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बिहार में भाजपा और जदयू ने एक दूसरे के विरुद्ध खोला मोर्चा, निकाय चुनाव को लेकर आमने-सामने दोनों पार्टी

Bihar politics बिहार में भाजपा व जदयू ने एक-दूसरे के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। निकाय चुनाव में अति पिछड़ों के आरक्षण पर हाई कोर्ट से लगी रोक के बाद दोनों दल एक दूसरे के विरुद्ध हो गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Akshay PandeyPublished: Wed, 05 Oct 2022 08:17 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 08:17 PM (IST)
बिहार में भाजपा और जदयू ने एक दूसरे के विरुद्ध खोला मोर्चा, निकाय चुनाव को लेकर आमने-सामने दोनों पार्टी
भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड का चुनाव चिह्न।

राज्य ब्यूरो, पटना: निकाय चुनाव में अति पिछड़ों के आरक्षण पर हाई कोर्ट से लगी रोक के बाद भाजपा व जदयू ने एक-दूसरे के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। दोनों ने एक-दूसरे पर आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाएगी। बिना आरक्षण के निकाय चुनाव नहीं होंगे। भाजपा ने अति पिछड़ों को आरक्षण देने में विफल रहने को लेकर गुरुवार को सभी जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला जलाने का निर्णय लिया है। इधर, जदयू ने कहा है कि वह भी भाजपा को आरक्षण विरोधी बताकर जिलों में आंदोलन करेगा।

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हाई कोर्ट ने निकाय चुनाव में आरक्षण को बताया गलत

मालूम हो कि मंगलवार को पटना हाई कोर्ट ने जनसंख्या की पड़ताल किए बिना निकाय चुनाव में आरक्षण को गलत बताया था। उस आधार पर राज्य चुनाव निर्वाचन आयोग ने 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले मतदान के स्थगन का आदेश दिया। सरकार के प्रवक्ता ने मंगलवार की शाम को ही कह दिया था कि हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। इस बीच बुधवार को इस मुद्दे पर भाजपा और जदयू के बीच मोर्चा खुल गया। पहले विधान परिषद में विपक्ष के नेता सम्राट चौधरी ने राज्य सरकार पर पिछड़ों-अति पिछड़ों को आरक्षण न देने के लिए साजिश रचने का आरोप लगाया।

सरकार को आयोग का गठन करना थाः सम्राट

सम्राट ने कहा कि निकाय चुनाव में जाति आधारित आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार को आयोग का गठन करना था। आयोग की अनुशंसा के संदर्भ में ही आरक्षण तय होता। लेकिन, राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया। नतीजा यह निकला कि अति पिछड़ों के आरक्षण पर रोक लग गई।

बिहार में लागू नहीं होता आदेशः ललन

दूसरी तरफ, जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने कहा कि बिहार की पंचायतों में 2006 और नगर निकायों में 2007 से पिछड़ा, अति पिछड़ा, महिला, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए आरक्षण लागू है। यह मामला उस समय भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में गया था। दोनों न्यायालयों से राज्य सरकार के फैसले की संपुष्टि हो चुकी है। उस समय से अब तक पंचायतों और निकायों के चुनाव बिना किसी बाधा के हुए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण देने का आदेश दिया था। यह बिहार में लागू नहीं होता है।

भाजपा और आरएसएस आरक्षण विरोधीः उपेंद्र

जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इशारे में कहा कि भाजपा से जुड़े व्यक्ति ने ही हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस आरक्षण विरोधी हैं। दोनों सरकारी नौकरियों में भी आरक्षण समाप्त करने की साजिश में लगे हैं। उन्होंने पूछा कि जब केंद्र सरकार जाति आधारित गणना से मुकर गई है तो देश के स्तर पर जातियों की संख्या का निर्धारण कैसे होगा? राज्य सरकार जातियों की गणना करा रही है। लेकिन, इसका परिणाम तुरंत नहीं आने जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य में बिना आरक्षण के निकाय चुनाव नहीं होंगे।

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