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ज्वाइंट एग्रीमेंट करने वाले जमीन मालिकों पर कसा आयकर का शिकंजा

बिल्डरों व डेवलपरों के साथ अपनी जमीन को डेवलप करने के लिए ज्वाइंट एग्रीमेंट करने वाले पर आयकर विभाग शिकंजा कसेगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 01:31 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 01:31 AM (IST)
ज्वाइंट एग्रीमेंट करने वाले जमीन मालिकों पर कसा आयकर का शिकंजा
ज्वाइंट एग्रीमेंट करने वाले जमीन मालिकों पर कसा आयकर का शिकंजा

पटना। बिल्डरों व डेवलपरों के साथ अपनी जमीन को डेवलप करने के लिए ज्वाइंट एग्रीमेंट करने वाले करीब पांच हजार जमीन मालिकों पर आयकर विभाग ने अपना शिकंजा कस दिया है। दरअसल, अपनी जमीन पर अपार्टमेंट व अन्य कमर्शियल बिल्डिंग का निर्माण करने वाले जमीन मालिक अपने हिस्से के फ्लैट व दुकानें लाखों की कीमत पर बेचते हैं लेकिन अपनी इस कमाई पर आयकर विभाग को 'कैपिटल गेन टैक्स' का भुगतान नहीं करते।

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आयकर विभाग ने केवल पटना में ही पिछले दिनों करीब ढाई हजार जमीन मालिकों को नोटिस जारी कर उनसे बकाए टैक्स का भुगतान करने को कहा थंा। सबसे अजीब बात तो यह है इनमें आधे से अधिक जमीन मालिकों ने तो आयकर विभाग के नोटिस का जवाब तक नहीं दिया। आयकर विभाग के अनुसार जो जमीन मालिक नोटिस का जवाब नहीं दे रहे हैं, उनके खिलाफ अब आयकर अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। साथ ही जिन जमीन मालिकों ने आयकर विभाग को नोटिस का जवाब भेज दिया है, उनके बकाए टैक्स का आकलन कर उनसे टैक्स की वसूली की जाएगी। ऐसे जमीन मालिकों से फ्लैट व दुकान की बिक्री से हुई आय का 20 से 30 प्रतिशत टैक्स वसूला जाएगा। आयकर विभाग में ऐसे जमीन मालिकों के लिए शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन व लांग टर्म कैपिटल गेन के तहत टैक्स वसूली का प्रावधान है। आयकर विभाग के प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त केसी घुमरिया के अनुसार कैपिटल गेन टैक्स का प्रावधान पहले से है और देश के अन्य राज्यों में इसकी वसूली भी होती है। लेकिन बिहार में कैपिटल गेन टैक्स का लोग भुगतान नहीं कर रहे हैं। अब ऐसे जमीन मालिकों से पेनाल्टी समेत बकाए टैक्स की वसूली की जाएगी।

दरअसल, आयकर विभाग ने रजिस्ट्री ऑफिस व पटना नगर निगम से वैसे जमीन मालिकों की पूरी जानकारी जुटा ली है जो पिछले दस वर्षों में अपनी जमीन को डेवलप करने के लिए बिल्डरों व डेवलपरों के साथ ज्वांइट एग्रीमेंट कर रखा है। इस मद में अगर बकाए टैक्स की वसूली होती है तो वह हजार करोड़ से भी अधिक होगी।


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