Move to Jagran APP

राष्‍ट्रपति चुनाव: JDU का बड़ा बयान, विपक्षी एकता में बाधक बनी कांग्रेस

जदयू के राष्‍ट्रीय महासचिव ने खुलासा किया है कि राष्‍ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकता नहीं हो पाने के पीछे कांग्रेस की जिद रही। मीरा कुमार के नाम का फैसला कांग्रेस की मनमानी थी।

By Amit AlokEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 08:18 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jun 2017 09:27 PM (IST)
राष्‍ट्रपति चुनाव: JDU का बड़ा बयान, विपक्षी एकता में बाधक बनी कांग्रेस
राष्‍ट्रपति चुनाव: JDU का बड़ा बयान, विपक्षी एकता में बाधक बनी कांग्रेस

पटना [राज्य ब्यूरो]। जदयू ने सोमवार को सीधे-सीधे कांग्रेस पर यह आरोप मढ़ा कि कांग्रेस नेतृत्व की जिद के कारण ही राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की एकता व्यापक नहीं हो पायी। आरंभ से ही कांग्रेस अपने ही दल का प्रत्याशी राष्ट्रपति चुनाव के लिए देने पर अड़ी थी।

prime article banner

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने यह वक्तव्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के उस बयान के बाद दिया है जिसमें आजाद ने यह कहा कि हम नहीं नीतीश कुमार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और बिहार की बेटी मीरा कुमार को हरा रहे। त्यागी ने कहा कि कांग्रेस ने किसी भी चरण की बातचीत में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में मीरा कुमार के नाम की जानकारी न तो नीतीश कुमार को दी और न ही सीताराम येचुरी को।

केसी त्‍यागी ने कहा, चेन्नई में नीतीश कुमार की यात्रा करुणानिधि के जन्मदिवस समारोह के सिलसिले में थी। उस यात्रा में वामदल के नेता सीताराम येचुरी और डी राजा के साथ उनकी बातचीत में गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर सहमति बन गयी थी। देवेगोड़ा भी तैयार थे। शरद पवार और ममता बनर्जी भी इस मत के थे कि संयुक्त विपक्ष का प्रत्याशी कांग्रेस की ओर से नहीं आए।

उन्‍होंने कहा कि शरद पवार तो आखिरी समय तक बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर के लिए लगे रहे। शिव सेना की भी सहमति थी। इसी तरह भाजपा ने भी कभी यह नहीं बताया कि रामनाथ कोविंद के रूप में वह एक दलित को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने जा रही है।

यह भी पढ़ें: जदयू महागठबंधन की मां है दाई नहीं, राजद ने किया पलटवार

त्यागी ने कहा कि भाजपा अगर दलित नेता कोविंद का नाम सर्वसम्मति के लिए आगे करती तो वहां सर्वसम्मति भी संभव थी। पर वह मनमाने ढंग की राजनीति करती रही। रामनाथ कोविंद के नाम का समर्थन जदयू के लिए एक अलग किस्म का फैसला था। उनका विरोध आसानी से संभव नहीं था, क्योंकि राज्यपाल पद की गरिमा का उन्होंने असाधारण तरीके से निर्वहन किया।

यह भी पढ़ें: महागठबंधन में महामुकाबला: राजद-जदयू के बीच बढ़ी दरार, कुछ भी हो सकता है...


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.