इंटरनेट ऑफ थिंग्स से शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी संभावनाएं
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) पर बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पटना कैंपस मे कार्यशाला का समापन हो गया।
पटना। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) पर बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पटना कैंपस में 10 दिवसीय कार्यशाला शनिवार को संपन्न हो गई। विशेषज्ञों ने बताया कि यह डिवाइसों का जोड़ है, जो इंटरनेट के संपर्क में रहकर संवाद करते हैं। डिवाइस सहजता से डेटा साझा करते हैं। इंटरनेट ऑफ थिंग्स से शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। इस सेक्टर में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। इंटरनेट और मोबाइल ने दैनिक जीवन के कार्यो को सहज बना दिया है। आइओटी के माध्यम से हम सैकड़ों किलोमीटर रहकर डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। टीवी, फ्रिज, एसी, पंखा, बल्ब आदि को ऑपरेट कर सकते हैं। इसका प्रयोग स्मार्ट सिटी बनाने में होता है। स्मार्ट सर्विलांस, ऑटोमेटेड ट्रासपोर्टेशन, स्मार्ट एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम, वाटर डिस्ट्रिब्यूशन, अर्बन सिक्योरिटी एंड इन्वायरनमेंटल मॉनीटरिंग के साथ ही अन्य कई क्षेत्रों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।
स्थानीय माहौल के अनुसार तैयार हो डिवाइस :
सीएसआइआर-सीईईआरआइ, जयपुर के प्राचार्य केएस राजू ने कहा कि आइओटी पर आधारित डिवाइस स्थानीय माहौल के अनुसार बनानी होगा। वर्तमान में अधिसंख्य डिवाइस यूएसए की बनी हैं। वहां और यहां के वातावरण में काफी अंतर है। वातावरण प्रतिकूल होने के कारण डिवाइस का आउटपुट प्रभावित होता है।
जीवन को बना रहा आसान :
बीआइटी पटना कैंपस के निदेशक डॉ. बीके सिंह ने कहा कि भारत सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय की तरफ से वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें आइआइटी, आइएसएम, आइसीएआर, एनआइटी, सीएसआइआर-सीईईआरआइ पिलानी के विशेषज्ञों भाग लिया। कार्यशाला में राज्य के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के फैकल्टी सदस्य और छात्र-छात्राएं शामिल हुई। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. संजीव कुमार ने आइओटी अप्लीकेशन की विस्तार से जानकारी दी। वर्कशॉप की कोऑर्डिनेटर प्रो. मेघा डाडेल ने बताया कि सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र और विशेषज्ञों को निदेशक ने स्मृति चिह्न दिया।
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