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International Women's Day 2020 Special: धाराप्रवाह श्लोकों का उच्चारण कर धार्मिक आयोजन करा रहीं पूरा

गायत्री शक्तिपीठ से जुड़ी गुड़िय़ा एवं उनकी टीम की अन्य महिलाएं अब संस्कृत के श्लोकों का धाराप्रवाह उच्चारण करते हुए कर्मकांड करा रही हैं। महिला दिवस में जानें इनके बारे में।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 08:35 AM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 08:35 AM (IST)
International Women's Day 2020 Special: धाराप्रवाह श्लोकों का उच्चारण कर धार्मिक आयोजन करा रहीं पूरा
International Women's Day 2020 Special: धाराप्रवाह श्लोकों का उच्चारण कर धार्मिक आयोजन करा रहीं पूरा

प्रभात रंजन, पटना। महिला सशक्तीकरण का दबदबा आज हर क्षेत्र में देखने को मिल रहा है। कल तक पूजा-पाठ, कर्मकांड आदि कार्य पूरी तरह पुरुषों के हाथों में थे लेकिन समाज की इस परंपरा को तोड़कर महिलाएं अब दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन रही हैं। गायत्री शक्तिपीठ से जुड़ी गुड़िय़ा एवं उनकी टीम की अन्य महिलाएं अब संस्कृत के श्लोकों का धाराप्रवाह उच्चारण करते हुए वैदिक पद्धति से विभिन्न धार्मिक आयोजनों को पूरा करा रही हैं।

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कल तक घरों में चौका-बर्तन तक सिमटी ये महिलाएं अब हाथ में फूल और अक्षत लेकर शहर के विभिन्न घरों में जाकर पूजा-पाठ, हवन, शादी ब्याह के साथ अन्य धार्मिक आयोजनों में पुरोहित बन रही हैं। गायत्री शक्तिपीठ, कंकड़बाग से जुड़ी गुडिय़ा बताती हैं कि उन्होंने कई साल पहले कर्मकांड की शिक्षा प्राप्त की और धार्मिक आयोजनों में शामिल होने लगीं। बाद में उन्होंने और भी महिलाओं को अपने साथ जोडऩा शुरू किया। वो बताती हैं कि गायत्री शक्तिपीठ हरिद्वार में किसी भी धर्म और जाति से जुड़े लोगों को कर्मकांड, यज्ञोपवित आदि संस्कार को लेकर 'युग शिल्पी सत्र' कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है। इसमें समाज की बेटियों को प्रशिक्षित किया जाता है। इन बेटियों को जाति बंधन से मुक्त कराने के साथ सेवा का भाव दिल में पैदा करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। वे बताती हैं कि शक्ति पीठ में जाति के आधार पर नहीं, ज्ञान के आधार पर पूजा होती है। गुरुदेव श्रीराम आचार्य कहा करते थे कि नर और नारी एक समान हैं।

शांतिकुंज में दिया जाता प्रशिक्षण

शांतिकुंज में बेटियों को मिले प्रशिक्षण के दौरान कर्मकांड के अलावा गायन, वादन, प्रवचन, वेद-पुराण के बारे में भी अवगत कराया जाता है। इसके बाद ये बेटियां घर-घर जाकर पूजा पाठ करा कर अपने और दूसरे के संस्कारवान बनाती हैं। ये सारे काम बेटियां सेवा भाव से करती है। जो लोग अपने घरों में शादी-विवाह एवं अन्य धार्मिक कार्य कराना चाहते हैं, उन्हें शक्तिपीठ आकर रजिस्टे्रशन कराना होता है। इसके लिए कोई फीस नहीं लगती। महिला पंडित घर जाकर पूजा-पाठ कराने के बाद अगर कोई यजमान पैसा देता है तो वही शक्तिपीठ में आकर पैसा जमा करती हैं, जो ट्रस्ट को जाता है। महिला मंडल संगठन से जुड़ी गुडिय़ा बताती हैं कि उनकी टीम अबतक सौ से अधिक शादियां और कर्मकांड करा चुकी है।

सामाजिक ताने को दरकिनार बेटियों में आगे बढऩे का जज्बा

पुरुष वर्ग के दबदबे वाले पुरोहित के कार्य में पटना की गुडिय़ा के लिए यह कार्य किसी चुनौती से कम नहीं था। वे बताती हैं कि उनके माता-पिता भी गायत्री परिवार से जुड़े थे, जिसके कारण परिवार का सहयोग मिला। हालांकि, समाज के लोग ताना ही मारते रहे। इन चीजों को दरकिनार कर गुडिय़ा अपने काम में लगी हैं। गुडिय़ा की मानें संगठन से जुड़ी कई महिलाओं को घर-परिवार से लेकर समाज में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद वह अपने मिशन में लगी रहीं, जिसका परिणाम अब देखने को मिल रहा है।


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