संकट में लालू: हमलावर विपक्ष से निबटना व राजद की एकजुटता बड़ी चुनौतियां
लालू के जेल जाने के बाद राजद को दो मोर्चों पर जूझना होगा। उसे हमलावर विपक्ष का सामना करना होगा। साथ ही पार्टी को एकजुट रखने की भी चुनौती होगी।
पटना [अमित आलोक]। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को रांची की विशेष सीबीआइ अदालत ने दोषी करार दिया है। अदालत लालू को तीन जनवरी को सजा सुनाएगी। लालू के जेल जाने का राजद ही नहीं, देश व बिहार की राजनीति पर भी गहरे असर की आशंका है। भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता का प्रयास भी बैकफुट पर आता दिख रहा है। लालू के जेल जाने के बाद राजद को अब दो मोर्चों पर जूझना होगा। उसके सामने हमलावर विपक्ष का सामना करने के साथ पार्टी को एकजुट रखने की भी चुनौती होगी।
भाजपा ने खोल दिया मोर्चा
साल 2017 लालू प्रसाद यादव के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। महागठबंधन की सरकार में 'किंग मेकर' की भूमिका में रहे लालू केंद्र की पीएम मोदी सरकार के खिलाफ बड़ा चेहरा बनकर उभरे। विपक्ष की एकता के धुरी बनते लालू को तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का समर्थन मिला। लालू ने तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बड़े राष्ट्रीय मोर्चे के निर्माण का काम आगे बढ़ाया। लेकिन, भाजपा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
कटघरे में आया लालू परिवार
बिहार भाजपा के बरीय नेता सुशील मोदी लालू के खिलाफ भ्रष्टाचार व बेनामी संपत्ति के लगातार आरोपों के साथ सामने आए। सुशील मोदी ने लालू-राबड़ी की एक कंपनी (लारा) में हुए गड़बड़झाले को उजागर करते हुए पूरे लालू परिवार को कटघरे में खड़ा किया।
नीतीश ने भाजपा के साथ बनाई सरकार
उधर, महाबठबंधन की सरकार में सबकुठ ठीक नहीं चल रहा था। आरोपों की आंच जैसे ही लालू के बेटे व बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तक पहुंची, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़कर भाजपा (राजग) के साथ सरकार नई बना ली।
विपक्षी एका को लगा बड़ा आघात
महागठबंधन की सरकार का गिरना बिहार में लालू के लिए बड़ा आघात तो था ही, इससे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बन रहा मोर्चा भी प्रभावित हुआ। लालू 'किंग मेकर' की हैसियत से सीधे जमीन पर आ गए, लेकिन विपक्षी एका का उनका प्रयास जारी रहा।
स्थितियों को आंक रही कांगेस
लालू का यह प्रयास जारी है, लेकिन आज की स्थितियां भिन्न हैं। लालू जेल में हैं और उनके प्रमुख सहयोगी दल कांग्रेस की कमान कभी संसद में भ्रष्टाचार के खिलाफ ऑर्डेनेंस फाड़ चुके राहुल गांधी के हाथों में है। हालांकि, राहुल की लालू के प्रति सोच बदली है। लेकिन, कांग्रेस उन्हें उनकी राजनीतिक हैसियत (पार्टी व जनता में समर्थन) को देखकर ही भाव देगी, यह तय है।
लालू को अदालत तीन जनवरी को सजा देगी। फिलहाल, लालू की राजनीतिक हैसियत कम भले ही हो, लेकिन अगर वे लंब समय तक जेल में रहे तो इसके दूरगामी परिणाम तय हैं। कांग्रेस लालू के पक्ष व विपक्ष में दो-फाड़ है। कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी पार्टी में किसी गुटबंदी से इन्कार करते हैं, लेकिन ज्यादा दिन नहीं हुए जब विरोधी गुट प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में 'नरेंद्र मोदी जिंदाबाद' के नारे लगा चुका है। लालू अगर कमजोर हुए तो उनका विरोधी गुट कांग्रेस में हावी हो जाएगा। इसका सीधा असर लालू पर पड़ेगा।
राजद को तोड़ने की कोशिश संभव
