कोई परहेज नहीं रहेगा। धोखा अगर हो रहा तो सरकार चलती रहे इसका ख्याल कर उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। सच को सामने रखा जाएगा।
जेडीयू ने बीजेपी दिलाई थी गठबंधन धर्म की याद
याद कीजिए पिछले महीने जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अरुणाचल प्रदेश के मसले पर पार्टी ने किस तरह से प्रतिकार किया था। अरुणाचल में जेडीयू के छह विधायकों को बीजेपी ने अपने साथ कर लिया था। इस पर जेडीयू ने इसे गठबंधन धर्म के विपरीत बताते हुए भाजपा को अटल बिहारी वाजपेयी के गठबंधन धर्म की याद दिलायी थी। हकीकत को कहने से गुरेज नहीं करने की बात यहीं से शुरू हुई थी।
जेडीयू की बैठक में बीजेपी के खिलाफ उठी आवाज
इसी तरह राज्य कार्यकारिणी के पहले दिन जब जेडीयू के हारे प्रत्याशियों को अपनी बात कहने का मौका दिया गया तो यह बात काफी गुस्से में सामने आयी कि बीजेपी की साजिश में वे हार गए। लोक जनशक्ति पार्टी की कमान तो बीजेपी ने संभाल रखी थी। पूर्व में इस तरह की बातें पर्दे में चल रही थीं। महत्वपूर्ण यह भी रहा कि जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने यहां तक कह दिया कि वे धोखा खा सकते हैं, पर धोखा नहीं दे सकते। एलजेपी तो एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रही थी, फिर धोखा किसने दिया यह पर्दे में जरूर रहा, पर इशारा सभी समझ रहे थे। उच्च स्तर से भी यह बात आयी कि उन्हें भी यह एहसास था कि कुछ गड़बड़ है।