जत्थेदार के फैसले पर पूर्व मुख्य प्रशासक ने उठाए सवाल
तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब के पूर्व मुख्य प्रशासक सरदार भूपिदर सिंह साधु ने तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन व पंच प्यारों के फैसले पर कई सवाल उठाए हैं।
पटना सिटी। तख्त श्रीहरिमंदिर जी पटना साहिब के पूर्व मुख्य प्रशासक सरदार भूपिदर सिंह साधु ने तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन व पंज प्यारों के फैसले पर कई सवाल उठाए हैं। पूर्व मुख्य प्रशासक ने कहा कि तख्त श्रीहरिमंदिर में नियुक्ति व सेवा बदलने का अधिकार प्रबंधक समिति को है न कि तख्त श्रीहरिमंदिर जी पटना साहिब के जत्थेदार का। उन्होंने जत्थेदार के आदेश को गैर संवैधानिक बताया है।
इस संबंध में तख्त श्रीहरिमंदिर जी पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रंजीत सिंह गौहर-ए-मस्कीन का कहना है कि तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह द्वारा भूपिदर सिंह साधु को तनखैया घोषित किया गया था। आठ फरवरी को पंज प्यारों की ओर से साधु को तख्त साहिब में उपस्थित होने का आदेश देने के बाद भी उन्होंने अपना पक्ष नहीं रखा। जत्थेदार का कहना है कि तनखैया घोषित व्यक्ति का सवाल उठाना न्यायोचित नहीं है। जत्थेदार का कहना है कि प्रबंधक समिति ने दरबार साहिब व तख्त साहिब से जुड़े धार्मिक आयोजन में आंतरिक व्यवस्था का अधिकार पंज प्यारों को दे रखा है।
31 मई को जत्थेदार की अध्यक्षता में हुई पंज-प्यारों की बैठक में 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की नियुक्ति, कीर्तन के दौरान मोबाइल रखने पर प्रतिबंध, दशम ग्रंथ का पाठी होना तथा नशा नहीं करने की शपथ दिलाने का निर्णय लिया गया था।
वहीं मुख्य प्रशासक भूपिदर सिंह साधु ने बताया कि वर्ष 2014 में पूर्व जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह ने उनको तनखैया घोषित किया था उस समय जत्थेदार सिंह निलंबित थे। निलंबित जत्थेदार के तनखैया का आदेश वे क्यों माने? साधु का कहना है कि उन्हें आठ फरवरी को हाजिर होने के लिए कहा गया, लेकिन वे तीन फरवरी को ही हाजिरी लगाकर चले गए थे।