लालू प्रसाद के जेल में लंबे समय तक रहने के परिणाम पार्टी पर क्या पड़ेंगे, फिलहाल कहना मुश्किल है। हां, राजद में महत्वाकांक्षी नेताओं की कमी नहीं, लेकिन वे लालू के सामने कुछ बोल नहीं पाते थे। लालू के जेल में रहने की स्थिति में पार्टी में विरोध के सुर फूटें, यह आशंका है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह ने दावा किया है कि पार्टी लालू प्रसाद के नेतृत्व में एकजुट है। लेकिन, राजद विधायकों को भी प्रलोभन देकर तोड़ने की कोशिश हो सकती है।
लालू के बेटे संभालेंगे कमान
चारा घोटाला में लालू जब पहली बार जेल गए थे, तब उनके बेटे छोटे थे। उस वक्त उन्होंने पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी थी। इस बहाने सत्ता पर उनका अप्रत्यक्ष नियंत्रण बरकरार रहा था। लेकिन, इस बार स्थितियां अलग हैं। लालू अपने दोनों बेटों तेजस्वी यादव व तेजप्रताप यादव को राजनीति में स्थापित कर चुके हैं। छोटे पुत्र तेजस्वी यादव को उन्होंने उत्तराधिकारी घोषित भी कर दिया है।
तेजस्वी-मीसा पर भी भ्रष्टाचार के आरोप
राजद के तमाम बड़े नेता तेजस्वी के साथ खड़े दिख रहे हैं। पार्टी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह कहते हैं कि पार्टी में नेतृत्व को लेकर कोई सवाल ही कहां है। सब तेजस्वी के साथ हैं। लेकिन, लालू की दूसरी पीढ़ी भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गई है। तेजस्वी यादव पर भी भ्रष्टाचार व बेनामी संपत्ति के मामलों में जांच चल रही है। लालू की बेटी मीसा भारती व उनके पति के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने बेनामी संपत्ति मामले में आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया है।
पार्टी में फूट सकते असंतोष के सुर
लालू यादव ने चारा घोटाला में दोषी करार दिए जाने के बाद ट्वीट कर केंद्र के खिलाफ अपनी लड़ाई को 'धर्मयुद्ध' बताते हुए लिखा कि इसमें वे अकेले नहीं, पूरा बिहार साथ खड़ा है। लालू जानते हैं कि बिहार में उनका अपना जनाधार है, जिसपर उनकी मजबूत व्यक्तिगत पकड़ है। इसी की बदौलत लालू की पार्टी में 'वन मैन शो' वाली हैसियत है। लेकिन, अगर जेल में रहने की अवधि लंबी खिंची और इसी बीच तेजस्वी के भी जेल जाने की स्थिति बनी तो पार्टी का संकट गहराना तय है। तब पार्टी में असंतोष के सुर फूट सकते हैं।
लालू परिवार को भ्रष्टाचार का प्रतीक बताब रहा विपक्ष
स्पष्ट है, लालू परिवार को भ्रष्टाचार के प्रतीक के रूप में घेरने में विपक्ष को अब आसानी होगी। जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन कहते हैं कि चारा घोटाले में सजा होने के बाद अब लालू और उनकी पार्टी की स्वार्थी राजनीति का अंत हो जाएगा। इस पार्टी और लालू परिवार के नाम घोटालों और बेनामी सम्पत्ति की फेहरिस्त लंबी हो गई है। न्याय व्यवस्था ऐसे लोगों को नहीं छोड़ती है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी पार्टी की आगे की रणनीति की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि पहले 'चारा' अब 'लारा' की बारी है।
राबड़ी बोलीं, धैर्य रखें कार्यकर्ता
बहरहाल, पार्टी के वरीय नेता फिलहाल लालू के साथ खड़े हैं। इस बीच समर्थकों में गुस्सा भी है। इस गुस्से को भांप राबड़ी देवी ने कार्यकर्ताओं से शांति व धैर्य बनाए रखने की अपील की है। उधर, लालू के पटना आवास पर सन्नाटा पसरा है। वहां समर्थकों की भीड़ नहीं दिख रही, लेकिन राबड़ी देवी व तेजस्वी-तेजप्रताप यादव से मिलने पार्टी के बड़े नेता जा रहे हैं। अब सबकी नजर तेजस्वी-तेजप्रताप के अगले कदम पर जा टिकी है।