Bihar Assembly Election News: बिहार में सीटों को लेकर जदयू-बीजेपी में फंस सकता पेच, कुर्बानी से तय होगी दोस्ती
Bihar Assembly Election News जदयू और भाजपा के बीच छोटे से ब्रेक के बाद हुई दोस्ती दोनों दलों से कुर्बानी मांग सकती है। या यह कहें कि दोस्ती टिकी है दोनों की कुर्बानी पर।
पटना, अरुण अशेष। Bihar Assembly Election News : जदयू और भाजपा के बीच छोटे से ब्रेक के बाद हुई दोस्ती दोनों दलों से कुर्बानी मांग सकती है। परंपरागत सीटों के मामले में 2010 वाली स्थिति कायम रहे, इसके लिए दोनों दलों को विधानसभा के पिछले चुनाव में जीती कुछ सीटें छोडऩी पड़ेंगी। चुनावों में बड़ी कामयाबी हासिल करने के लिए इस तरह की कुर्बानी देनी पड़ती है। राजद से दोस्ती के लिए जदयू ने अपनी कई जीती सीटें छोड़ी थी। लोकसभा चुनाव में जदयू के लिए भाजपा ने भी ऐसी ही उदारता दिखाई थी। हालांकि, इस बार भाजपा के लिए इन सीटों से दावा वापस लेना आसान नहीं होगा, क्योंकि बीते चुनाव में उसने जदयू-राजद-कांग्रेस के महागठबंधन को परास्त कर ये सीटें हासिल की थीं।
दूसरे-तीसरे नंबर का है पेंच
मालूम हो कि 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ऐसी 24 सीटों पर जीती थी, जिन पर जदयू दूसरे नंबर पर था। इसी तरह, जदयू की जीत वाली 25 सीटों पर भाजपा दूसरे नंबर पर थी। यह मसला हल हो सकता है, क्योंकि सिटिंग और सेकेंड का फार्मूला पुराना है। नई परेशानी उन सीटों को लेकर हो सकती है, जिन्हें जदयू और भाजपा परंपरागत मानती हैं। दोनों पार्टियों के बीच हुई दोस्ती के शुरुआती दिनों से लेकर 2010 तक ये सीटें जदयू और भाजपा के पास थीं। 2015 में इन क्षेत्रों का दलगत प्रतिनिधित्व बदल गया।
2015 में इन सीटों पर जीती थी बीजेपी
बगहा, नौतन, कल्याणपुर, पीपरा, मधुबन, बोचहा (वहां से निर्दलीय जीती बेबी कुमारी अभी भाजपा से संबद्ध हैं), बैकुंठपुर, अमनौर, बिहारशरीफ, बाढ़, दीघा, गोह, वारसलीगंज और झाझा। ये 14 सीटें भाजपा-जदयू के बीच तालमेल के दौरान जदयू के पास रहती थीं। 2010 के विधानसभा चुनाव में भी इन पर जदयू की ही जीत हुई थी। 2015 में इन पर भाजपा विजयी रही।
भाजपा की इन सीटों पर जदयू का कब्जा
जदयू के खाते में इस तरह की जीती हुई सीटों की संख्या कम है, जो भाजपा की परंपरागत सीट मानी जा सकती हैं। ये हैं : बेनीपुर, जीरादेई, महनार, राजगीर और अगिआंव। इन पर 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत हुई थी। 2015 में जदयू का कब्जा हो गया। भाजपा के लिए इनमें से कुछ सीटों को छोडऩा इसलिए भी आसान है, क्योंकि इनमें से तत्कालीन दो विधायक अपने आप मैदान से बाहर हो गए हैं। बेनीपुर के विधायक रहे गोपालजी ठाकुर अभी दरभंगा से लोकसभा सदस्य हैं। राजगीर के सत्यदेव नारायण आर्य राज्यपाल हैं। जीरादेई में 2000 के चुनाव से समता पार्टी या जदयू का दबदबा रहा है। 2010 में यह भाजपा के खाते में आ गई। 2015 में जदयू की जीत हुई। दोनों दलों ने सीटों के लेखा-जोखा में इस मुद्दे को रखा है। उम्मीद यही की जा रही है कि आपसी बातचीत में यह मसला हल हो जाएगा।
2015 की जीत में वोटों का अंतर
इन सीटों पर जदयू के मुकाबले में भाजपा की जीत वोटों के इतने अंतर से हुई थी :
- बगहा- 8183,
- नौतन- 14335,
- कल्याणपुर- 11488,
- मधुबन- 16222,
- पीपरा- 3930,
- बोचहा- 24130
- बैकुंठपुर- 14115,
- अमनौर- 5251,
- बिहारशरीफ- 2340,
- बाढ़- 8359,
- दीघा- 24779
- गोह- 7672
- वारसलीगंज- 19527
- झाझा- 22086
निम्न सीटों पर जदयू की जीत हुई। दूसरे नंबर पर भाजपा थी। वोटों का अंतर था :
- बेनीपुर- 6091
- जीरादेई- 13222
- महनार- 26445
- राजगीर- 25930
- अगिआंव- 14704